उत्तराखंड में मदरसों और मकतबों पर प्रशासन द्वारा की जा रही कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. संगठन का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा बिना किसी नोटिस के कई मदरसों को सील कर दिया गया है और उन्हें अपनी सफाई देने का अवसर तक नहीं दिया गया.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने इस कार्रवाई को असंवैधानिक और अवैध बताते हुए कहा कि यह छात्रों के मौलिक अधिकारों का हनन है, क्योंकि वे अपनी धार्मिक शिक्षा जारी नहीं रख पा रहे हैं.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी. मदनी ने बताया कि याचिका में भारतीय संविधान और सुप्रीम कोर्ट के 21 अक्टूबर 2024 के आदेश का हवाला देते हुए अपील की गई है कि प्रशासन को तुरंत सभी मदरसों और मकतबों को खोलने का निर्देश दिया जाए और आगे किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से रोका जाए. संगठन ने इसे अदालत की अवमानना भी करार दिया है.
मदरसों पर प्रशासन की कार्रवाई और विवाद
उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में कई मदरसों की जांच शुरू की थी और कुछ को सील भी कर दिया था. सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई शिक्षा संबंधी नियमों का पालन न करने वाले संस्थानों पर की गई है. हालांकि, मदरसा संगठनों का दावा है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है.
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