चिट्ठी को न्यायपालिका पर हमले का हथियार न बनाएं, एससीबीए अध्यक्ष ने चीफ जस्टिस को लिखा पत्र

सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे के लिखे पत्र के बाद अब एससीबीए अध्यक्ष आदीश सी अग्रवाल ने चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी है. उसमें लिखा कि इस तरह चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखने की आदत ठीक नहीं. अग्रवाल ने तीन पुरानी चिट्ठियों का हवाला भी दिया.

Advertisement
CJI डी वाई चंद्रचूड़ CJI डी वाई चंद्रचूड़

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:02 AM IST

सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे के लिखे पत्र के बाद अब एससीबीए अध्यक्ष आदीश सी अग्रवाल ने चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी है. उसमें लिखा कि इस तरह चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखने की आदत ठीक नहीं. अग्रवाल ने तीन पुरानी चिट्ठियों का हवाला भी दिया.

अग्रवाल ने अपने पत्र में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ से अनुरोध किया कि वे ऐसे दुर्भावना से प्रेरित ऐसे संदिग्ध प्रयासों को नजरअंदाज करें. इनसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर स्वार्थी तत्वों को हमला करने का अवसर मिलता है. अग्रवाल ने लिखा है कि अगर भारत के चीफ जस्टिस ऐसी अनैतिक और दबाव की रणनीति के आगे झुकते हैं तो यह निहित स्वार्थों तत्वों के हाथों इस मूल्यवान संस्था की स्वतंत्रता के पतन का संकेत होगा. 

Advertisement

क्योंकि देखा जा रहा है कि हाल के वर्षों में न्यायपालिका और न्यायिक तंत्र पर अनुचित दबाव डालने के लिए तत्कालीन सीजेआई पर दबाव डालने के लिए ऐसे पत्र लिखने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. अग्रवाल ने पिछले वर्षों में देश के चीफ जस्टिस के नाम लिखे गए ऐसे ही तीन पत्रों का हवाला भी दिया.

दवे ने एक पत्र 2019 में लिखा फिर 2020 में भी उन्होंने अलग अलग चीफ जस्टिस के नाम खुला पत्र लिखकर दबाव बनाने की कोशिश की.. सीजेआई के नाम अपनी चिट्ठी में अग्रवल ने दावा किया है कि दवे ने ऐसे पत्र कुछ चुनिंदा मामलों के संबंध में और कुछ प्रभावशाली वादियों के आदेश पर लिखे थे.

सीजेआई को बुधवार को लिखे अपने खुले पत्र में एससीबीए के पूर्व अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने कहा था कि वह शीर्ष अदालत रजिस्ट्री द्वारा मामलों को सूचीबद्ध करने को लेकर परेशान और दुखी हैं. दवे ने लिखा था कि अचानक दूसरी पीठ के सामने भेजे गए मामलों में से कुछ काफी संवेदनशील प्रकृति के थे. उनमें से कई तो मानवाधिकार हनन, अभिव्यक्ति की आजादी, लोकतंत्र पर खतरे, वैधानिक और संवैधानिक संस्थानों की कार्यप्रणाली जैसे मामले भी शामिल थे.

Advertisement

दवे ने अपनी चिट्ठी में अफसोस जताया कि उन्हें खुला पत्र लिखना पड़ रहा है. क्योंकि कुछ वकील सीजेआई से व्यक्तिगत रूप से मिले भी थे. लेकिन उस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला. ऐसे में सार्वजनिक तौर पर खुला पत्र लिखने के अलावा उनके पास कोई और कारगर विकल्प नहीं बचा था.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement