उत्तराखंड: चमोली में THDC की निर्माणाधीन हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट साइट पर भारी लैंडस्लाइड,12 मजदूर घायल

चमोली के THDC के प्रोजेक्ट की डैम साइट पर भारी भूस्खलन से 12 मजदूर घायल हो गए. घटना के बाद आसपास के इलाके में हड़कंप मच गया. बताया जा रहा है कि घटना के वक्त साइट पर 200 मजदूर काम कर रहे थे.

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चमोली में THDC की निर्माणाधीन हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट साइट पर भारी लैंडस्लाइड.(photo: ITG) चमोली में THDC की निर्माणाधीन हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट साइट पर भारी लैंडस्लाइड.(photo: ITG)

कमल नयन सिलोड़ी

  • चमोली,
  • 02 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र में हेलंग के पास अलकनंदा नदी के किनारे निर्माणाधीन विष्णुगाड़ पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना की डायवर्जन साइट पर शुक्रवार देर रात बड़ा हादसा हो गया. THDC के इस प्रोजेक्ट की डैम साइट पर भारी भूस्खलन हुआ, जिसमें चट्टान टूटने से 12 मजदूर घायल हो गए. घटना से आसपास के इलाके में अफरा-तफरी मच गई.

एक अधिकारी ने बताया कि निर्माणाधीन विष्णुगाड़ पीपलकोटी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट साइट पर डायवर्जन निर्माण कार्य के दौरान भूस्खलन के कारण अचानक पहाड़ का एक हिस्सा टूटकर नीचे आ गिरा, जिससे वहां काम कर रहे मजदूरों में अफरा-तफरी मच गई. कई मजदूरों ने भागकर अपने जान बचाई, लेकिन हादसे में 12 मजदूर घायल हो गए हैं. घायलों को तत्काल नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है. 

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उन्होंने ये भी बताया कि हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (HCC) द्वारा संचालित इस डैम साइट पर हादसे के वक्त करीब 200 मजदूर काम कर रहे थे.

स्थानीय प्रशासन और विशेषज्ञों के अनुसार, चमोली जिले में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं. बारिश ने मिट्टी और चट्टानों को कमजोर कर दिया है, जिससे इस तरह के हादसे हो रहे हैं. भारी बारिश के कारण हेलंग में ये हादसा हुआ है.

वहीं, हादसे के बाद टीएचडीसी और एचसीसी के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया. जिला प्रशासन ने भी राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं.

ये हादसा उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है. लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण स्थानीय लोग और मजदूर पहले से ही जोखिम भरे हालात में काम कर रहे हैं. पर्यावरणविदों ने भी चेतावनी दी है कि पहाड़ों में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ सकते हैं.

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