केरल विधानसभा हंगामा: SC ने खारिज की सरकार की याचिका, कहा- कानून से ऊपर कोई नहीं

जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने निर्णय दिया कि विधायकों का विशेषाधिकार कुछ भी करने और बच निकलने के लिए नहीं है. जनता की सेवा में कोई अड़चन न आए इसके लिए संविधान ने जन प्रतिनिधियों को विशेषाधिकार प्रदान किए हैं ना कि मनमानी, अनुशासनहीनता और अन्य उच्छृंखलता के लिए.

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SC ने खारिज की केरल सरकार की याचिका SC ने खारिज की केरल सरकार की याचिका

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 3:20 PM IST
  • कोर्ट से केरल सरकार को बड़ा झटका
  • याचिका खारिज, सरकार को दिखाया आईना
  • जोर देकर कहा- कानून से ऊपर कोई नहीं

साल 2015 में केरल विधानसभा में हुए हंगामें में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बड़ा फैसला आया है. कोर्ट ने केरल की LDF सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि उपद्रवी विधायकों पर दर्ज मामलों को वापस लिया जाए. कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि कानून से बड़ा कोई नहीं हो सकता और सभी के लिए नियम समान हैं.

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कोर्ट से केरल सरकार को बड़ा झटका

जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने निर्णय दिया कि विधायकों का विशेषाधिकार कुछ भी करने और बच निकलने के लिए नहीं है. जनता की सेवा में कोई अड़चन न आए इसके लिए संविधान ने जन प्रतिनिधियों को विशेषाधिकार प्रदान किए हैं ना कि मनमानी, अनुशासनहीनता और अन्य उच्छृंखलता के लिए. कोर्ट ने जो देकर कहा कि LDF के इन उपद्रवी विधायकों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेना जनहित और लोक न्याय के विरुद्ध होगा. 

याचिका खारिज, सरकार को दिखाया आईना

कोर्ट ने यहां तक कहा कि केरल सरकार की याचिका में कोई दम नहीं है और ट्रायल कोर्ट ने भी इसे खारिज कर सही फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि चुने हुए लोग कानून से ऊपर नहीं हो सकते और उन्हें उनके अपराध के लिए छूट नही दी जा सकती. विधायकों को विशेषाधिकार इसलिए दिए गए हैं जिससे वो लोगों के लिए काम करें,असेंबली में तोडफ़ोड़ करने का अधिकार नही दिया गया है.

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इस केस में फैसला सुनाते वक्त कोर्ट की तरफ से कई मौकों पर तीखी टिप्पणी की गई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केरल सरकार से पूछा था कि उपद्रवी विधायकों के खिलाफ दर्ज शिकायत वापस लेने और कार्यवाही निरस्त करना कौन से जनहित में आता है? याद रखिए आपके विशेषाधिकार विधायकों को क्रिमिनल लॉ से संरक्षण नही देते हैं. 

क्या है पूरा विवाद?

जानकारी के लिए बता दें कि जिस केस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है वो 6 साल पुराना है और उस समय का है जब LDF विपक्ष में हुआ करती थी. तब सिवानकुट्टी, केटी जलील और चार पूर्व विधायकों ने सदन में खूब तोड़फोड़ की थी, फर्नीचर-माइक्रोफोन तक तोड़े गए थे. अब उसी केस में LDF चाहती थी कि उनके नेताओं के खिलाफ केस वापस हो जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है.

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