हल्दी अधिक खाई तो किडनी-लिवर हो सकते हैं फेल! सुरक्षित मात्रा के साथ जानें किन्हें अधिक जोखिम

हल्दी भारतीय भोजन और आयुर्वेद में महत्वपूर्ण है, लेकिन अधिक सेवन से किडनी और लिवर को नुकसान हो सकता है. WHO के मुताबिक, किन लोगों को हल्दी के सेवन से सावधान रहना चाहिए, सुरक्षित मात्रा क्या है, इस बारे में जानेंगे.

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हल्दी में कर्क्यूमिन मुख्य कंपाउंड होता है. (Photo: Adobe Image/ITG) हल्दी में कर्क्यूमिन मुख्य कंपाउंड होता है. (Photo: Adobe Image/ITG)

आजतक हेल्थ डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:55 PM IST

हल्दी भारतीय भोजन और आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक अहम मसाला और औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है. इस मसाले के आयुर्वेद में भी काफी फायदे गिनाए गए हैं. इसमें एक कंपाउंड होता है करक्यूमिन जो कि हल्दी की सबसे बड़ी ताकत होता है. इसे सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए भी जाना जाता है इसलिए कोई चोट लगने पर हल्दी वाला दूध पीने की सलाह दी जाती है. हालांकि यदि हल्दी का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो ये लिवर और किडनी की हेल्थ को भी नुकसान पहुंचान पहुंचा सकती है. अगर आप भी हल्दी का सेवन करते हैं तो पहले इसके नुकसान और तय मात्रा भी जान लीजिए.

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किडनी पर बुरा असर कब होता है?

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन की रिसर्च के मुताबिक, हल्दी में ऑक्सलेट होता है जो अधिक मात्रा में लेने पर पेशाब में ऑक्सलेट की मात्रा बढ़ा देता है जिससे कैल्शियम ऑक्सलेट किडनी स्टोन का जोखिम बढ़ा सकता है. ये समस्या उन लोगों में और अधिक गंभीर हो सकती है जिन्हें पहले स्टोन की प्रॉब्लम हो चुकी है.

एक अन्य रिपोर्ट बताती हैं कि लंबे समय तक दूसरी दवाओं या बीमारियों के साथ हल्दी या कर्क्यूमिन सप्लीमेंट की हैवी डोज लेने से कुछ लोगों में ऑक्सलेट नेफ्रोपैथी (किडनी को नुकसान) जैसे केस भी सामने आए हैं.

लिवर पर बुरा असर कब होता है?

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन की रिसर्च के मुताबिक, सामान्य डाइट में हल्दी आमतौर पर सुरक्षित और कई बार लिवर की सूजन के लिए फायदेमंद भी पाई गई है.​ लेकिन पिछले कुछ सालों में लोगों ने हल्दी या कर्क्यूमिन सप्लीमेंट की अधिक मात्रा लेनी शुरू की है. रिपोर्ट के मुताबित, ऐसे लोगों में 1–4 महीने के अंदर इंटेंस ड्रग‑इंड्यूस्ड लिवर इंजरी, लिवर फेल और कभी‑कभी हेपाटो‑रेनल सिंड्रोम तक देखा गया है. ये समस्याएं तब और बढ़ जाती हैं जब हल्दी में पिपरीन (काली मिर्च का अर्क) मिला हो जो अवशोषण बहुत बढ़ा देता है.​

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हल्दी की सुरक्षित मात्रा और सेफ्टी

WHO 0–3 mg प्रति किलो बॉडी वेट के हिसाब से प्रतिदिन कर्क्यूमिन की मात्रा को सीमित करने की सलाह देता है. उदाहरण के लिए यदि किसी का वजन 60-70 किलो है तो उसे लगभग 200 mg प्रतिदिन से अधिक कर्क्यूमिन नहीं लेना चाहिए. अगर भारतीयों की डाइट की बात करें तो उन्हें सामान्य भारतीय डाइट में 2–2.5 g हल्दी से सिर्फ 60–100 mg कर्क्यूमिन ही मिलता है.

खाना बनाते समय रोजाना आधा या एक चम्मच हल्दी (लगभग 2–3 g) तक आमतौर पर सुरक्षित है, अगर किडनी/लिवर की कोई गंभीर बीमारी नहीं है तो.

जिन लोगों को पहले से ही किडनी की बीमारी, किडनी स्टोन, लिवर डिजीज (फैटी लिवर, हेपेटाइटिस आदि), गॉलब्लैडर स्टोन है या फिर वे खून पतला करने वाली, इम्यूनसप्रेसेंट, टैक्रोलिमस आदि दवाएं ले रहे हों तो उन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना तय मात्रा से अधिक हल्दी नहीं लेना चाहिए.​

यदि हल्दी/कर्क्यूमिन सप्लीमेंट लेने के बाद पीलिया, गहरा पेशाब, तेज थकान, पेट में दाएं ऊपर दर्द, या अचानक किडनी की शिकायत जैसे लक्षण हों, तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए.

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