शिमला के संजौली इलाके में शुक्रवार को नमाज के दौरान तनाव बढ़ गया, जिसके बाद पुलिस ने नमाज रुकवाने के आरोप में छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. यह मामला संजौली थाने में दर्ज हुआ है और जिन पर केस किया गया है, वे सभी देवभूमि संघर्ष समिति से जुड़े हैं.
आरोपियों में संगठन के सह-आयोजक मदन ठाकुर, विजय शर्मा, कल्पना शर्मा, श्वेता चौहान, शिल्पी और पारुल शामिल हैं. पुलिस जल्द ही सभी को पूछताछ के लिए तलब कर सकती है.
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एफआईआर के अनुसार संजौली के बड़ी मस्जिद में शुक्रवार को SHO जसवंत सिंह और उनकी टीम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात थी. इसी दौरान देवभूमि संघर्ष समिति के कई सदस्य मौके पर इकट्ठा हो गए. जैसे ही मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करने के लिए पहुंचे, स्थानीय निवासियों और समिति के सदस्यों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिसके कारण स्थिति तनावपूर्ण हो गई.
तनाव बढ़ने पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया और भीड़ को शांत करने का प्रयास किया गया. पुलिस का कहना है कि भीड़ ने कुछ नमाजियों को मस्जिद में प्रवेश करने से रोकते हुए वापस भेज दिया था.
शिमला के एसएसपी संजीव गांधी ने बताया कि हम यहां नागरिकों को कानूनी और संवैधानिक गारंटी सुनिश्चित करने के लिए हैं और इसलिए हमने कानून के अनुसार कार्रवाई की है. इसलिए बीएनएस की धारा 126(2), 196, 189(2), 299 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
बाहरी इलाके से आ रहे नमाजियों को लेकर सवाल
देवभूमि संघर्ष समिति के सदस्यों का आरोप है कि "नमाज के लिए बड़ी संख्या में लोग बाहरी क्षेत्रों से आते हैं और उनकी पहचान की कोई जांच नहीं होती." उनका दावा है कि कोर्ट द्वारा मस्जिद को "अवैध संरचना" घोषित किया जा चुका है, इसलिए यहां किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
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मस्जिद में आने वालों की पहचान सत्यापन करने की अपील
समिति ने शिमला के डिप्टी कमिश्नर अनुपम कश्यप को पत्र सौंपकर मस्जिद में बढ़ती भीड़ पर रोक लगाने, पहचान सत्यापन अनिवार्य करने और अवैध घोषित संरचना को सील करने की मांग की. उन्होंने बिजली और पानी की आपूर्ति काटने की भी सिफारिश की है.
संजौली मस्जिद पिछले कई महीनों से विवादों में है. सितंबर 2024 में अवैध निर्माण के आरोपों को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिनमें हिंसक झड़पें और पानी की बौछारों का इस्तेमाल भी किया गया. बाद में शिमला की एक अदालत ने मस्जिद समिति को तीन मंजिलों को दो महीने के भीतर गिराने का आदेश दिया था. फिलहाल पुलिस इस ताज़ा विवाद की जांच कर रही है और सभी पक्षों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं.
अमन भारद्वाज