UP में घोटाला, 30 हजार रुपये के लिए पति के जिंदा रहते 21 महिलाएं 'विधवा'

उत्तर प्रदेश में भ्रष्ट अफसरों और दलालों ने राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना से सरकारी धन को हड़पा है. 30 हजार रुपये के लिए 21 महिलाओं को विधवा बना दिया है, जबकि असलियत में उनके पति जिंदा हैं.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

संतोष शर्मा

  • लखनऊ,
  • 21 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 3:22 PM IST
  • राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना में घोटाला
  • पति के जिंदा रहते हुए 21 महिलाएं 'विधवा'

भ्रष्ट अफसरों और दलालों के गठजोड़ ने उत्तर प्रदेश सरकार की एक और लाभकारी योजना में घपला किया है. इस बार भ्रष्ट अफसरों और दलालों ने राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना से सरकारी धन को हड़पा है. 30 हजार रुपये के लिए 21 महिलाओं को विधवा बना दिया गया है, जबकि असलियत में उनके पति जिंदा हैं.

दरअसल, उत्तर प्रदेश में सरकार ने राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना की शुरुआत की. योजना में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवार के कमाऊ मुखिया की 60 साल से पहले असामयिक मौत होने पर पत्नी को 30,000 की रकम सहायता राशि मिलती है. भ्रष्ट अफसरों और दलालों ने गरीब विधवा महिलाओं को मिलने वाली इसी 30,000 रुपये को हजम कर लिया. 

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चित्रकूट, बलरामपुर, गोरखपुर, कानपुर में इस योजना में घोटाले की शिकायतें पहले ही की जा चुकी हैं. ताजा मामला लखनऊ के 2 इलाकों का सामने आया है, जहां 21 ऐसी फर्जी लाभार्थी मिली हैं, जिनके पति जीवित होने पर भी इस योजना का लाभ मिला और उनके खाते में 30 हजार की रकम जमा कराई गई.

महिलाओं को मिला 10-15 हजार, बाकी पैसे खा गए दलाल

मिली जानकारी के अनुसार, लखनऊ के सरोजनी नगर तहसील के बंथरा और चंद्रावल गांव में साल 2019-20 और 20-21 में कुल 88 लोगों को इस योजना का लाभ दिया गया था. शुरुआती जांच में सामने आया है कि लाभ पाने वाली इन महिलाओं में 21 महिलाएं ऐसी थी जिनके पति जीवित हैं और महिलाओं को फर्जी ढंग से भुगतान किया गया.

बताया जा रहा है कि इस फर्जी भुगतान में दलाल और भ्रष्ट अफसरों का कमीशन तय था. लाभार्थी महिला को 30,000 में से 10 से 15 हजार रुपये ही मिले बाकी रकम दलाल और अफसरों ने बांट लिए.

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हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले गोरखपुर, बलरामपुर, चित्रकूट, कानपुर समेत कई जिलों में ऐसी गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं, जहां पर स्थानीय जिला प्रशासन ने विभागीय कर्मचारियों को सस्पेंड भी किया.

फिलहाल लखनऊ से जुड़े इस मामले में प्रमुख सचिव समाज कल्याण के रविंद्र नायक का कहना है कि इस मामले में जांच कराई जाएगी. जांच में जो भी केस फर्जी पाए जाएंगे दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी.

 

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