प्रवासी मजदूरों का मामलाः SC ने केंद्र को फटकारा- आप आज हलफनामा दाखिल कर रहे हैं?

लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों को रही समस्याओं पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन की धीमी प्रक्रिया को लेकर नाराजगी जाहिर की.

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कोर्ट ने कहा, कामगारों के लिए योजनाएं तो हैं लेकिन उन्हें फायदा नहीं मिल रहा है (फाइल फोटो) कोर्ट ने कहा, कामगारों के लिए योजनाएं तो हैं लेकिन उन्हें फायदा नहीं मिल रहा है (फाइल फोटो)

अनीषा माथुर / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2021,
  • अपडेटेड 12:57 PM IST
  • मजदूरों के रजिस्ट्रेशन की धीमी प्रक्रिया पर नाराज SC
  • कोर्ट ने कहा, कामगारों के रजिस्ट्रेशन में तेजी लानी चाहिए

लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों को हो रही समस्याओं पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सोमवार को हुई सुनवाई में हलफनामा दाखिल करने में हुई देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि आपको सुनवाई से एक दिन पहले हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन आपने इसे अभी किया है. इसके अलावा प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन की धीमी प्रक्रिया को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगार और प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए. अगर उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है तो उन्हें योजनाओं का फायदा नहीं मिल सकता. कोर्ट ने कहा कि अभी कामगारों को सरकार के पास जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ रहा है, लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार मजदूरों के पास जाए और उनका रजिस्ट्रेशन करे. 

सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा, "2018 में सुप्रीम कोर्ट ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को असंगठित कामगारों का एक डेटाबेस तैयार करने का निर्देश दिया था. इसके बाद लेबर रजिस्ट्रेशन स्कीम शुरू हुई थी. हम जानना चाहते हैं कि इस स्कीम का स्टेटस क्या है?" कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों और असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे कामगारों के रजिस्ट्रेशन में तेजी लानी चाहिए. 

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जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि वो सरकार को कामगारों के रजिस्ट्रेशन में तेजी लाने के लिए कह सकती है, लेकिन कोर्ट सरकार को मजदूरों के खाते में रकम ट्रांसफर करने का आदेश नहीं देगी, क्योंकि ये एक नीतिगत निर्णय है.

जस्टिस शाह ने कहा कि जो मजदूर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं कर सकते, उनके पास सरकार को खुद पहुंचना चाहिए. उन्होंने कहा कि योजनाएं तो मौजूद हैं लेकिन निगरानी कौन करेगा? क्या नोडल अधिकारी रिपोर्ट कर रहे हैं और किसको रिपोर्टिंग करते हैं? वहीं, जस्टिस भूषण ने कहा कि हमारी चिंता तो ये है कि योजनाएं तो हैं लेकिन उनका लाभ नहीं मिल रहा है क्योंकि मजदूर ठीक ढंग से रजिस्टर्ड नहीं हैं.

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के विचार से सहमत हैं. प्रवासी मजदूरों की पहचान और रजिस्ट्रेशन जरूरी है ताकि दूसरी योजनाओं की तरह इनके खातों में भी सीधे पैसा ट्रांसफर किया जा सके.

 

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