विवाद में घिरा यूपी का नया स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स, विपक्ष ने उठाए सवाल

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगातार अपराध बढ़ता जा रहा है. यहां पर पुलिस और सरकार का इकबाल खत्म हुआ है. चोरी, डकैती, हत्या, लूट, बलात्कार और अपहरण के साथ अब मॉब लिंचिंग भी शुरू हो गई है.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 17 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:39 AM IST
  • यूपी की योगी सरकार ने किया ऐलान
  • यूपी में होगा एसएसएफ का गठन
  • विपक्ष का एसएसएफ गठन का विरोध

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स (एसएसएफ) के गठन का ऐलान किया है. इसको लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. एसएसएफ उत्तर प्रदेश में बिना वारंट गिरफ्तारी और तलाशी ले सकती है. हालांकि अब स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स विवादों में आ चुका है.

स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स इन दिनों काफी चर्चा में बना हुआ है. वहीं इस पर विवाद भी बढ़ता जा रहा है. योगी सरकार ने केंद्रीय बल सीआईएसएफ की तर्ज पर एसएसएफ के गठन का ऐलान कर दिया है. हालांकि जब से इसका ऐलान हुआ है तभी से इस पर विवाद भी उभर आया है और एसएसएफ के अधिकारों को लेकर योगी सरकार की आलोचना भी शुरू हो गई है.

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दरअसल, योगी सरकार ने एसएसएफ को ऐसे अधिकार दिए हैं जो सिर्फ राज्य और केंद्र के पुलिस की कुछ एजेंसियों के पास होते हैं. जैसे बिना वारंट की गिरफ्तारी, बिना वारंट की तलाशी और साथ ही इनके कार्रवाई पर मुकदमा भी दर्ज नहीं हो सकता. अब राज्य सरकार पहले चरण में 9919 पुलिसकर्मियों का यह बल तैयार करने जा रही है, जो पीएसी की तीन बटालियन से निकालकर बनाई जाएगी.

सरकार के मुताबिक इस नए पुलिस बल के गठन के पीछे राज्य के कुछ महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा इसका मकसद है. जैसे राज्य में बन रहे कई एयरपोर्ट की सुरक्षा एसएसएफ को दी जाएगी. साथ ही यूपी में बड़े मंदिरों की सुरक्षा को भी एसएसएफ के हवाले किया जाएगा. इसके अलावा हाईकोर्ट जैसे बड़े संस्थानों को भी एसएसएफ सुरक्षा के भीतर लाया जाएगा. साथ ही बड़े औद्योगिक और आर्थिक प्रतिष्ठान अगर सुरक्षा मांगेंगे तो उन्हें पेमेंट के आधार पर ऐसी सुरक्षा मुहैया कराई जा सकती है.

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हालांकि राज्य पुलिस बल के अलावा विशेष तौर पर बनाए जा रहे स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स को असीमित अधिकार दिए जाने का विरोध भी शुरू हो गया है. लेकिन पहले ये जान लेते हैं कि आखिर राज्य सरकार इसको लेकर क्या कहती है...

प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्थी के मुताबिक उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल मेट्रो रेल, न्यायालय, एयरपोर्ट, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों आदि की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाएगा. राज्य सरकार के जरिए नवगठित उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की तरह काम करेगा. यूपी सरकार के जरिए बनाया गया उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल अधिनियम-2020 के तहत कोई नया प्रावधान नहीं किया गया है बल्कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को प्रदत्त शक्तियों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में गठित इस विशेष सुरक्षा बल को भी शक्तियां प्रदान की गयी है.

कांग्रेस ने किया विरोध

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा, 'यह काला कानून है और संविधान विरोधी है. राजनीतिक लोगों को सिर्फ विद्वेष के चलते फंसाया जा सके, अभिव्यक्ति की आजादी को छीनने के लिए, राजनीतिक, सामाजिक और पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों के अधिकारों को छीनने के लिए यह कानून बनाया जा रहा है. सरकार यह जानती है कि उत्तर प्रदेश का शोषित, वंचित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और खास करके प्रतियोगी परीक्षार्थी यह सभी वर्ग उपेक्षित है. इस कानून के माध्यम से सरकार इन सभी लोगों की आवाज दबाना चाहती है. ना वकील ना दलील, इस सरकार की यही मंशा है. हम इसका विरोध करते हैं. कांग्रेस पार्टी सड़क से लेकर संसद तक इन मुद्दों को लेकर संघर्ष करेगी.'

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'पुलिस का राजनीतिकरण'

वहीं समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में लगातार अपराध बढ़ता जा रहा है. यहां पर पुलिस और सरकार का इकबाल खत्म हुआ है. चोरी, डकैती, हत्या, लूट, बलात्कार और अपहरण के साथ अब मॉब लिंचिंग भी शुरू हो गई है. यहां पर सरकार पुलिस का इस्तेमाल राजनीतिक द्वेष से कर रही है. यहां पर पुलिस का राजनीतिकरण हो रहा है. वास्तविक अपराधी बच जा रहे हैं. जंगलराज चल रहा है. जो फोर्स बनी है उसमें एक लाइन ऐड कर दीजिए कि अगर किसी निर्दोष व्यक्ति को उठाकर पुलिस जेल भेजती है और गंभीर धारा लगाती है, फिर जांच होने के उपरांत वह व्यक्ति निर्दोष पाया जाता है तो वही धारा उस पुलिस पर लगाई जाए, जिसने उसको जेल भेजा था. तभी जाकर आप राजनीतिकरण से बच पाएंगे. नहीं तो यह सरकार पुलिस का मिस यूज करेगी और राजनीतिक द्वेष से काम करेगी.'

एसएसएफ का विरोध करते हुए देवबंदी उलेमा मौलाना मुस्तफा देहलवी ने कहा कि यह जो फोर्स बनाया जा रहा है, इसके बनने से हिंदुस्तान के कानून और यहां की अदालत का यह अपमान होगा. उलेमा ने राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से मांग करते हुए कहा है कि ऐसे बल पर लगाम लगाया जाए, जिससे हिंदुस्तान के कानून और अदालत का अपमान होता हो.

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वहीं यह दलील लोगों के गले नहीं उतर रही कि आखिर सीआईएसफ जैसी केंद्रीय बल बड़े संस्थानों की सुरक्षा के लिए मौजूद है तो एसएसएफ की जरूरत क्या है? जब केंद्रीय बल सीआईएसएफ के हवाले सारे बड़े संस्थान और इंस्टॉलेशन पहले से हैं तो स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स की जरूरत क्या है? अगर एयरपोर्ट या दूसरे महत्वपूर्ण संस्थानों को सुरक्षा ही देना है तो सीआईएसएफ की और भी बटालियन है. राज्य में सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं तो फिर नए बल की जरूरत क्यों?


 

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