'न्यायिक अधिकारी संयम बरतें, वे राजा नहीं हैं,' सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की तल्ख टिप्पणी?

राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा एक न्यायिक अधिकारी के खिलाफ कुछ टिप्पणियां की गई थी, जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि न्यायिक अधिकारी भी संयम बरतें. वे राजा नहीं हैं. ना हम, ना वे.

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सांकेतिक तस्वीर. सांकेतिक तस्वीर.

सृष्टि ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 05 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:14 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को न्यायिक अधिकारियों को लेकर तल्ख टिप्पणी की है. SC ने न्यायिक अधिकारी की याचिका पर उन्हें जमकर फटकार लगाई और कहा कि न्यायिक अधिकारी भी संयम बरतें. वे राजा नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने एक न्यायिक अधिकारी द्वारा विभिन्न केसों में कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ टिप्पणी करने और उनके खिलाफ जांच के निर्देश देने के एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है.

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दरअसल, राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा एक न्यायिक अधिकारी के खिलाफ कुछ टिप्पणियां की गई थी, जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि न्यायिक अधिकारी भी संयम बरतें. वे राजा नहीं हैं. ना हम, ना वे. जस्टिस शाह ने आगे बिहार का एक उदाहरण साझा किया, जहां एक न्यायिक अधिकारी ने एक पुलिस अधिकारी को पूछताछ के संबंध में अपने कक्ष में बुलाया और धमकी दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने वकील को दी चेतावनी

जस्टिस शाह ने कहा- 'अगर न्यायिक अधिकारी भी इस तरह का व्यवहार करने लगे तो क्या होगा. तब आम आदमी का भरोसा चला जाएगा. न्यायिक अधिकारी की ओर से पेश वकील ने बताया कि हाई कोर्ट द्वारा ऐसी कोई टिप्पणी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ नहीं की गई है. बेंच ने वकील को चेतावनी दी कि वह हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इसकी जांच करने और यह देखने का निर्देश देगी कि उनके द्वारा ऐसे कितने आदेश पारित किए गए.

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जस्टिस एमआर शाह ने आगे टिप्पणी की- 'अंतरिम आदेशों में आप पुलिस अधिकारियों की छवि खराब करेंगे, इसलिए सभी पुलिस अधिकारी दागी हैं? हमें यह मंजूर नहीं है. इस तरह अंतरिम आदेश पारित करने के लिए न्यायिक अधिकारियों को अधिकार नहीं दिए गए हैं.' हालांकि, वकील द्वारा मुवक्किल से निर्देश लेने के लिए समय मांगे जाने के बाद कोर्ट ने केस को स्थगित कर दिया है.

 

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