काकोरी में क्या हुआ था? क्यों इसे ‘कांड’ नहीं बल्कि ‘ट्रेन एक्शन’ मान रही है योगी सरकार

एक तरफ जहां आज ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की सालगिरह मनाई जा रही है, तो 9 अगस्त के दिन ही बहुचर्चित ‘काकोरी कांड’ हुआ था. आज इसी मौके पर उत्तर प्रदेश में कई कार्यक्रम हो रहे हैं, लेकिन यूपी सरकार के इन्विटेशन कार्ड में कुछ ट्विस्ट है.  

Advertisement
यूपी सरकार ने काकोरी कांड को ‘काकोरी ट्रेन एक्शन’ माना (सांकेतिक तस्वीर) यूपी सरकार ने काकोरी कांड को ‘काकोरी ट्रेन एक्शन’ माना (सांकेतिक तस्वीर)

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 09 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST
  • यूपी सरकार ने 'काकोरी कांड' को 'काकोरी ट्रेन एक्शन' कहा
  • कार्यक्रम के आधिकारिक न्योते में दिया नया नाम

आजादी की लड़ाई के दौरान अंग्रेजों को मात देने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा कई आंदोलन चलाए गए. एक तरफ जहां आज ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) की सालगिरह मनाई जा रही है, तो 9 अगस्त के दिन ही बहुचर्चित ‘काकोरी कांड’ (Kakori Kand) हुआ था. आज इसी मौके पर उत्तर प्रदेश में कई कार्यक्रम हो रहे हैं, लेकिन यूपी सरकार के इन्विटेशन कार्ड में कुछ ट्विस्ट है.  

इतिहास में भले ही इस घटना को ‘काकोरी कांड’ के नाम से जाना जाता हो, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने आधिकारिक न्योते में इसे ‘काकोरी ट्रेन एक्शन’ कहा है. काकोरी कांड को यूपी सरकार (UP Government) ने अपमानजनक माना है और इसलिए इसकी भाषा में बदलाव किया है. 

उत्तर प्रदेश के काकोरी में सोमवार को इस मौके पर खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इस दौरान किस्सागोई, तिरंगा यात्रा, फिल्म प्रदर्शनी समेत अन्य कार्यक्रम किए जाएंगे. यहां यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल समेत अन्य कई अतिथि शामिल होंगे. 

Advertisement

आखिर क्या था काकोरी कांड?

9 अगस्त, 1925 को घटे काकोरी कांड को हमेशा रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेंद्र प्रसाद लाहिड़ी और अन्य कई क्रांतिकारियों के लिए जाना जाता है. तब हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन (HRA) से जुड़े क्रांतिकारियों ने इस घटना को अंजाम दिया था. 

ये घटना एक ट्रेन लूट से जुड़ी है, जो 9 अगस्त, 1925 को काकोरी से चली थी. आंदोलनकारियों ने इस ट्रेन को लूटने का प्लान बनाया था. जब ट्रेन लखनऊ से करीब 8 मील की दूरी पर थी, तब उसमें बैठे तीन क्रांतिकारियों ने गाड़ी को रुकवाया और सरकारी खजाने को लूट लिया. 

इसे पढ़ें: 9 अगस्त 1925: काकोरी कांड की पूरी कहानी, भगत सिंह की जुबानी

स्वतंत्रता सेनानियों ने इसके लिए जर्मन माउज़र का इस्तेमाल किया और अंग्रेजों के सरकारी खजाने से चार हज़ार रुपये लूट लिए थे. काकोरी कांड के आरोप में रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह को फांसी दे दी गई थी. इस घटना के बारे में बाद में शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने विस्तार से लिखा था. 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement