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कुंडली देखकर होता है इलाज, ये है दुनिया का अनोखा अस्पताल

aajtak.in/मंजू ममगाईं
  • 28 मई 2019,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST
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आपने आज तक डॉक्टर को मरीज की बीमारी देखकर उसका इलाज करते देखा और सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं हमारे देश में एक ऐसा अस्पताल भी है जहां डॉक्टर इलाज शुरू करने से पहले ज्योतिषियों से सलाह मशविरा करते हैं. सुनकर हैरान होना लाजमी है लेकिन यह बात बिल्कुल सच है. जी हां और ये अनोखा काम हो रहा है रजवाड़ो के शहर राजस्थान में. आइए जानते हैं क्या है ये पूरा माजरा और कैसे होता है यहां मरीजों का इलाज.

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राजस्थान के इस अस्पताल में चिकित्सा पद्धति ज्योतिष शास्त्र के साथ मिलकर काम करती है. राजस्थान में यह एक मात्र ऐसा अस्पताल है जहां इस पद्धति से रोगी का इलाज किया जाता है. यहां आने वाले रोगियों से सबसे पहले उनकी जन्मतिथि, जन्म का स्थान, और जन्म का समय पूछा जाता है. इसके बाद ज्योतिषियों द्वारा रोगी की कुंडली देखी जाती है. इन सब प्रकिया से गुजरने के बाद डॉक्टर रोगी की बीमारी का इलाज शुरू करते हैं. आइए जानते हैं आखिर यहां कैसे होता है इलाज और क्या है यहां काम करने का तरीका.

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जयपुर के युनिक संगीता मेमोरियल अस्पताल में प्राचीन ज्योतिष विज्ञान को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ जोड़कर रोगी का इलाज किया जाता है. इस अस्पताल में मरीज के रोग की जांच उसकी कुंडली देखकर होती है.

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आजतक से बातचीत के दौरान पंडित अखिलेश शर्मा बताते हैं कि आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं जैसे अगर कोई मरीज डॉक्टर के पास अपनी परेशानी लेकर आता है और डॉक्टर को अपना नाम, उम्र बताता है उतनी ही देर में ज्योतिष शास्त्र से जुड़े लोग उसकी कुंडली देख कर उसे यह बता देते हैं कि उसकी कुंडली के अनुसार उसके शरीर के किस अंग में परेशानी हो सकती है. जिसके बाद डॉक्टर शरीर के उस भाग की जांच करवाकर रोगी का इलाज करना शुरू कर देते हैं.

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पंडित अखिलेश शर्मा कहते हैं इस तरह से इलाज के दौरान रोगी व्यक्ति के समय और धन दोनों की बचत होती है. अन्यथा डॉक्टर इलाज के दौरान अपनी शंका दूर करने के लिए कई तरह के टेस्ट करवाते हैं. जिसमें व्यक्ति का बहुत सारा धन व्यर्थ ही खर्च हो जाता है.

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इस अनोखे अस्पताल में मरीजों के लिए 2 ऑपरेशन रूम के साथ तकरीबन 50 के करीब बेड है. नई तकनीक और पुराने ज्योतिष ज्ञान को मिलाकर मरीजों को बेहतर इलाज देने की कोशिश की जा रही है. बता दें, यहां अभी तक 70 से ज्यादा मरीज अपना सफल इलाज करवा चुके हैं.

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वहीं इस पूरे विषय पर पंडित मृत्युंजय जी की मानें तो उनका कहना है कि किसी भी रोगी का इलाज करने में ज्योतिष अहम भूमिका निभा सकता है. वह इलाज के लिए उत्तम समय बताने से लेकर या इलाज सफल होगा या नहीं यह भी बता सकता है. उदाहरण के लिए अगर कोई दंपत्ति आईवीएफ की तकनीक से बच्चा चाहते हैं तो वो उसके लिए शुभ समय भी बता सकते हैं. 

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प्राचीन और आधुनिक ज्ञान को आपस में जोड़कर मरीजों का इलाज करने की यह पहल जयपुर के एक ज्योतिष विज्ञानी पंडित अखिलेश शर्मा कर रहे हैं. अखिलेश जयपुर के वैशाली नगर में भारतीय प्राच्य ज्योतिष शोध संस्थान चलाते है. यहां वो लोगों को ज्योतिष फलित, ज्योतिष गणित वास्तु विज्ञान का ज्ञान देते हैं.

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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले पं. अखिलेश शर्मा की इस अनूठी परियोजना में कुल 22 लोग जुड़ चुके हैं, जिनमें करीब 5 डॉक्टर है. इसके अलावा 5 ज्योतिषी, वेदाचार्य भी इस टीम का हिस्सा है. यह टीम ज्योतिष को मेडिकल साइंस से जोड़कर एक पाठ्यक्रम भी तैयार कर रही है जो एस्ट्रोमेडिकल साइंस कहलाएगा और इस संस्थान मे जल्द ही उसका प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

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वहीं इस अस्पताल में काम करने वाले सर्जन डॉक्टर महेश कुमार फुलारी का कहना है कि उनके अस्पताल में भी रोगियों के इलाज करने का तरीका बाकी अस्पतालों की ही तरह मॉर्डन है. वो रोगी की परेशानी देखकर संबंधी टेस्ट करवाने के बाद ही उसका इलाज शुरू करते हैं. हालांकि उनका कहना है कि वो ज्योतिषियों द्वारा एकत्रित कि गई रोगी की जानकारी का भी इलाज के दौरान मिलान जरूर करते हैं. डॉक्टर ने बताया कि उनके अस्पताल में इलाज करवाने के लिए रोगी को 200 रूपए फीस चुकानी पड़ती है. जबकि ओपीडी में फ्री में इलाज किया जाता है.

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