'उत्तराखंड से सटे चीन बॉर्डर पर भी चौकन्ना रहना जरूरी...', जानें क्यों बोले CDS अनिल चौहान

पूर्व सैनिकों की एक रैली को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने कहा कि उत्तराखंड की चीन के साथ 350 किलोमीटर और नेपाल के साथ 275 किलोमीटर की सीमा है, जो इसे सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है.

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सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि उत्तराखंड रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण राज्य है. (File Photo: PTI) सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि उत्तराखंड रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण राज्य है. (File Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:43 AM IST

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को कहा कि सीमावर्ती राज्य होने के नाते उत्तराखंड रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण राज्य है. पूर्व सैनिकों की एक रैली को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने कहा कि उत्तराखंड की चीन के साथ 350 किलोमीटर और नेपाल के साथ 275 किलोमीटर की सीमा है, जो इसे सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है.

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उन्होंने कहा, "चीन के साथ उत्तराखंड की सीमा बहुत शांतिपूर्ण है और इसलिए कभी-कभी हम भूल जाते हैं कि उत्तराखंड एक सीमावर्ती राज्य है. हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) और सीमा को लेकर चीन के साथ हमारे कुछ मतभेद हैं, और कभी-कभी ये स्पष्ट हो जाते हैं, जैसे कि बाराहोती क्षेत्र में. इसलिए, हम सभी को सतर्क और चौकन्ना रहना होगा."

सीडीएस ने सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों से सुरक्षा में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील करते हुए कहा कि सीमा की निगरानी केवल सेना की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि स्थानीय लोगों की सतर्कता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है. सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों विशेषकर पूर्व सैनिकों को आंखें बताते हुए सीडीएस ने कहा कि अगर वे सतर्क रहेंगे, तो सीमाएं और भी मजबूत रहेंगी.

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जनरल चौहान ने यह भी कहा कि जिस तरह सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में सहकारी समितियां सेना को खाद्यान्न की आपूर्ति करती हैं, उसी तरह अब उत्तराखंड में भी एक ऐसी ही व्यवस्था लागू की जाएगी.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में सहकारी समितियों से डेयरी और पशुपालन उत्पादों की खरीद की जा रही है और भविष्य में उनसे ताजा राशन भी खरीदा जाएगा. इससे न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों में सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित होगी, बल्कि स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ भी होगा.

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