इंसानों को तनाव में देख कुत्ते भी हो जाते हैं इमोशनल! ऐसे बदल जाता है उनका व्यवहार

स्ट्रेस से सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि कुत्तों को भी असर होता है. ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च में सामने आया है कि कुत्ते सूंघकर पहचान जाते हैं कि ये शख्स स्ट्रेस में है और उनका भी बर्ताव बदल जाता है.

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कुत्ते इंसानों के स्ट्रेस की पहचान कर लेते हैं. कुत्ते इंसानों के स्ट्रेस की पहचान कर लेते हैं.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 10:51 PM IST

Dogs Can Smell Your Stress: इंसानों के मुकाबले जानवरों में समझने की क्षमता तेज होती है और खासकर कुत्ते तो अपने मालिक की हर बात समझ लेते हैं. देखकर और सुनकर कुत्ते इंसानों की हर बात को समझ जाते हैं और फिर वैसा ही बर्ताव करते हैं. कुत्ते अपने मालिक की परेशानी जान लेते हैं और ऐसा भी कहा जाता है कि उनको नेगेटिव एनर्जी का भी पहले से अहसास हो जाता है. हाल ही में हुई एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जब इंसान किसी तरह के स्ट्रेस में होता है, तो उसकी बॉडी से एक खास तरह की स्मेल निकलती है. ये स्मेल हमारे पालतू कुत्तों की फीलिंग्स को भी इफेक्ट कर सकती है.

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जब कोई शख्स किसी भी तरह के तनाव में होता है तो उसके पसीने और उसकी बॉडी से आने वाली स्मेल उनके पास मौजूद लोगों के मेंटल हेल्थ जिसमें उनकी फीलिंग्स और चॉइस को बिना उसके बारे में जाने ही इफेक्ट करती है. लेकिन हाल ही में ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च की गई है जिसमें बताया गया है कि यदि कोई शख्स स्ट्रेस में होता है तो उसके पसीने की बदबू सूंघकर कुत्ते में तनाव में आ जाते हैं. इससे उनका व्यवहार कैसे बदल जाता है.

क्या कहती है रिसर्च

ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी की सीनियर लेक्चरर निकोला रूनी ने 18 कुत्तों और उनके मालिकों पर रिसर्च की और पाया पालतू कुत्ते अपने मालिक की फीलिंग्स को लेकर सेंसिटिव होते हैं लेकिन इस रिसर्च में हमने देखा कि अगर कोई अनजान शख्स स्ट्रेस में है तो उसकी स्मेल से भी कुत्ते इमोशनली इफेक्ट हो जाते हैं.

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इस दौरान जब इंसान स्ट्रेस में था-जैसे कि किसी इंटरव्यू या एग्जाम से पहले तब उसके शरीर से निकलने वाली पसीने और सांस की स्मेल में बदलाव पाया गया. उसके बाद ये स्मेल कुत्तों को दी गई जिससे उनकी भावनाओं, सोच और सीखने की क्षमता पर असर पड़ा.

कुत्तों में आया क्या बदलाव?

रिसर्च में सबसे पहले कुत्तों को सिखाया गया कि एक खास जगह पर रखा कटोरा हमेशा भरा होता है और दूसरी जगह वाला खाली है. फिर कटोरों को नई जगह पर रखा गया और देखा गया कि कुत्ता कितनी तेजी से उनके पास जाता है. अगर कुत्ता तेजी से कटोरे की ओर बढ़ता है, तो ये माना गया कि उसे उम्मीद है कि उसे खाना मिलेगा.

लेकिन अगर वो धीरे-धीरे और घबराते हुए आगे बढ़ा तो इसका मतलब है कि उसे शक है कि उसे खाना मिलेगा या नहीं. उसके बाद कुत्तों को तनाव वाले इंसान की स्मेल सूंघने को दी गई, जिसके बाद वो डरते हुए कटोरे की तरफ गए, इसका मतलब साफ है कि उनके नेगेटिव अहसाल हुआ. वहीं, आराम से रहने वाले लोगों की गंध पर कुत्तों में ऐसा कोई बदलाव नहीं देखा गया.

कुत्ते कैसे करते हैं पहचान?

कुत्तों की सूंघने की शक्ति इंसानों से लाखों गुना ज्यादा तेज होती है. वे सिर्फ स्मेल से ही ये जान सकते हैं कि इंसान खुश है, दुखी है या स्ट्रेस में है. जब उन्होंने स्ट्रेस वाली स्मेल सूंघी, तो कई कुत्तों में बेचैनी, ध्यान देना और सिम्पथी जैसे व्यवहार दिखे. इस रिसर्च से ये बात साबित होती है कि हमारे पालतू जानवर, खासकर कुत्ते, हमारी भावनाओं को सिर्फ देखने या सुनने से ही नहीं, बल्कि सूंघने से भी समझते हैं. इससे ये भी पता चलता है कि जब हम परेशान होते हैं, तो हमारे पालतू जानवरों पर भी असर पड़ता है.

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