वाराणसी: घाटों पर होने वाली आरती का कराना होगा रजिस्ट्रेशन, जिला प्रशासन को देनी होगी डिटेल

वाराणसी में गंगा घाटों के किनारे होने वाली आरती का रजिस्ट्रेशन अब नगर निगम के द्वारा अनिवार्य कर दिया गया है. जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा है कि वाराणसी में गंगा नदी के किनारे के सार्वजनिक घाट स्थायी रूप से सार्वजनिक संपत्ति हैं. इनका स्वामित्व राज्य सरकार का है.

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वाराणसी के घाट पर आरती वाराणसी के घाट पर आरती

रोशन जायसवाल

  • वाराणसी ,
  • 18 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:56 PM IST
  • वाराणसी में घाटों पर होने वाली आरती का कराना होगा रजिस्ट्रेशन
  • जिला प्रशासन को देनी होगी पूरी डिटेल
  • गंगा किनारे के सार्वजनिक घाट स्थायी रूप से सार्वजनिक संपत्ति

Varanasi Ganga Ghat Aarti: वाराणसी में गंगा घाटों के किनारे होने वाली आरती का रजिस्ट्रेशन अब नगर निगम के द्वारा अनिवार्य कर दिया गया है. जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा है कि वाराणसी में गंगा नदी के किनारे के सार्वजनिक घाट स्थायी रूप से सार्वजनिक संपत्ति हैं. इनका स्वामित्व राज्य सरकार का है. कुछ वर्ष पूर्व ये घाट संबंधित ग्राम समाज की संपत्ति रही होगी, लेकिन वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र में स्वामित्व होने की वजह से इसका प्रबंधन नगर निगम के पास है. 

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जिलाधिकारी ने कहा कि ऐसे में स्पष्ट है कि वर्तमान में इन घाटों का स्वामित्व राज्य सरकार का है तथा इसका प्रबंधन नगर निगम के पास है. जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने अपने पत्र के माध्यम से वाराणसी नगर आयुक्त को बताया है कि कभी-कभी यह देखने में आता है कि कुछ लोग इन घाटों पर आरती को लेकर विवाद करते हैं. कुछ लोग नई आरती प्रारंभ करते हैं तो कुछ लोग उनका विरोध करते हैं.  

इसलिए नगर निगम को बिल्कुल स्पष्ट व्यवस्था करनी चाहिए कि जितनी भी आरतियां घाटों पर होती हैं, उनका रजिस्ट्रेशन नगर निगम के द्वारा किया जाए. साथ ही उन्हें स्थान का आवंटन भी नगर निगम के द्वारा एक-एक वर्ष के लिए किया जाना चाहिए. इसके अलावा आवंटन का नवीनीकरण प्रत्येक वर्ष किया जाना चाहिए. 

जिलाधिकारी ने कहा कि इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि किसी भी घाट पर किसी भी निजी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा भविष्य में कोई भी आरती बिना नगर निगम की अनुमति के न की जाए. साथ ही यह भी चेक किया जाए कि एक ही संस्था या व्यक्तियों का समूह एक से अधिक घाटों पर आरती न करे. उन्होंने कहा कि वर्तमान में जितनी आरतियां गंगा नदी के घाटों पर 17 फरवरी की शाम तक हुई हैं, उनका रिकॉर्ड बनवाया जाए. अगले एक महीने में उनका रजिस्ट्रेशन कराया जाए. रजिस्ट्रेशन के लिए एक प्रपत्र भी नगर निगम की तरफ से डिजाइन करके जारी किया जाए. जिलाधिकारी ने कहा कि 31 मार्च तक यह कार्य पूर्ण किया जाए. 

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इन सबके लिए सभी नगर निगम के अपने अंतर्गत आने वाले घाटों हेतु एक नोडल अधिकारी भी नामित करें. हर वित्तीय वर्ष में जो भी संस्था/व्यक्ति घाटों पर आरती के लिए आवेदन करें या नवीनीकरण कराएं, उनकी एलआईयू जांच और विभिन्न आवश्यक जांच पूरी कराते हुए उनके नवीनीकरण पर निर्णय लिया जाए.

जिलाधिकारी ने कहा कि 31 मार्च के बाद केवल वे ही व्यक्ति/संस्था घाटों पर आरती कर सकेंगे, जिनका रजिस्ट्रेशन नगर निगम के द्वारा किया गया होगा. रजिस्ट्रेशन करते समय घाट पर आरती की जगह, आरती किए जाने वाले व्यक्तियों की संख्या आदि का उल्लेख भी रजिस्ट्रेशन फार्म में किया जाए. ताकि कोई भी व्यक्ति/संस्था आरती करने के नाम पर घाटों पर अतिक्रमण न कर सके तथा किसी भी दशा में घाटों का स्वामित्व बाधित न हो. 

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