भारत के युवा क्यों हो रहे हाई कोलेस्ट्रॉल का शिकार, ये चीजें हैं जिम्मेदार

हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या लंबे समय से बुजुर्गों की बीमारी कही जाती रही है लेकिन हाल के वर्षों में एक चिंताजनक रिकॉर्ड सामने आया है जिसमें युवा आबादी में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ता ट्रेंड देखा गया है.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST

खराब जीवनशैली, खानपान, शारीरिक व्यायाम की कमी और कम पौष्टिक वाले आहार के कारण युवा भारतीयों में हाई कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि देखी जा रही है. कोलेस्ट्रॉल हृदय संबंधी बीमारियों, डायबिटीज और मोटापे का कारण है.

भारतीय युवाओं में कोलेस्ट्रॉल क्यों बढ़ रहा है?
नई दिल्ली इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन विभाग में वरिष्ठ सलाहकार डॉ सुरनजीत चटर्जी ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया, ''मेरे पास ऐसे कई मरीज हैं जिनकी उम्र 20 वर्ष के आसपास है और वो तब तक विश्वास नहीं करते कि उन्हें उच्च कोलेस्ट्रॉल है जब तक कि वो अपनी लिपिड प्रोफाइल रिपोर्ट नहीं देख लेते.''

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कोलेस्ट्रॉल की बीमारी लंबे समय से बुजुर्गों की बीमारी कही जाती रही है लेकिन हाल के वर्षों में एक चिंताजनक रिकॉर्ड सामने आया है जिसमें युवा आबादी में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ता ट्रेंड देखा गया है. सबसे डराने वाली बात है कि इस हेल्थ इश्यू को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि हाई कोलेस्ट्रॉल बहुत देर होने तक ध्यान देने योग्य लक्षण प्रस्तुत नहीं करता है.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोलेस्ट्रॉल की बीमारी बेहद कम उम्र यहां तक कि किशोरावस्था में भी शुरू हो सकती है लेकिन रोगियों को 20 वर्ष की आयु पार करने तक कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई है. यही कारण है कि बहुत से युवा प्लाक के कारण कम उम्र में ही हार्ट अटैक का शिकार हो जाते हैं जिसका कारण हाई कोलेस्ट्रॉल होता है.

कोलेस्ट्रॉल क्या है

कोलेस्ट्रॉल लिवर में बनने वाला एक मोम की तरह पदार्थ है जो पाचन के लिए जरूरी कई तरह के हार्मोन्स का निर्माण करता है. हाई डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन को (एचडीएल) और लो डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) को एलडीएल कहा जाता है. एचडीएल को गुड कोलेस्ट्रॉल के रूप में जाना जाता है और यह 50mg/dL या इससे अधिक होना चाहिए. आपके शरीर में एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होनी चाहिए. खासकर भारतीयों के लिए एलडीएल कोलेस्ट्रॉल 100 मिलीग्राम/डीएल से कम होना चाहिए जो दुनिया की बाकी आबादी की तुलना में हृदय रोग से ज्यादा ग्रसित हैं. 

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कोलेस्ट्रॉल के लक्षण

आमतौर पर हाई कोलेस्ट्रॉल के कोई लक्षण नहीं होते हैं लेकिन अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो यह दिल का दौरा और स्ट्रोक का कारण बन सकता है. यह अक्सर एक छिपा हुआ रिस्क फैक्टर होता है जिसका अर्थ है कि यह हमारे जाने बिना भी हो सकता है जब तक कि बहुत देर न हो जाए तब तक हमें ये पता भी नहीं चल सकता, इसीलिए अपने कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच करवाना बहुत जरूरी है.

युवाओं में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का क्या कारण है?
यह जीवनशैली और डायट्री हैबिट्स से जुड़ा है जिसकी शुरुआत आपके बचपन के चिप्स के पैकेट से होती है. सैचुरेटेड फैट्स और ट्रांस फैट से भरपूर प्रॉसेस्ड फूड और फास्ट फूड का ट्रेंड हाल के दशकों में आसमान छू गया है. अनहेल्दी फूड हैबिट्स, खराब लाइफस्टाइल और फिजिकल एक्टिविटी की कमी शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाती है. 

फैमिली हिस्ट्री और डायबिटीज भी इसकी वजह हो सकती है. 

शीघ्र निदान और रोकथाम
हाई कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग का कारण बन सकता है हालांकि बढ़ा हुआ स्तर खुद लक्षण प्रकट नहीं करता है इसीलिए 20 साल और उससे अधिक उम्र के युवाओं को नियमित तौ पर अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए. इसीलिए 20 साल और उससे अधिक उम्र के युवाओं को हर पांच साल में अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए, भले ही वे फिट दिखें. और अगर कोई लक्षण दिखें तो उन्हें हर साल इसकी जांच करनी चाहिए.

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