Covid-19 in india: हांगकांग और सिंगापुर सहित एशिया के कुछ हिस्सों में कोविड-19 संक्रमण के मामले फिर से बढ़ रहे हैं जिसके कारण हेल्थ एजेंसीज अलर्ट पर आ गई हैं और वे लोग कोविड-19 मामलों में वृद्धि पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. हालांकि नए मामलों की संख्या पिछली लहरों में आए मामलों से काफी कम है लेकिन भारत में भी कोरोना के नए मामले बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग सावधान हो गया है. जानकारी के मुताबिक, मुंबई, चेन्नई और अहमदाबाद जैसे शहरों में संक्रमण में छोटी लेकिन उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. स्वास्थ्य अधिकारी इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (ILI) या गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (SARI) से पीड़ित सभी रोगियों की कोविड-19 के लिए जांच कर रहे हैं.
ऐसे में हर किसी के मन में कोरोना को लेकर कई सवाल हैं जैसे क्या बूस्टर डोज लेने की जरूरत है? क्या मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए? आदि. आज इस स्टोरी में हम आपको ऐसे ही कई सवालों के जवाब देंगे जो आपको जानने की जरूरत है.
1. क्या बूस्टर डोज लेने की जरूरत है?
मैक्स हेल्थकेयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर और इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंटरनल मेडिसिन के सीनियर डायरेक्टर डॉ. संदीप बुद्धिराजा का कहना है, 'अपडेटेड कोविड-19 बूस्टर, जेएन.1 संक्रमण के खिलाफ महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करते हैं. वे गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को भी काफी हद तक कम करते हैं. हालांकि जेएन.1 (अभी फैलने वाला स्ट्रेन) के विशिष्ट टीके अभी तक उपलब्ध नहीं हैं फिर भी स्वास्थ्य विशेषज्ञ कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, बुजुर्ग और कुछ खास मामलों में बूस्टर डोज की खुराक की सिफारिश कर सकते हैं.'
रूबी हॉल क्लिनिक के फिजीशियन और ट्रस्टी डॉ. साइमन ग्रांट, 'संक्रमण से प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विशेषज्ञ अधिक जोखिम वाले व्यक्तियों को एहतियात के तौर पर बूस्टर टीके लेने की सलाह दे रहे हैं. वैक्सीन की प्रभावशीलता समय के साथ कम हो सकती है, और बूस्टर खुराक सुरक्षा बहाल करने में मदद कर सकती है.'
2. क्या मास्क पहनना चाहिए?
डॉ. बुद्धिराजा का कहना है, 'हम मास्क के उपयोग की सलाह देते हैं, विशेष रूप से भीड़-भाड़ वाले इनडोर जगहों पर. या फिर अगर आप किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं या इम्यूनिटी कमजोर है तो भी आपको मास्क पहनना चाहिए.'
3. क्या यह कोई नया कोविड वैरिएंट है?
डॉ साइमन ग्रांट के मुताबिक, 'सिंगापुर और हांगकांग सहित एशिया के कुछ हिस्सों में मामलों में हाल ही में हुई वृद्धि मुख्य रूप से JN.1 वैरिएंट और इसके सब-वैरिएंट, जैसे LF.7 और NB.1.8 के कारण हुई है. JN.1 वैरिएंट ओमिक्रॉन BA.2.86 स्ट्रेन का सब-वैरिएंट है और पहली बार अगस्त 2023 में संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका पता चला था. जबकि मूल BA.2.86 व्यापक रूप से नहीं फैला, JN.1 ने अधिक संक्रामकता दिखाई है.'
4. क्या भारत को जे.एन-1 से खतरा है?
डॉ. बुद्धिराजा ने कहा, 'नहीं. घबराने की कोई जरूरत नहीं है. भारत में अभी भी मामले कम हैं और ज़्यादातर मामले हल्के हैं. लेकिन यह फिर से उभरना एक चेतावनी है कि कोविड-19 अभी खत्म नहीं हुआ है. यह बस एक अलग चरण में है. इसे मौसमी फ्लू की तरह समझें लेकिन कमजोर लोगों के लिए खतरा है.'
'जीनोमिक सर्विलांस उभरते हुए वेरिएंट की पहचान करने और उनके प्रसार को ट्रैक करने में मदद करती है. यह उपचार दिशा-निर्देशों और वैक्सीन रणनीतियों को अपडेट करने के लिए भी महत्वपूर्ण है. इसलिए इस पर खास ध्यान देना चाहिए.'
5. हाथ बार-बार धोना जरूरी है?
डॉ. बुद्धिराजा ने कहा, 'यह घबराने की बात नहीं है, यह तैयारी की बात है. वैसे भी घर के बाहर से आकर घर में हाथ धोना एक अच्छी आदत है और आप तो जानते ही होंगे कि कोरोना के बाग से लोगों का साफ-सफाई की ओर रुझान और बढ़ गया है. इसलिए आप जब भी बाहर से घर आएं एहतिहात के तौर पर हाथ धोना जारी रखें.
6. जेएन.1 कितना संक्रामक है?
दक्षिण-पूर्व एशिया में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि मुख्य रूप से JN.1 वैरिएंट के कारण हुई है जो कि ओमिक्रॉन BA.2.86 वैरिएंट का वंशज है. जेएन.1 अपने मूल स्ट्रेन की तुलना में फैलने में अधिक तेज है. इसके म्यूटेशन इसे मानव कोशिकाओं से अधिक आसानी से जुड़ने और इम्यूनिटी को चकमा देने में मदद करते हैं. यह वायरस पहले के कोविड वेरिएंट की तरह ही फैलता है.
WHO के अनुसार, JN.1 वैरिएंट में लगभग 30 म्यूटेशन हैं और उनमें से LF.7 और NB.1.8 हैं जो हाल ही में रिपोर्ट किए गए मामलों में 2 सबसे कॉमन वैरिएंट हैं.
7. क्या हर इंसान को खतरा है?
डॉ. साइमन के मुताबिक, 'वैसे तो कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है, लेकिन अधिक जोखिम वाले समूह, जैसे कि बुज़ुर्ग और वे लोग जिन्हें पहले से ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं या जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, वे लोग आमतौर पर गंभीर बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं. सिंगापुर जैसे क्षेत्रों में जहां संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, स्वास्थ्य अधिकारी विशेष रूप से इन समूहों को बूस्टर शॉट लेने की सलाह दे रहे हैं.'
जेएन.1 के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बताया था कि जेएन.1, सब-वैरिएंट BA.2.86 में एक एक्स्ट्रा म्यूटेशन से बना है और यह काफी तेजी से फैलता है. इसलिए सभी को सावधान रहने की जरूरत है. जनवरी 2024 में दिल्ली में जेएन.1 सब-वैरिएंट का केस मिलने के बाद एम्स ने बताया था कि कौन से लक्षण वालों को बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतनी है और अगर ये लक्षण दिखे तो तुरंत जांच करानी चाहिए.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड-19 के अलग-अलग वैरिएंट के कारण उसके लक्षणों में बदलाव दिख सकते हैं क्योंकि भारत के लोगों को वैक्सीन की डोज लग चुकी हैं.
कई लोगों को बूस्टर डोज भी लग चुकी है. हर बॉडी और उसकी इम्यूनिटी के आधार पर लोगों में अलग-अलग लक्षण नजर आ सकते हैं. सीडीसी ने 8 दिसंबर 2023 को जेएन.1 स्ट्रेन पर चर्चा करते हुए एक रिपोर्ट में कहा था, 'जेएन.1 के लक्षण कितने गंभीर पर हैं, यह बात व्यक्ति की इम्यूनिटी और ओवरऑल हेल्थ पर डिपेंड करती है.'
यूके के हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड के जेएन.1 सब-वैरिएंट से संक्रमित लोगों ने कुछ संकेत बताए हैं, जिनमें शामिल हैं:
यूके के डॉक्टर्स के मुताबिक, 'खांसी, गले में खराश, छींक आना, थकान और सिरदर्द सबसे अधिक बताए गए लक्षणों में से एक है लेकिन ये इंफ्लूएंजा के लक्षण भी हो सकते हैं इसलिए पहले टेस्ट कराएं.'
वैक्सीनेशन या पुराने संक्रमण से प्राप्त एंटीबॉडी के कारण नए वैरिएंट के कारण होने वाले मामूली लक्षणों में होने वाले परिवर्तनों को बताना मुश्किल है. खांसी, गले में खराश, छींक आना, थकान और सिरदर्द ज्यादातर लोगों में दिखाई दिया
आजतक लाइफस्टाइल डेस्क