यूपी के खाद संकट पर ग्राउंड रिपोर्ट, कहां कम कहां ज्यादा, जानिए सबकुछ

प्रदेश सरकार का दावा है कि किसानों के लिए प्रचुर मात्रा में खाद की रैक जिलों में पहुंच रही है. कई जिलों में तो खाद की आपूर्ति में सुधार हुआ है, लेकिन अधिकांश जिलों में स्थिति अभी भी बहुत अच्छी नहीं है और किसानों को आसानी से खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही.

Advertisement
यूपी के खाद संकट पर ग्राउंड रिपोर्ट यूपी के खाद संकट पर ग्राउंड रिपोर्ट

उदय गुप्ता

  • लखनऊ,
  • 05 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:02 AM IST
  • उत्तर प्रदेश के खाद संकट पर ग्राउंड रिपोर्ट
  • आजतक की खबर के बाद कई क्षेत्रों में हालात सुधरे

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पिछले कई सप्ताह से उर्वरक का भारी संकट बना हुआ था. जिसके चलते किसानों को काफी परेशानी हो रही थी और किसान त्राहिमाम कर रहे थे. दीपावली से पहले कई जिलों में उर्वरक केंद्रों पर किसानों की लंबी-लंबी कतारें दिखाई दे रही थीं. सैकड़ों की तादाद में किसान सुबह से ही खाद लेने के लिए लाइन में लग जा रहे थे लेकिन इनमें कुछ ही लोगों को खाद मिल पा रहा था. हालात यहां तक खराब हो गए थे कि बुंदेलखंड के ललितपुर में खाद के चक्कर में कई किसानों को जान तक गंवानी पड़ी. 

Advertisement

प्रदेश में खाद के संकट पर सियासत भी खूब हुई और विपक्ष ने खाद संकट के इस मुद्दे पर सरकार को घेरा. एक तरफ कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ललितपुर पहुंची थीं, वहीं दूसरी तरफ राकेश टिकैत भी ललितपुर पहुंचे थे और किसानों की समस्याओं को सुना था.

फिलहाल सरकार का दावा है कि किसानों के लिए प्रचुर मात्रा में खाद की रैक जिलों में पहुंच रही है. कई जिलों में तो खाद की आपूर्ति में सुधार हुआ है. लेकिन अधिकांश जिलों में स्थिति अभी भी बहुत अच्छी नहीं है और किसानों को आसानी से खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है. आजतक की टीम ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में खाद की किल्लत और उपलब्धता के मद्देनजर जानकारी इकट्ठी की. इस दौरान हमें इस बात की जानकारी मिली कि कई जिलों में तो खाद की उपलब्धता मुहैया करा दी गई है. लेकिन अभी भी कई जिले ऐसे हैं,जहां अन्नदाताओं को जरूरत के मुताबिक आसानी से खाद नहीं मिल पा रही है.

Advertisement

बुंदेलखंड की स्थिति

बुन्देलखंड के ललितपुर जिले में आज के समय मे खाद के लिए किसी भी तरह से किसानों के लिए कोई परेशानी नहीं है. जिले में व्यापारियों और सहकारी समितियों पर पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है. दरअसल पिछले दिनों जिले में अचानक बारिश होने की वजह से किसानों ने खेतों में बुवाई के लिए खाद की दुकानों पर दौड़ लगा दी थी.एकाएक खाद की डिमांड बढ़ने की वजह से खाद को लेकर जिले में किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा.

खाद की दुकानों पर किसानों की लंबी लंबी लाइनें लग रही थी और सड़कों पर हजारों किसानों का एकत्रित होकर प्रदर्शन किया. यही नहीं खाद के लिए दर-दर भटक रहे 5 किसानों की मौत की भी खबरें सुर्खियां बनी थीं. फिलहाल खेतों से नमी चले जाने और जिले में खाद की जरूरत के अनुसार ट्रैन से रैक पहुचा देने की वजह से अब पिछले 5-6 दिनों से किसानों को खाद की कोई समस्या नहीं है.

बांदा की स्थिति

यूपी के बांदा में किसान खाद के संकट से जूझ रहे थे. पिछले कई महीनों से वेतन न मिलने से सहकारी समिति के कर्मचारी कलम बंद हड़ताल कर धरने पर बैठ गए हैं. जिससे अब किसानों के सामने और बड़ी मुसीबत आकर खड़ी हो गई है. अब किसान बगैर खाद के फसल बोने के लिए मजबूर हो रहा है. एक तरफ खाद के लिए हफ़्तों से किसान भटक रहे हैं. तो वहीं दूसरी तरफ सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से किसानों की परेशानी बढ़ गई है. पूरे जिले में कई दर्जन कमर्चारी विकास भवन में वेतन की मांग को धरने पर बैठ गए हैं. किसानों का कहना है बुआई का समय है और खाद न मिलने से बुआई में देरी हो रही है. 

Advertisement

इटावा की स्थिति

इटावा में अधिकांश खाद केंद्रों पर पर्याप्त खाद आज भी नहीं है. जिले के किसान लगातार खाद के लिए इधर उधर भटक रहे हैं. लेकिन जरूरत के मुताबिक किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है.जिस किसान को 5 से 10 बोरी खाद की डिमांड होती है तो उसको मात्र 1 या 2 बोरी देकर टरका दिया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ उर्वरक केंद्रों पर भी लगातार डिमांड के आधार पर कम ही स्टॉक दिया जा रहा है.जिस कारण किसानों को पर्याप्त खाद नही मिल रही है.सहायक निबंधक सहकारिता के अनुसार जो खाद प्राइवेट कंपनी को देनी थी वह उपलब्ध न होने की वजह से पूरा लोड सहकारिता पर बढ़ गया है.जिले के आला अधिकारियों का कहना है कि हम लोग भी अपनी व्यवस्था से अधिक खाद बाँट चुके हैं. जितनी जनपद में डिमांड है उसकी आपूर्ति कराने का प्रयास कर रहे हैं.

हरदोई की स्थिति

हरदोई में डीएपी के दिक्कत को देखते हुए और खाद के लिए किसानों की लंबी लाइन के मद्देनजर प्रशासन ने अपनी सक्रियता बढ़ाई है. फिलहाल सहकारी समितियों, पीसीएफ केंद्रों और निजी क्षेत्र में दुकानों पर डीएपी खाद उपलब्ध कराई गई है. लेकिन सहकारी समितियों और पीसीएफ केंद्रों पर किसानों की खाद लेने के लिए अभी भी लाइन नजर आ रही हैं. जबकि निजी क्षेत्र में डीएपी खाद अभी आसानी से मिल रही है. जिला प्रशासन के मुताबिक किसानों को उनकी जोतबही के आधार पर खाद मुहैया कराई जा रही है.कृषि विभाग का दावा है कि 5000 मेट्रिक टन से अधिक डीएपी खाद सरकारी और निजी क्षेत्र में उपलब्ध कराई गई है. जबकि बहुत जल्द 6500 मीट्रिक टन से अधिक खाद जिले में उपलब्ध हो जाएगी.

Advertisement

फतेहपुर की स्थिति

फतेहपुर जिले में अभी भी खाद की किल्लत से किसानों को जूझना पड़ रहा है और किसानों को लंबी लाइन में खड़े होकर खाद लेने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. लेकिन उसके बावजूद किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. किसानों को सबसे ज्यादा दिक्कत डीएपी के लिए उठानी पड़ रही है और यूरिया आसानी से मिल रहा है. आपको बता दें कि फतेहपुर जिले में कुल 70 उर्वरक केंद्र बनाए गए हैं और ज्यादातर केंद्रों का यही हाल है .

रायबरेली की स्थिति

फिलहाल रायबरेली में खाद की किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है. एक बार फिर अधिकारी कैमरे पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए लेकिन आजतक की खबर का असर जरूर देखने को मिला जहां कुछ दिनों पहले लाइन लगाकर भी खाद नहीं मिल पा रही थी. 

कासगंज की स्थिति

डीएपी खाद न मिलने से कासगंज के किसान खासे परेशान और चिंतित हैं, क्योंकि इन दिनो किसानों की रबी की फसल की बुवाई का समय निकलता चला जा रहा है, क्योंकि रबी की फसलों की बुवाई के लिए डीएपी खाद बेहत जरूरी होती है,ऐसे में खाद की उपलब्धता न होने से गेहूं, आलू और सरसों की बुवाई में दिक्कत आ रही है.दरअसल बारिश के कारण  आलू और सरसों की बुवाई में देरी हुई है. इस वजह से इन दोनों फसलों के लिए भी डीएपी की जरूरत है. नवंबर माह के पहले सप्ताह से गेहूं की बुवाई तेज हो जाती है.लेकिन डीएपी की किल्लत से अभी तक इसके लिए कोई व्यवस्था नजर नहीं आ रही है.

Advertisement

आजतक की टीम ने सबसे पहले क्षेत्रीय सहकारी समिति प्रथम कासगंज पर जाकर पड़ताल की तो यहां भी डीएपी का स्टॉक खत्म था. हालांकि यहां एनपीके खाद भरपूर मात्रा में थी. यहां पर किसानों से बातचीत की गई, तो उन्होंने बताया कि रबी की फसल समय से खाद न मिलने से लेट हो रही है. खाद के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं,अन्य जनपदो में डीएपी खाद मिल रही है. कई दिनों से इधर से उधर खाद खरीदने के लिए चक्कर  लगा रहे हैं.अगर उन्हें समय से डीएपी खाद नहीं मिली तो उनकी रबी की फसल चौपट हो जाएगी.

कन्नौज की स्थिति

कन्नौज में किसानों के लिए खाद की किल्लत दूर नहीं हो रही है. यहां पर जिस मात्रा में किसानों को डीएपी और एनपीके खाद चाहिए,उनको उपलब्ध नहीं हो पा रही है. बताते चलें कि जिले में इस समय करीब 70 से 80 परसेंट किसान आलू की बुवाई करते हैं. जिसके लिए एनपीके और डीएपी खाद की किसानों को जरूरत होती है. लेकिन सहकारी समितियों पर खाद उपलब्ध नहीं होने के चलते यहां के किसान परेशान हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement