तेल-घी फैट से भरपूर होते हैं जिनमें सेचुरेटेड फैट, अनसेटुरेटेड फैट, ट्रांस फैट आदि शामिल होते हैं. कई लोग फैट से बचने के लिए इन चिकनाई वाली चीजों से बचते हैं और इनका सेवन काफी कम करने लगते हैं. हालांकि कई लोग इन्हें खाना पूरी तरह से बंद भी कर देते हैं. वैसे एक्सपर्ट्स का मानना है कि तेल-घी को पूरी तरह बंद करना हो सकता है, शुरू में आपको अच्छा लगे लेकिन बाद में ये शरीर को बहुत नुकसान पहुंचा सकती हैं क्योंकि ये शरीर को फैटी एसिड्स और फैट-घुलनशील विटामिन्स देते हैं.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मस्तिष्क, नर्वस तंत्र और हार्मोन बनाने के लिए फैट जरूरी है इसलिए यदि इन्हे पूरी तरह बंद करना सही नहीं है. तो आइए यदि कोई तेल-घी को खाना पूरी तरह बंद करता है तो उसके शरीर में क्या बदलाव दिख सकते हैं.
कुछ समय के लिए वेट लॉस
तेल-घी को पूरी तरह बंद करने से शरीर में कैलोरी की कमी आएगी जिससे पहले के 1-2 हफ्तों में 2-4 किलो वजन कम लग सकता है. हालांकि, ये फैट बर्न होने से वजन कम नहीं होता बल्कि ये पानी और ग्लाइकोजन रिलीज हो जाने के कारण होता है. PubMED में पब्लिश हुई रिसर्च बताती है, लंबे समय (1 महीने से अधिक) में आवश्यक फैटी एसिड्स (Omega-3, Omega-6) की कमी से मस्तिष्क के न्यूरॉन्स प्रभावित होते हैं जो चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, नींद न आना और एकाग्रता कम होना जैसी समस्याओं को जन्म देता है.
विटामिन का अवशोषण रुक जाएगा
Healthline के मुताबिक, यदि कोई तेल-घी जैसे फैट खाना बिल्कुल बंद कर देता है तो फैट-घुलनशील विटामिन्स A, D, E, K का अवशोषण 90 प्रतिशत तक गिर जाता है क्योंकि फैट के बिना आंतों में इनका अवोशषण नहीं हो पाता. विटामिन A की कमी से रतौंधी और त्वचा फटना, D से हड्डियां कमजोर (ऑस्टियोपोरोसिस), E से एंटीऑक्सीडेंट सुरक्षा खत्म होकर सेल डैमेज, K से खून बहने का खतरा बढ़ता है.
ICMR की INDIAB सर्वे बताती है कि भारतीय डाइट पहले से ही कम फैट (18-22 प्रतिसत कैलोरी) वाला है, इसे जीरो करने से कुपोषण और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर बढ़ते हैं.
हार्मोनल सिस्टम बिगड़ेगा
Proactiveforher में एजुकेशनल कमीशन फॉर फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स से सर्टिफाइड डॉ. डॉ. रेणुका डांगारे का कहना है, 'फैट्स कोलेस्ट्रॉल से एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन और कोर्टिसोल बनाते हैं. यदि कोई फैट खाना बंद कर देगा तो उससे फीमेल और मेल ग्रोथ हार्मोन टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन नहीं बनेगा जिससे हार्मोनल सिस्टम प्रभावित होगा. महिलाओं में पीरियड्स अनियमित, बांझपन, थायरॉइड इम्बैलेंस की समस्या बढ़ेगी और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन 20-30 प्रतिशत तक गिर सकता है जिससे मसल लॉस और थकान जैसी समस्याएं होने लगेंगी.
डाइजेशन पर बुरा असर पड़ेगा
Healthline के मुताबिक, फैट बाइल जूस रिलीज करता है जो फैट पचाने में मदद करता है. फैट के बिना कब्ज, IBS, लीवर पर फैट जमना (NAFLD) और न्यूट्रिएंट मैलएब्जॉर्शन होता है. त्वचा सूखी, बाल पतले और नाखून भंगुर हो जाते हैं क्योंकि स्किन बैरियर के लिए सेबम (फैट-बेस्ड) जरूरी है.
हार्ट के लिए खतरनाक
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अशोक सेठ और अन्य न्यूट्रिशनिस्ट्स का मानना है कि जीरो-फैट डाइट यानी तेल-घी को पूरी तरह खाना बंद कर देना हार्ट के लिए भी खतरनाक हो सकता है क्योंकि इससे HDL (गुड कोलेस्ट्रॉल) गिर जाता है जो हेल्दी हार्ट के लिए जरूरी है. PubMED का कहना है, आयुर्वेद और आधुनिक साइंस घी को CLA (कंजुगेटेड लिनोलेइक एसिड) का सोर्स मानते हैं जो कैंसर-रोधक की तरह काम करता है.
कितना फैट खाना चाहिए?
ICMR गाइडलाइन के मुताबिक कुल कैलोरी का 20-35 प्रतिशत हिस्सा फैट (25-50g/दिन औसत व्यक्ति के लिए) से आना चाहिए, जिसमें 10 प्रतिशत मोनो अनसेचुरेटेड फैटी एसिड या पॉली अनसेचुरेटेड फैटी एसिड (MUFA/PUFA) हो. सरसों तेल, घी, नारियल तेल सीमित मात्रा में लें और इन्हें पूरी तरह खाना बंद ना करें नहीं तो 3-6 महीनों में गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है.
आजतक लाइफस्टाइल डेस्क