कैराना में मिसाल बना मतदान, जाट महिलाओं ने रोजेदार मुस्लिमों के लिए छोड़ी लाइन

कैराना लोकसभा उपचुनाव हुए मतदान ने ऐसी मिसाल पेश की है, जो पूरे देश के कई हिस्सों में बार-बार बनते सांप्रदायिक तनाव को दूर करने के लिए नजीर बन सकता है.

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कैराना में पोलिंग बूथ पर मुस्लिम महिलाएं कैराना में पोलिंग बूथ पर मुस्लिम महिलाएं

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2018,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST

नवंबर 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव की खाई इतनी गहरी हो गई थी, जिससे लगने लगा था कि इनमें अब कभी नहीं पटेगी, लेकिन पांच साल बाद कैराना उपचुनाव ने पूरी सूरत ही बदल दी और एक बार फिर दोनों समुदाय के बीच बेहतर तालमेल दिखा.

बता दें कि कैराना लोकसभा उपचुनाव में हुए मतदान ने ऐसी मिसाल पेश की है, जो देश के कई हिस्सों में बार-बार बनते सांप्रदायिक तनाव को दूर करने के लिए नजीर बन सकता है.

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रमजान का महीना और भीषण गर्मी के बीच कैराना लोकसभा सीट पर सोमवार को मतदान हो रहा था. पोलिंग बूथ पर मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें लगी थी. इस बीच जब मुस्लिम मतदाता रोजा रखकर वोट डालने के लिए पोलिंग बूथ पर पहुंचे तो जाट समुदाय ने उनके लिए पोलिंग बूथ खाली कर दिया.

शामली जिले के ऊनगांव और गढ़ीपोख्ता कस्बा जाट बहुल इलाका माना जाता है. इन दोनों बूथ पर नजारा ऐसा देखने को मिला कि लोग आश्चर्यचकित रह गए. बूथ पर मतदान के लिए जाट समुदाय की महिलाएं पहले से लगी हुई थीं. इस बीच मुस्लिम महिलाएं भी वोट डालने के लिए पहुंचीं, तो जाट महिलाओं ने उन्हें आगे कर अनोखी मिसाल पेश कर दी.

बूथ पर पहले से खड़ीं जाट महिलाओं ने मुस्लिम महिलाओं से कहा 'बहन आप पहले वोट डाल लीजिए क्योंकि आप रोजे से हैं. मैं तो बाद में भी वोट डाल लूंगी.'

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गढ़ीपोख्ता कस्बे के बूथ पर चौधरी राजेंद्र सिंह अपने परिवार के साथ वोट डालने के लिए कतार में लगे हुए थे. ऐसे में 55 वर्षीय बसीर वोट डालने के लिए पहुंचे, तो राजेंद्र सिंह ने उन्हें आगे कर दिया और खुद पीछे लाइन में लग गए. पीछे लाइन में लगते हुए कहा कि आप रोजे से हैं, इसलिए पहले आप वोट डाल लें, हम तो बाद में भी वोट डाल लेंगे.

पश्चिम यूपी में मुस्लिम और जाट समुदाय के बीच खड़ी नफरत की दीवार टूटती दिख रही है. बता दें कि 2013 से पहले जाट और मुस्लिम समुदाय के बीच बेहतर तालमेल थी. इस इलाके के जाट और मुस्लिम वोटों को एकजुट करके चौधरी अजित सिंह ने कई बार सत्ता का स्वाद चखा है, लेकिन मुजफ्फरनगर दंगे से रिश्ते में खटास आ गई थी.

कैराना उपचुनाव में आरएलडी ने तबस्सुम हसन को उम्मीदवार बनाया था. जबकि बीजेपी ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को प्रत्याशी बनाया है.

आरएलडी मुखिया और उनके बेटे जयंत चौधरी पिछले 6 महीने से अपने आधार को मजबूत करने के लिए लगे हुए हैं. करीब 100 से ज़्यादा रैलियों को संबोधित किया और दोनों समुदाय के लोगों को एकजुट होने का संदेश देकर पार्टी के लिए वोट मांगा रहे थे. इसी का नतीजा है कि एक बार फिर जाट और मुस्लिम समुदाय एक दूसरे के लिए नजदीक आते दिखे.

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