काला चश्मा पहनना है तो इन बातों को जरूर जान लें...

सनग्लासेज तो हमारी स्टाइल स्टेटमेंट का हिस्सा है लेकिन इसको लेकर कुछ मिथ भी हैं. अगर आप इन मिथ्स को सही मान लेते हैं तो आपकी आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है.

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सनग्लासेज से जुड़े कुछ मिथ सनग्लासेज से जुड़े कुछ मिथ

स्वाति पांडे

  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 1:19 PM IST

सनग्लासेज पहनना हमेशा से ट्रेंडी माना जाता है. कुछ लोग क्लासी दिखने के लिए पहनते हैं, तो कुछ लोग अपनी आंखों को सुरक्षा देने के लिए. हालांकि इन्हें लेकर कुछ मिथ भी प्रचलित हैं लेकिन अगर आप अपने आंखों की सुरक्षा करने चाहते हैं तो इन मिथ्स पर ध्यान ना देना ही उचित है.

1. महंगे शेड्स ही अच्छे होते हैं: शेड्स खरीदते वक्त कीमत देखने के अलावा आपको यह भी देखना चाहिए कि शेड्स UVA और UVB किरणों से आपकी आंखों को पूरी सुरक्षा दे रहे हैं या नहीं.

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2. लेंस का रंग मायने रखता है: आपके लेंस का रंग चाहे ग्रे हो, ब्लू हो या कुछ भी हो. रंग UV प्रोटेक्शन फैक्टर पर कोई असर नहीं डालता.

3. स्क्रेच सही हैं: ऐसा नहीं है. अगर आपके शेड्स में स्क्रेच है तो आप देखने के लिए अपनी आंखों पर ज्यादा जोर देते हैं. ऐसा करने से आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है.


4. साइज से फर्क नहीं पड़ता: अगर आपको लगता है कि साइज से कोई फर्क नहीं पड़ता, तो आप गलत हैं. एक्सपर्ट्स की माने तो, बड़े लेन्स वाले शेड्स अच्छे होते हैं क्योंकि वो रोशनी को आपकी आंखों में जाने नहीं देते.

5. सारे सनग्लासेज एंटी-ग्लेयर होते हैं: जिन चश्मों में पोलराइज्ड लेंस होता है, सिर्फ वहीं एंटी-ग्लेयर होते हैं.

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6. लो-क्वालिटी के शेड्स भी ठीक होते हैं: यह सही है कि हम सब पैसे बचाना चाहते हैं, लेकिन जब बात सनग्लासेज की आती है तब अच्छी क्वालिटी के शेड्स खरीदना ही सही होता है.


7. डार्क लेंस ज्यादा सुरक्षा करते हैं: लेंस के कलर का सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं होता.

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