मथुरा लोकसभा सीट: कौन-कौन है उम्मीदवार, किसके बीच होगी कड़ी टक्कर

मथुरा लोकसभा सीट पहले संसदीय चुनाव से ही राजनीतिक रण होता रहा है. पहले और दूसरे लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन उसके बाद 1962 से 1977 तक तीन बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की. 1977 में चली सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस को यहां से हार का सामना करना पड़ा और भारतीय लोकदल को जीत मिली.

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मथुरा से फिर से किस्मत आजमा रही हैं हेमा मालिनी (फोटो-ट्विटर) मथुरा से फिर से किस्मत आजमा रही हैं हेमा मालिनी (फोटो-ट्विटर)

सुरेंद्र कुमार वर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 10:37 AM IST

धार्मिक नगरी और भगवान कृष्ण की नगरी के रूप में पहचान रखने वाली मथुरा लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश के हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार की जाती है. राजनीतिक रूप से मथुरा का कद तब बढ़ गया था जब पिछले चुनाव में ड्रीम गर्ल और बॉलीवुड अभिनेत्री हेमामालिनी ने यहां से चुनाव लड़ते हुए जोरदार जीत हासिल की थी.

मथुरा लोकसभा सीट पर दूसरे चरण (18 अप्रैल) में मतदान होना है. इस बार चुनाव मैदान में भारतीय जनता पार्टी की ओर से हेमा मालिनी मैदान में हैं तो उनको चुनौती देने के लिए 12 अन्य उम्मीदवार मैदान में हैं. कांग्रेस ने महेश पाठक, राष्ट्रीय लोक दल ने कुंवर नरेंद्र सिंह, स्वतंत्र जनताराज पार्टी ने ओम प्रकाश को मैदान में उतारा है. सपा-बसपा और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के बीच हुए गठबंधन के तहत यह सीट राष्ट्रीय लोक दल को मिली है और उसने नरेंद्र सिंह को टिकट दिया है. मैदान में 3 निर्दलीय प्रत्याशियों के अलावा 5 अन्य प्रत्याशी छोटे-छोटे दलों के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

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पहली जीत निर्दलीय प्रत्याशी को

मथुरा लोकसभा सीट पहले संसदीय चुनाव से ही राजनीतिक रण होता रहा है. पहले और दूसरे लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन उसके बाद 1962 से 1977 तक तीन बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की. 1977 में चली सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस को यहां से हार का सामना करना पड़ा और भारतीय लोकदल को जीत मिली.

जनता दल ने 1980 में यहां से चुनाव जीता, लेकिन 1984 में एक बार फिर उसे यहां से जोरदार जीत मिली. इसके बाद यहां पर जीत के लिए कांग्रेस के लिए जीत का लंबा इंतजार शुरू हो गया और 1989 में जनता दल के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की. इसके बाद यहां लगातार 1991, 1996, 1998 और 1999 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की. इस दौरान चौधरी तेजवीर सिंह लगातार 3 बार यहां से चुनाव जीते.

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हालांकि, 2004 में कांग्रेस के लिए जीत का सूखा खत्म करते हुए मानवेंद्र सिंह ने वापसी कराई. 2009 में बीजेपी के साथ लड़ने वाले रालोद के जयंत चौधरी ने एकतरफा बड़ी जीत दर्ज की. लेकिन 2014 में चली मोदी लहर में अभिनेत्री हेमा मालिनी ने 50 फीसदी से अधिक वोट पाकर जीत दर्ज की.  

मथुरा सीट पर जाट और मुस्लिम वोटरों का वर्चस्व रहा है. 2014 में भी जाट और मुस्लिम वोटरों के अलग होने का नुकसान ही रालोद को भुगतना पड़ा था. जाटों ने एकमुश्त होकर बीजेपी के हक में वोट किया. 2014 के आंकड़ों के अनुसार मथुरा लोकसभा क्षेत्र में कुल 17 लाख मतदाता हैं, इनमें 9.3 लाख पुरुष और 7 लाख से अधिक महिला वोटर हैं. मथुरा लोकसभा के तहत छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा और बलदेव विधानसभा सीट आती हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां मांट सीट पर बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली थी, जबकि बाकी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी.

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