सैफई में यादव परिवार के जुटने से पहले मची भगदड़, 5 घायल

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शनिवार शाम को अपने बच्चों के साथ सैफई पहुंचे हैं. इसी दौरान अखिलेश यादव ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे का ट्रायल रन भी पूरा किया.

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अखिलेश-मुलायम अखिलेश-मुलायम

कुमार अभिषेक

  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 7:48 AM IST

पिछले कुछ दिनों से परिवार में मचे कलह के बीच आज समाजवादी परिवार यानि मुलायम कुनबे के सैफई पहुंचने के आसार है, अखिलेश गुट पहुंच चुका है, जिसमें खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा रामगोपाल यादव सैफई में है, जबकि शिवपाल यादव और मुलायम सिंह यादव के शाम तक सैफई पहुंचे की उम्मीद जताई जा रही है. दीवाली के मौके पर भी परिवार बंटा दिखाई दे रहा है.

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इस बीच सैफई में पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस के बाहर हल्की भगदड़ मचने की खबर है, यहां अखिलेश यादव मीटिंग में थे. इस भगदड़ में 5 लोगों के घायल होने की खबर है, जिसमें 2 मीडियाकर्मी भी हैं.

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शनिवार शाम को अपने बच्चों के साथ सैफई पहुंचे हैं. इसी दौरान अखिलेश यादव ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे का ट्रायल रन भी पूरा किया. अपनी गाड़ी से मुख्यमंत्री अपने बच्चों और दो मंत्रियों राजेंद्र चौधरी और अभिषेक मिश्रा के साथ सैफई पहुंचे. रास्ते में अखिलेश ने कई जगहों पर रूक मजदूरों से मुलाकात उन्हें दीपावली की बधाईयां दीं और कामकाज का जायजा लिया.

सैफई में भी अलग-अलग
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव लखनऊ में हैं, ऐसे में कयास ये लगाए जा रहें है कि अखिलेश अपने बच्चों के साथ शाम तक वापस लखनऊ आ सकते हैं, जबकि रामगोपाल यादव अपने परिवार के साथ सैफई के अपने घर में हैं. अंदाजा ये लगाया जा रहा है कि मुख्यमंत्री के लखनऊ वापस आने के बाद शिवपाल सैफई पहुंचेंगे ताकि एक-दूसरे के आमने-सामने से बच सकें. इस सबके बीच फिलहाल मुलायम सिंह यादव के सैफई जाने के कार्यक्रम पर फिलहाल सस्पेंस बरकरार है. अगर मुलायम सिंह यादव सैफई नहीं पहुंचते तो सभी का एक छत के नीचे दिवाली मनाना मुमकिन नहीं लगता, क्योंकि परिवार के मुखिया के बगैर शायद ही चाचा भतीजा आमना-सामना कर सकें.

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बहरहाल फिलहाल सैफई में कयासों का दौर जारी है कि क्या ये समाजवादी परिवार कम से कम दीवाली में एक साथ दिखेगा? क्या मुलायम सिंह अपने गांव में अपनी पारिवारिक एकता दिखा पाएंगे? इन सवालों का जवाब मुश्किल है, क्योंकि परिवार के बीच सियासी दीवार इतनी ऊंची है कि फिलहाल निजी रिश्ते इस पर हावी होते दिख रहे हैं.

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