यूपी सरकार ने कोविड काल में निजी स्कूलों में फीस बढ़ोत्तरी पर लगी रोक को हटा लिया है. लिहाजा प्राइवेट स्कूल अब फीस में बढ़ोतरी कर सकते हैं. इस फैसले के बाद अभिभावकों की नींद उड़ गई है. मध्यम वर्गीय परिवार के अभिभावकों के लिए अपने बच्चों को बिना रुकावट के पढ़ा पाना किसी चुनौती से कम नहीं है.
वाराणसी के अति मध्यम वर्गीय गुजराती परिवार और स्टेशनरी की दुकान चलाकर जीविका चलाने वाले शरद पौडवाल का कहना है कि कोविड काल में 2 साल तक धंधा पूरी तरह से ठप रहा. अब जैसे-तैसे रोजगार संभला है तो महंगाई और फिर बढ़ी फीस ने चिंता बढ़ा दी है. दो बच्चियों के पिता शरद बताते हैं कि पेपर और कॉपी का रेट आसमान छू रहा है, स्कूलों की फीस बढ़ाया जाना मेरी समझ के परे है.
शरद ने कहा कि महंगाई पर भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. जनता महंगाई के बोझ से और दबती चली जा रही है. घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो चुका है. सरकार को निजी स्कूलों को और नियंत्रण में रखना चाहिए ताकि वह फीस वृद्धि न करें और एडमिशन शुल्क भी न लें. अगर हालात नहीं सुधरे तो मीडियम क्लास के लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए मजबूर हो जाएंगे.
शरद पौडवाल की पत्नी बीना पौडवाल बताती हैं कि एक गृहणी होने के नाते उन्हें सीमित बजट खर्च के लिए मिलता है. जिसमें राशन, सिलेंडर, दवाइयां और महंगी होती सब्जी खरीदना मुश्किल होता जा रहा है. ऊपर से बच्चों की फीस वृद्धि ने चिंता बढा दी है. फीस बढ़ने के बाद खर्च मैंटेन करना काफी मुश्किल हो जाएगा. स्कूल फीस के अलावा भी बच्चों की पढ़ाई के और भी खर्च होते हैं. उन्होंने कहा कि योगी सरकार को एक बार फिर फीस वृद्धि के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है.
वहीं शरद और बीना पौडवाल की 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची राशि बताती है कि उनके अभिभावक पर पहले से उनकी और बड़ी बहन की पढ़ाई के खर्च और अन्य घरेलू खर्चों को उठा पाना मुश्किल हो चुका है. ऐसे में फीस वृद्धि ने मुश्किल खड़ी कर दी है.
रोशन जायसवाल