सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चुनाव आयोग (EC) से जवाब मांगा है. ये याचिकाएं DMK, CPI(M), कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेताओं ने दाखिल की हैं. अदालत ने दो हफ्ते में चुनाव आयोग से जवाब दाखिल करने को कहा है.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्य बागची की पीठ ने कहा कि इस मामले में फिलहाल मद्रास हाईकोर्ट और कलकत्ता हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई को अगले आदेश तक रोका जाए. साथ ही, AIADMK की उस अर्जी को भी सूचीबद्ध करने की अनुमति दी गई जिसमें उसने तमिलनाडु में चल रहे SIR अभियान का समर्थन किया है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, जो DMK की ओर से पेश हुए, ने कहा कि यह प्रक्रिया जल्दबाज़ी में और बिना तय प्रक्रिया के की जा रही है. उन्होंने दलील दी कि नवंबर-दिसंबर में तमिलनाडु में उत्तर-पूर्वी मानसून के चलते भारी बारिश होती है और इस दौरान राजस्व अधिकारी, जो BLOs, EROs, AEROs के रूप में नामित हैं, बाढ़ राहत कार्यों में व्यस्त रहते हैं.
सिब्बल ने कहा, “मौसम विभाग ने इस बार सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान जताया है. ऐसे में लोगों से दस्तावेज अपलोड करने और सत्यापन करवाने के लिए यह अनुकूल समय नहीं है. कई ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क और कनेक्टिविटी भी बहुत खराब है.”
'देश बड़ा है, कुछ न कुछ राज्य हमेशा संकट में रहेंगे'
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में हमेशा कुछ न कुछ राज्यों में प्राकृतिक आपदाएं चलती रहती हैं. उन्होंने टिप्पणी की, “ऐसा लगता है जैसे पहली बार मतदाता सूची तैयार की जा रही हो. चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और पहले भी यह काम करती आई है.”
पीठ ने कहा कि राजनीतिक दलों को इस प्रक्रिया से डरना नहीं चाहिए. अगर हमें लगेगा कि कुछ गड़बड़ है, तो हम पूरी प्रक्रिया को रद्द कर देंगे.
TMC, CPI(M) और कांग्रेस भी बनी पक्षकार
सुनवाई के दौरान TMC नेता डोला सेन, CPI(M) नेता पी. शन्मुगम और कांग्रेस नेता शुभंकर सरकार की याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किया गया. इन सभी ने अपने-अपने राज्यों में चल रहे SIR अभियान को अवैध और असंवैधानिक बताया है.
सिब्बल ने कहा कि बिहार में हुए SIR और तमिलनाडु की प्रक्रिया की तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि दोनों राज्यों की परिस्थितियां अलग हैं. वहीं, सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने चुनाव आयोग की ओर से पेश होकर कहा कि आयोग दो सप्ताह में विस्तृत जवाब दाखिल करेगा.
SIR जरूरी है ताकि मतदाता सूची निष्पक्ष रहे: AIADMK
वहीं, AIADMK ने इस पूरी प्रक्रिया का समर्थन करते हुए कहा कि SIR एक वैध और आवश्यक कदम है जिससे मतदाता सूची में फर्जी नामों की पहचान की जा सके और चुनावों की पवित्रता बरकरार रखी जा सके.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब चुनाव आयोग के जवाब मिलने के बाद 26 और 27 नवंबर को याचिकाओं पर अगली सुनवाई होगी. कोर्ट अंतरिम राहत यानी SIR पर रोक की मांग पर भी सुनवाई करेगा.
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