UP: 'जो भी यहां आया, खुश नहीं रहा', जितिन प्रसाद को जो बंगला मिला, उसके बारे में है ये मिथक

कुछ महीनों पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए जितिन प्रसाद अब योगी सरकार में मंत्री बन गए हैं. मंत्री बनने के बाद उन्हें कालिदास मार्ग पर जो बंगला अलॉट किया गया है, उसके बारे में एक मिथक है.

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ये बंगला सालभर से खाली पड़ा है. ये बंगला सालभर से खाली पड़ा है.

संतोष शर्मा

  • लखनऊ,
  • 27 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:14 PM IST
  • कालिदास मार्ग पर मिला है बंगला
  • पहले कमला रानी का था ये बंगला

यूपी सरकार में रविवार को कैबिनेट विस्तार (Cabinet Expansion) हुआ. इसमें कुछ महीनों पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) को भी जगह दी गई है. उन्हें प्राधिविक शिक्षा विभाग दे दिया गया है. न सिर्फ विभाग दिया गया है, बल्कि जितिन प्रसाद को बंगला भी अलॉट कर दिया गया है. जितिन प्रसाद को 9 कालिदास मार्ग का बंगला अलॉट किया गया है. लेकिन इस बंगले को लेकर तमाम भ्रांतियां और मिथक भी चर्चा में हैं.

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जितिन प्रसाद को अभी जो बंगला दिया गया है, वो कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा के बंगले के बगल में है. अभी इस बंगले के गेट पर बंगला नंबर नहीं लिखा है. अंदर भी पूरा उजड़ा हुआ है. इससे पहले ये बंगला यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं कमला रानी वरुण का था. कमला रानी वरुण का पिछले साल अगस्त में कोरोना से निधन हो गया था. तब से ही ये बंगला खाली पड़ा है. इसी वजह से इस बंगले की हालत खराब है.

उनसे भी पहले ये बंगला बीजेपी सरकार के सहयोगी रहे सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) को मिला था. उनके बेटे और पार्टी महासचिव अरुण राजभर तो कहते हैं कि जब तक इस बंगले में रहे उनकी गाड़ी का आए दिन एक्सीडेंट होता था. वो परेशान रहे और आखिर में उन्हें सरकार से खटपट होकर अलग ही होना पड़ा.

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अरुण राजभर दावा करते हैं कि इस बंगले में जो भी आया, वो सुखी नहीं रहा. वो कहते हैं कि उनके पिता अक्सर सरकार और पार्टी के काम से बाहर ही रहते थे लेकिन वो लगातार इस बंगले में रहते थे और अक्सर उनके साथ ही ऐसी घटनाएं होती थीं.

इस बंगले को लेकर सिर्फ अरुण राजभर ही सशंकित नहीं हैं, बल्कि आसपास रहने वाले तमाम लोग भी इस बंगले में रहने आए नेताओं के साथ इत्तेफाक की बातें बताते हैं. पड़ोस में रहने वालीं सरोज बतातीं हैं कि सपा सरकार में ये बंगला राज किशोर सिंह को मिला था. उनके बेटे का लखनऊ में एक्सीडेंट हो गया और मौत हो गई तो उन्होंने इस बंगले को उसी समय छोड़ दिया था. फिर ओमप्रकाश राजभर आए वो भी छोड़कर चले गए. कमला रानी वरुण का निधन हो गया और तभी से इस बंगले में रहने कोई नहीं आया.

हालांकि, आस पड़ोस में रहने वाले लोग यही कामना करते हैं कि इस बंगले में कोई नेता मंत्री बनकर आ जाए तो कम से कम इलाके में पुलिस रहने लगेगी और उनके लिए भी मंत्री के घर में नौकरी करने का मौका मिलेगा.

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