तीन तलाक-सबरीमाला जैसे फैसलों से बदलाव की लकीर खींचने वाले जस्टिस नरीमन हुए रिटायर

न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन इस वक्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के मूल्यों के प्रबल समर्थक माने जाते हैं. बता दें कि जस्टिस रोहिंटन देश के प्रसिद्ध न्यायविद् फली नरीमन के पुत्र हैं. 

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जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन (फाइल फोटो) जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन (फाइल फोटो)

संजय शर्मा / अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 4:07 PM IST
  • न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन आज हुए सेवानिवृत
  • तीन तलाक, सबरीमाला जैसे अहम फैसले दिए
  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के मूल्यों के प्रबल समर्थक

सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन आज यानी कि गुरुवार (12 अगस्त) को रिटायर हो गए. जस्टिस नरीमन वरिष्ठता के क्रम में सुप्रीम कोर्ट में इस समय दूसरे नंबर पर हैं. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नरीमन से वरिष्ठ सिर्फ मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना हैं. 

13 अगस्त को जस्टिस नरीमन अपना पैसठवां जन्मदिन मनाएंगे. विधान के मुताबिक 65 वर्ष के होने से ऐन पहले यानी 65वें जन्मदिन से एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के जज रिटायर होते हैं.

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विधि और न्यायशास्त्र के प्रखर विद्यार्थी 

विधि और न्याय शास्त्र के प्रखर विद्यार्थी रहे जस्टिस नरीमन को मात्र 37 साल की आयु में 1993 में वरिष्ठ वकील नियुक्त किया गया था. जबकि इससे जुड़े नियम के मुताबिक 45 साल से ऊपर के वकील को ही वरिष्ठ वकील नियुक्त किया जा सकता था. लेकिन 1993 में रोहिंटन नरीमन को सीनियर एडवोकेट का गाउन देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के तब के चीफ जस्टिस एमएन वेंकटचलैया को नियमों में बदलाव करना पड़ा.

2011 में उन्हें भारत का सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था. लेकिन अपने बेबाक और बेलौस अंदाज की वजह से तब के कानून मंत्री अश्विनी कुमार से उनके मतभेद हुए और उन्होंने दूसरे ही साल अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 

पारसी धर्म के शीर्ष पुरोहित जस्टिस नरीमन पांचवें ऐसे वकील रहे जिन्हें वकालत से सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया. अन्यथा परंपरा के मुताबिक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को ही सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में उंगलियों पर गिने जाने की संख्या में ही ऐसे जज आए हैं जो सीधे बार से ही सुप्रीम कोर्ट बेंच में नियुक्त किए गए हैं. अभी सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के बाद सीनियर मोस्ट जज जस्टिस यूयू ललित भी सीधे बार से ही नियुक्त हुए. हाल ही में रिटायर हुईं जस्टिस इंदु मल्होत्रा भी इसी तरह सुप्रीम कोर्ट की जज बनी थीं.

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जस्टिस नरीमन इस वक्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के मूल्यों के प्रबल समर्थक माने जाते हैं. बता दें कि जस्टिस रोहिंटन देश के प्रसिद्ध न्यायविद फली नरीमन के पुत्र हैं. 

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का अहम फैसला

जस्टिस नरीमन ने कई विधि शास्त्र की दुनिया में क्रांतिकारी समझे जाने वाले फैसले सुनाए हैं. इनमें से सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं को प्रवेश देने का मामला है. जस्टिस नरीमन 4:1 के बहुमत से सुनाए गए उस फैसले का हिस्सा थे जिसमें सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने की अनुमति दी गई थी. 

महीनों बाद, उन्होंने नवंबर 2019 में इस मामले में मजबूती से असहमति व्यक्त की, जब पीठ ने सबरीमाला फैसले की समीक्षा करने और मामले को एक बड़ी पीठ को भेजने का फैसला दिया था. 

सबरीमाला फैसले के बाद के विरोध की आलोचना और केंद्र सरकार द्वारा आदेश के कार्यान्वयन में देरी के प्रयासों पर फटकार लगाते हुए, नरीमन और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का अनुपालन वैकल्पिक नहीं है. इसका सीधा अर्थ था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले हर हाल में लागू किए जाने चाहिए.  

धारा 66A रद्द करने का ऐतिहासिक फैसला

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न्यायमूर्ति नरीमन ने वर्ष 2015 में श्रेया सिंघल केस का भी फैसला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सूचना तकनीक कानून की धारा 66ए को खत्म कर दिया था. 

पढ़ें: सॉलीसीटर जनरल रोहिंग्टन नरीमन का इस्तीफा 

इस फैसले में न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा था कि धारा 66 ए "मनमाने ढंग से, अत्यधिक और गैर अनुपातिक रूप से" बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार, असहमति के अधिकार, जानने के अधिकार पर आक्रमण करती है, और संवैधानिक जनादेश पर गहरे प्रभाव (chilling effect) डालती है. 

तीन तलाक का बहुचर्चित फैसला

साल 2017 में मुस्लिम समाज में तीन तलाक की प्रथा को रद्द करने फैसला सुर्खियों में रहा था.  इस मामले में फैसला देते हुए जस्टिस नरीमन ने कहा था कि ये प्रथा संविधान की धारा 14 का उल्लंघन करती है. 

राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण पर चिंता

फरवरी 2020 में जस्टिस नरीमन ने सांसदों और एमएलए के चयन में बढ़ते अपराधीकरण पर चिंता जताई थी. इसके बाद उन्होंने राजनीतिक दलों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं की जानकारी को संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों में सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था. 

पिछले महीने ही, उन्होंने उन पार्टियों के खिलाफ अदालती कार्रवाई की अवमानना की चेतावनी दी, जो अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा और प्रचार करने में विफल रहीं है. न्यायमूर्ति नरीफम ने सवाल किया कि वैकल्पिक उम्मीदवार उपलब्ध होने पर राजनीतिक दल अपराधियों को क्यों मैदान में उतार रहे हैं?

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10 अगस्त को अपने आखिरी फैसले में नरीमन ने फिर से कहा कि मतदाताओं को उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि जानने की जरूरत है. न्यायिक सेवा में इतनी विविधता रखने वाले और अहम फैसले देने वाले जस्टिस नरीमन आज सेवानिवृत हो रहे हैं.

 

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