उत्तराखंड: त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक और फैसला सीएम तीरथ ने पलटा, प्राधिकरण खत्म

सरकार चाह रही थी कि प्राधिकरणों से जनता को सुविधा होगी, लेकिन प्राधिकरणों के शुरू होने के साथ शिकायतें आनी शुरू हो गईं थीं. शिकायत में कहा गया था कि लोगों को खूब चक्कर लगवाए जा रहे हैं. नियम-कायदों के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है. जिला प्राधिकरणों का विधानसभा में भी विरोध हुआ था जिसके बाद अब तीरथ सरकार ने इस पर रोक लगा दी है.

Advertisement
उत्तराखंड  के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत. (फाइल फोटो) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत. (फाइल फोटो)

दिलीप सिंह राठौड़

  • देहरादून,
  • 17 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 10:48 PM IST
  • 2016 के बाद बने प्राधिकरण पर रोक
  • त्रिवेंद्र रावत का एक और फैसला पलटा
  • प्राधिकरण को लेकर लोग कर रहे थे शिकायत

उत्तराखंड के नए मुख़्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में लिए गए फैसलों को लगातार पलटने में लगे हैं. तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश में अब प्राधिकरण व्यवस्था को खत्म कर दिया है. सरकार ने सभी जिलों में विकास प्राधिकरणों का गठन नियोजित विकास के उद्देश्य से किया था. 

सरकार चाह रही थी कि प्राधिकरणों से जनता को सुविधा होगी, लेकिन प्राधिकरणों के शुरू होने के साथ शिकायतें आनी शुरू हो गईं थीं. शिकायत में कहा गया था क कि लोगों को खूब चक्कर लगवाए जा रहे हैं. नियम-कायदों के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है. जिला प्राधिकरणों का विधानसभा में भी विरोध हुआ था जिसके बाद अब तीरथ सरकार ने इस पर रोक लगा दी है.

Advertisement

कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने इस फैसले पर कहा कि उत्तराखंड में अब निर्धन लोगों को मकान बनाने में आसानी होगी. अब तक उत्तराखंड के कई इलाकों में जहां प्राधिकरण क्षेत्र हैं वहां मकान बनाने में लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ता था. मकान बनाने के लिए नक्शा पास कराने के लिए प्राधिकरण के चक्कर काटने पड़ते थे और पैसा भी खर्च होता था. इसी परेशानी को देखते हुए नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत कि सरकार ने 2016 के बाद बने प्राधिकरण को समाप्त कर दिया है.

इस संबंध में बुधवार को नोटिफिकेशन सूबे के कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने जारी कर दिया. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शपथ लेने के बाद पहली ही कैबिनेट में यह फैसला लिया था और इसको लेकर एक समिति बनाई थी. इस समिति में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत और सुबोध उनियाल को रखा गया था ताकि इसको लेकर जल्द कार्रवाई की जा सके.

Advertisement

ये भी पढ़ें-

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement