How much paracetamol is safe: भारतीय बाजारों में हर बीमारी के लिए अलग-अलग दवाएं मौजूद हैं लेकिन एक दवा ऐसी है, जिसे ज्यादातर लोग सभी बीमारियों का हल मान बैठे हैं. इसे आम बोलचाल की भाषा में 'बुखार वाली गोली' भी कहा जाता है. अगर आपके मन में सवाल उठ रहा है कि यह दवा कौन सी है तो बता दें ये 'पैरासिटामोल' है, जिसे लोग बुखार-दर्द होते ही मेडिकल स्टोर पर लेने पहुंच जाते हैं. इस दवा को लेने के लिए लोग किसी डॉक्टर को कंसल्ट करना भी पसंद नहीं करते हैं. शायद आप उन लोगों में से एक आप भी हों, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि 'पैरासिटामोल' सभी बीमारियों का इलाज नहीं है.
यह ऐसी दवा नहीं है जिसे आप बुखार आने से लेकर पीठ के दर्द तक में इस्तेमाल कर सकें. अगर आप इसे दर्द को खत्म करने के लिए भी लेते हैं तो आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं. ऐसा क्यों? आज हम इस आर्टिकल में आपको समझाएंगे कि आखिर पैरासिटामोल क्या है? ये कैसे असर करती है? इसे किस तरह लेना चाहिए, किसे नहीं लेना चाहिए? पैरासिटामोल लेना कब खतरनाक हो सकती है? तो चलिए सब कुछ विस्तार से समझते हैं....
कुछ समय पहले अमेरिकी डॉक्टर ने दी चेतावनी
कुछ दिन पहले अमेरिका के एक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट ने भारतीयों द्वारा डोलो-650 के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया और X पर किए गए अपने एक ट्वीट में इस दवा की तुलना कैडबरी जेम्स से कर डाली. उन्होंने कहा, 'भारती डोलो 650 को जेम्स (टॉफी) की तरह खाते हैं.'
दरअसल, डोलो-650 बुखार और दर्द के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा पैरासिटामोल का एक ब्रांड नेम है, जो COVID-19 के दौरान मशहूर हुआ था. तो आइए अब जान लीजिए कि पैरासिटामोल क्या होता है, ये कैसे काम करता है, इसकी कितनी मात्रा सही है और ओवरडोज से क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं.
क्या है पैरासिटामोल?
पैरासिटामोल (पैनाडोल, कैलपोल, एल्वेडॉन) एक एनाल्जेसिक (Analgesic) और एंटीपायरेटिक (Antipyretic) दवा है, जिसका इस्तेमाल दर्द और बुखार को अस्थायी रूप से राहत देने के लिए किया जाता है. इसे आमतौर पर सर्दी और फ्लू की दवाओं में ली जाने वाली दवाई के रूप में लिया जाता. आसान भाषा में कहें तो पैरासिटामोल एक पेनकिलर है जिसका इस्तेमाल बुखार और दर्द के इलाज के लिए किया जाता है. यह टैबलेट, कैप्सूल, सिरप और पाउडर के रूप में मार्केट में उपलब्ध है.
पैरासिटामोल बिल्कुल एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) जैसी ही दवाई है. जहां यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और भारत जैसे देशों में इस दवा को पैरासिटामोल नाम से मार्केट में बेचा जाता है, वहीं अमेरिका, कनाडा और जापान जैसे देशों में इसे 'एसिटामिनोफेन' नाम दिया गया है. 'पौरासिटामोल' और 'एसिटामिनोफेन' का महज नाम अलग है, लेकिन इन दवाइयों का सॉल्ट एक ही है.
पैरासिटामोल पहली बार 1878 में बनाई गई थी लेकिन व्यापक रूप से इसका इस्तेमाल 1950 के दशक से किया गया था. आज पैरासिटामोल दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली पेनकिलर्स में से एक है. अब पूरी दुनिया में इस दवा के ब्रांडेड और जेनेरिक वर्जन्स मौजूद हैं.
भारत में डोलो-650 की खपत?
कोविड-19 के दौरान भारत में डोलो-650 एक आम नाम बन गई थी. जहां पैरासिटामोल पहले से ही भारत में मशहूर थी, वहीं डोलो-650 की प्रसिद्धि कोविड-19 के दौरान बढ़ी थी. बेंगलुरु बेस्ड कंपनी माइक्रो लैब्स ने डोलो-650 बनाई थी. 2022 में फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रो लैब्स ने 2020 में कोविड-19 की शुरुआत के बाद से डोलो-650 की 350 करोड़ से अधिक गोलियां बेचीं, जिससे एक साल में 400 करोड़ रुपये का रेवेन्यु प्राप्त हुआ था.
मार्केट रिसर्च फर्म IQVIA के अनुसार, महामारी से पहले, दवा कंपनी हर साल डोलो-650 की लगभग 7.5 करोड़ स्ट्रिप्स बेचती थी. एक साल बाद यह आंकड़ा बढ़कर 9.4 करोड़ स्ट्रिप्स हो गया. 2021 के अंत तक, यह बढ़कर 14.5 करोड़ स्ट्रिप्स हो गया, जो 2019 की तुलना में लगभग दोगुना है.
वहीं 2019-20 में 7.54 करोड़ से अधिक डोलो-650 टैबलेट बेची गई थीं. 2020-21 में यह आंकड़ा थोड़ा कम हुआ, जिस साल कोविड-19 अपनी पीक पर था, उस साल 7.40 करोड़ से अधिक टैबलेट बेची गई थीं. फिर अगले साल 2021-22 में डोलो टैबलेट की मात्रा दोगुनी होकर 15.33 करोड़ से अधिक हो गई थी.
क्यों इस्तेमाल की जाती है पैरासिटामोल?
पैरासिटामोल का इस्तेमाल मुख्य रूप से दर्द से राहत दिलाने और बुखार को कम करने के लिए किया जाता है. हालांकि, लोग अक्सर सिरदर्द और माइग्रेन जैसी स्थितियों में भी इसे लेते हैं. यह पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए भी प्रभावी मानी जाती है.
बहुत से लोग इसका उपयोग दांत दर्द, पीरियड पेन (डिसमेनोरिया), सर्दी, फ्लू, गले में खराश या साइनस की समस्या से होने वाले दर्द को कम करने के लिए करते हैं. इसके अलावा, पैरासिटामोल सर्जरी के बाद दर्द को कंट्रोल करने और तेज बुखार को कम करने में भी सहायक है.
पैरासिटामोल (एसिटामिनोफेन) कई अलग-अलग सर्दी और फ्लू की दवाओं में पाया जाता है. अगर आप पैरासिटामोल या एसिटामिनोफेन वाली कोई अन्य दवा ले रहे हैं तो पैरासिटामोल नहीं खानी चाहिए.
कैसे काम करती है पैरासिटामोल?
यह पूरी तरह से साफ नहीं है कि पैरासिटामोल कैसे काम करता है लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह दिमाग में उन केमिकल मैसेंजर्स को ब्लॉक कर देता है जो दर्द का संकेत देते हैं. यह हमारे बॉडी टेंपरेचर को कंट्रोल करने वाले मैसेंजर्स को भी प्रभावित करता है, यही कारण है कि यह बुखार को कम करने में मदद करता है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि पैरासिटामोल शरीर को प्रोस्टाग्लैंडीन नामक पदार्थ बनाने से रोकता है जो तब बनते हैं जब कोई बीमार होता है या उसे चोट लगती है. अगर हमारे शरीर में दर्द और सूजन होगी तो भी ये पदार्थ बन सकता है. पैरासिटामोल शरीर में अन्य प्रणालियों को भी प्रभावित कर सकता है जो सभी लोगों को महसूस कराते हैं कि उन्हें दर्द और बेचैनी हो रही है.
किसे नहीं लेनी चाहिए पैरासिटामोल?
अगर किसी व्यक्ति को पैरासिटामोल या इसमें मौजूद किसी अन्य इंग्रेडिएंट से एलर्जी है तो पैरासिटामोल युक्त दवाई न लें. इसके साथ ही बता दें 10 साल से कम उम्र के बच्चों को पैरासिटामोल नहीं खानी चाहिए. बच्चों के लिए इसे सिरप के रूप में बनाया जाता है जिसकी डोज सीमित है.
पैरासिटामोल की कितनी डोज सुरक्षित?
पैरासिटामोल को हमेशा अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट द्वारा बताए गए तरीके से ही लेना चाहिए. कभी भी उनके द्वारा बताई गई खुराक से ज्यादा न लें, क्योंकि पैरासिटामोल अलग-अलग मिलीग्राम में आती हैं और उसके अनुसार डोज के दिशानिर्देश में अलग हो सकते हैं. आम तौर पर, पैरासिटामोल को हर 4 से 6 घंटे में लिया जा सकता है, लेकिन आपको प्रत्येक खुराक के बीच कम से कम 4 घंटे का अंतर रखना चाहिए और 24 घंटे की के भीतर चार से ज्यादा खुराक लेने से बचना चाहिए.
आपको 3 दिनों से अधिक समय तक पैरासिटामोल लेना जारी नहीं रखना चाहिए जब तक कि आपके डॉक्टर ने आपको ऐसा करने के लिए न कहा हो. यदि आपके लक्षण बिगड़ते हैं या ठीक नहीं होते हैं, तो आगे की सलाह के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए.
क्या होगा यदि पैरासिटामोल की ओवरडोज ली जाए?
अगर आप पैरासिटामोल की डोज ले लेते हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें या पोइजन (जहर) नियंत्रण केंद्र से संपर्क करें. अगर ओवरडोज लेने के बाद भी स्वस्थ दिख रहे हैं तब भी तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.
पैरासिटामोल से लिवर को गंभीर नुकसान हो सकता है. पहले 24 घंटों के दौरान ओवरडोज के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, हालांकि बाद में आपका शरीर पीला पड़ सकता है, आपको बहुत ज्यादा पसीना आ सकता है और उल्टी भी हो सकती है. इसके साथ ही आपको भूख लगना बंद हो जाता और पेट में दर्द भी हो सकता है. डॉ. सिंगला ने पैरासिटामोल के कुछ और लक्षण भी बताए हैं:
पैरासिटामोल के साइड इफेक्ट्स
आमतौर पर अगर पैरासिटामोल को सही तरीके से लिया जाए तो ये सुरक्षित रहती है, लेकिन कुछ मामलों में इसके गंभीर साइड इफेक्ट्स नजर आ सकते हैं. कुछ लोगों को एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है, जिसमें स्किन पर चकत्ते, खुजली, पित्ती या चेहरे, जीभ या गले में सूजन शामिल हो सकती है. सांस लेने में तकलीफ जैसे घबराहट या सांस फूलना भी हो सकता है.
इसके अन्य साइड इफेक्ट्स में स्किन का छिलना, मुंह के छाले, चोट या ब्लीडिंग, हद से ज्यादा थकान महसूस होना या इनफेक्सन होना शामिल है. पैरासिटामोल कभी-कभी लिवर को भी प्रभावित कर सकती है. अगर पैरासिटामोल का असर आपके लिवर पर पड़ता है तो अचानक आपका वजन कम हो सकता है, भूख लगनी कम हो जाती है और स्किन या आंखें पीली पड़ जाती हैं.
डॉ. सिंगला के मुताबिक, गंभीर मामलों में, पैरासिटामोल की ओवरडोज लेने से:
लिवर को नुकसान: पैरासिटामोल, लिवर द्वारा मेटाबॉलाइज की जाती है और हद से ज्यादा डोज लेने के कारण लिवर सेल्स को नुकसान हो सकता है और लिवर फेलियर का खतरा हो सकता है.
किडनी को नुकसान: बहुत से मामलों में, पैरासिटामोल की ओवरडोज के कारण किडनी को भी नुकसान हो सकता है.
लिवर को कैसे खराब करती है पैरासिटामोल?
हद से ज्यादा पैरासिटामोल खाने से लिवर डैमेज हो सकता है. यह सिर्फ हमारा नहीं बल्कि देश के मशहूर लिवर डॉक्टर शिवकुमार सरीन का भी कहना है. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि बार-बार पैरासिटामोल लेना अच्छा नहीं है. उनकी मानें तो आज के समय में विदेश में लिवर फेलियर की सबसे बड़ी वजह पैरासिटामोल है.
लिवर में ग्लूटाथिओन नामक तत्व होता है, जो आपकी बॉडी के इस जरूरी भाग को डैमेज होने से बचाता है. ग्लूटाथिओन ही पैरासिटामोल को न्यूट्रिलाइज करता है और लिवर को होने वाले नुकसान से बचाता है. हालांकि, शराब पीने वाले व्यक्ति, मोटापे से ग्रस्त लोगों में ग्लूटाथिओन की मात्रा कम हो जाती है, जो उनके लिवर डैमेज होने का कारण बनती है. डॉक्टर सरीन की मानें तो पैरासिटामोल लेने की एक क्षमता होती है. अगर उस क्षमता से ज्यादा यह दवा ली जाए तो लिवर को नुकसान हो सकता है.
नोट: कभी भी बिना डॉक्टर से परामर्श किए किसी भी तरह की दवा नहीं लेनी चाहिए. किसी भी तरह की बीमारी होने पर सबसे पहले अपने फैमिली डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी मंजूरी से या प्रिसक्राइब्ड की हुई दवा ही लें.
पलक शुक्ला