दूध पीना भारतीयों में एक परंपरा की तरह है, जिसे अधिकतर घरों में आज भी फॉलो किया जाता है. भारत में दूध को कम्प्लीट फूड भी माना जाता है और यह लोगों के लिए शक्ति,सेहत और परंपरा का प्रतीक है. सुबह नाश्ते से लेकर रात को सोने से पहले दूध लोग पीते हैं और अक्सर ही आपने सुना होगा कि दूध पीने से ताकत आती है. मगर अब दूध को लेकर डॉक्टर ने नई बहस छेड़ दी है, दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. अंशुमन कौशल (@theangry_doc) ने इंस्टाग्राम पर अपना एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि ज्यादातर भारतीयों को गैस नहीं बल्कि दूध से समस्या होती है. उनके बयान ने पूरे देश में दूध को लेकर नई चर्चा छेड़ दी है.
डॉ. कौशल के मुताबिक, दुनिया भर में लगभग दो-तिहाई वयस्कों का शरीर बचपन के बाद लैक्टोज डाइजेस्ट करने में कमजोर हो जाता है. एशिया में यह संख्या 80–90% तक है.लैक्टोज, दूध में पाया जाने वाला प्राकृतिक शुगर होता है, इसे पचाने के लिए शरीर को लैक्टेज नामक एंजाइम चाहिए, जो उम्र बढ़ने पर कम हो जाता है.
डॉ. कौशल कहते हैं, 'अक्सर लोग इसे एसिडिटी मानते हैं, लेकिन वो असल में दूध से होने वाली परेशानी होती है'
डॉ. कौशल सलाह देते हुए कहते है कि आपका शरीर बोल रहा है, यह कहना बंद करें कि मैं ठीक हूं.
डॉ. कौशल एक आसान टेस्ट बताया, जिसे करके आप यह पता लगा सकते हैं कि आपको दूध से परेशानी है या नहीं.
डॉक्टर कहते हैं कि सिर्फ दूध ही कैल्शियम का सोर्स नहीं है, कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए दूध के अलावा भी कई चीजें हैं, जिनसे आप आसानी से दूध से भी ज्यादा कैल्शियम हासिल कर सकते हैं.
आजकल युवाओं में पेट की समस्याएं, थकान और क्रॉनिक एसिडिटी बहुत आम हो गई हैं. डॉ. कौशल के मुताबिक, अगर दूध पच नहीं रहा तो यह लंबे समय में गट हेल्थ और इम्यूनिटी को नुकसान पहुंचा सकता है.
मायो क्लिनिक के अनुसार, लैक्टोज इन्टॉलरेंस से मौत का खतरा नहीं होता, लेकिन यह रोजमर्रा की आरामदायक जिंदगी खराब कर सकता है.जरूरी है कि लोग अपनी टॉलरेंस को समझें, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लें और खान-पान में संतुलन बनाएं.
आजतक लाइफस्टाइल डेस्क