अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में काफी हलचल हो रही है. पिछले 10 दिनों में लिए गए पार्टी के दो फैसले बताते हैं कि सपा के थिंक टैंक प्रोफेसर रामगोपाल यादव को किस तरह से अलग-थलग किया जा रहा है, जबकि शिवपाल यादव मजबूत हो रहे हैं.
सपा मुखिया के फैसलों पर यादव परिवार में कई गुट बन गए हैं. अमर सिंह की एंट्री और आरएलडी के साथ संभावित गठबंधन पर रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव दोनों की राय अलग-अलग है.
मुलायम के फैसलों के साथ शिवपाल
सूत्रों की मानें तो मुलायम सिंह यादव शिवपाल यादव को किसी अन्य की तुलना में संगठन में ज्यादा मजबूत कर रहे हैं. वो भी मुलायम सिंह के हर फैसले में उनका साथ दे रहे हैं. अमर सिंह को राज्यसभा भेजने में शिवपाल ने मुलायम सिंह के फैसले का समर्थन किया, जबकि रामगोपाल यादव और आजम खान इस फैसले के पक्ष में नहीं थे. मुलायम ने ठाकुर वोटरों को ध्यान में रखते हुए अमर सिंह का तरजीह दी.
शिवपाल और रामगोपाल के विचारों में मतभेद
वहीं राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के साथ संभावित गठबंधन को लेकर भी सपा में मतभेद पैदा हुए. शिवपाल सिंह यादव ने जहां सांप्रदायिक ताकतों से मुकाबले के लिए आरएलडी-सपा गठबंधन की जरूरत बताया, वहीं सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता रामगोपाल यादव ने कहा कि अपनी विश्वसनीयता खो चुके आरएलडी मुखिया अजित सिंह से हाथ मिलाना सपा के लिए समझदारी भरा नहीं होगा.
लव रघुवंशी / बृजेश पांडेय