मदरसों को मिलती रहेगी सरकारी फंडिंग, सुप्रीम कोर्ट NCPCR की सिफारिश पर लगाई रोक

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मुस्लिम संगठन जमियत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता की दलीलों पर गौर किया कि एनसीपीसीआर की सिफारिश और कुछ राज्यों की ओर से इसके परिणामस्वरूप की गई कार्रवाई पर रोक लगाने की आवश्यकता है.

Advertisement
मदरसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई NCPCR की सिफारिश पर रोक (AI Photo) मदरसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई NCPCR की सिफारिश पर रोक (AI Photo)

कनु सारदा

  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 1:29 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में मदरसों को बंद करने की राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सिफारिश पर रोक लगा दी है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह फैसला सुनाया. शिक्षा के अधिकार कानून का पालन न करने के कारण NCPCR ने मदरसों को उचित शिक्षा प्रदान करने के लिए अनुपयुक्त और अयोग्य करार दिया था.

Advertisement

जमीयत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने दलील दी कि इस मामले में सभी राज्यों को पक्ष बनाया जाना चाहिए, क्योंकि कई राज्य ऐसे कदम उठा रहे हैं. इस पर सीजेआई ने नोटिस जारी करने को कहा है और कहा कि किसी भी सरकार द्वारा जारी अधिसूचना पर रोक लगाई जाए.

चार हफ्ते के भीतर दाखिल करना होगा जवाब

एनसीपीसीआर ने विभिन्न राज्यों को दो पत्र लिखे थे. जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में तर्क दिया कि इस कार्रवाई से अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन के अधिकार का उल्लंघन हुआ है.  मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिका पर केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया और चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: 'मदरसों में नहीं मिल रही बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन...', NCPCR ने किया विरोध

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मुस्लिम संगठन जमियत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता की दलीलों पर गौर किया कि एनसीपीसीआर की सिफारिश और कुछ राज्यों की ओर से इसके परिणामस्वरूप की गई कार्रवाई पर रोक लगाने की आवश्यकता है.

राज्यों के आदेश रहेंगे स्थगित

संगठन ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकारों के उस निर्देश को चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि इस वर्ष सात जून और 25 जून को जारी एनसीपीसीआर के सिफारिश पर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इसके परिणामस्वरूप किए गए राज्यों के आदेश भी स्थगित रहेंगे.

दरअसल, NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी दलील में कहा था कि मदरसों में बच्चों को औपचारिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है. मदरसे जरूरी शैक्षिक माहौल और सुविधाएं प्रदान करने में असमर्थ हैं, जिससे बच्चों को अच्छी और समुचित शिक्षा के उनके अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement