आजतक की धर्म संसद के 'चार धाम की महिमा' सत्र में बद्रीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल ने कहा कि बद्रीनाथ धाम मुक्ति धाम हैं. बद्रीनाथ धाम चार धाम का आखिरी धाम क्यों हैं, इस सवाल के जवाब में उनियाल ने कहा कि देश के भी चार धाम हैं जो एक-एक युग का प्रतिनिधित्व करते हैं. चार पुरुषार्थों का भी प्रतिनिधित्व एक-एक धाम करते हैं और बद्रीनाथ धाम मोक्ष का धाम हैं. उन्होंने कहा कि भगवान सतयुग से विराजमान हैं, ऐसा कहा जाता है. यह कहीं शास्त्रों में नहीं लिखा है. बद्रीपुरी के रास्ते, सड़कें अच्छी बनती हैं तो हम इसका स्वागत करते हैं.
चार धाम की यात्रा पर युवाओं के जाने को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा कि जीवन का कोई भरोसा नहीं है. जब इच्छा हो, निकल जाना चाहिए. हर वर्ष जाना चाहिए. बद्रीनाथ धाम की पूजा पद्धति को लेकर सवाल पर उनियाल ने कहा कि नारदीय पांचरात्रि परंपरा से पूजा होती है. दक्षिण के रावल ब्राह्मण ही मूर्ति स्पर्श कर सकते हैं. यह अच्छी परंपरा है जिसके कारण दक्षिण के लोग भी जुड़े हुए हैं. 10 से 11 साल धर्माधिकारी रहा. रिटायरमेंट के बाद भी बद्रीपुरी नहीं छोड़ पाया और वहीं घर बनाकर रहता हूं.
'भगवान यहां सतयुग से विराजमान हैं'
बौद्ध मठ को तोड़कर बद्रीनाथ धाम बनाए जाने के आरोप को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है. भगवान श्रीकृष्ण ने चारों युगों का जिक्र कर इसका उल्लेख किया है. यह चारों युगों से चला आ रहा है. बौद्ध धर्म तो इधर का है. भगवान यहां सतयुग से विराजमान हैं. उन्होंने लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर कहा कि कम से कम दर्शन ऑनलाइन कर लें. लाइव प्रसारण होना चाहिए. मंदिर में क्या हो रहा है, लोगों को देखना चाहिए. वीआईपी दर्शन को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के साथ सुरक्षा जरूरी है. एक श्रेणी होनी चाहिए कि कौन वीआईपी है.
पहलगाम घटना को लेकर सवाल पर पूर्व धर्माधिकारी ने कहा कि हमने जैसे सुना, उबल पड़े. मुझे कोई कलमा की बात करे तो इससे बड़ी घटना कुछ है ही नहीं. परिवार के एक सदस्य को छोड़ दिया, क्या मतलब होता है. जवाब मिलना चाहिए. ईंट का जवाब पत्थर से दो.
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