उत्तर प्रदेश में राज्यपाल कोटे की 4 विधान परिषद (एमएलसी) सीटें अगले महीने 5 जुलाई को रिक्त हो रही हैं. यह चारों सीटें सपा के कब्जे में है, लेकिन अब सूबे की सत्ता पर काबिज योगी सरकार एमएलसी सदस्यों के नाम तय करेगी. यही वजह है कि बीजेपी के सहयोगी दल भी राज्यपाल के द्वारा मनोनीत एमएलसी सीटों पर अपने दावेदारी पेश कर दी है. ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी क्या सभी सीटें अपने पास कब्जे में रखेगी या फिर अपना दल (एस) और निषाद पार्टी को भी सीटें देगी?
राज्यपाल कोटे से जिन समाजवादी पार्टी के सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. उनमें लीलावती कुशवाहा, रामवृक्ष सिंह यादव, एसआरएस यादव और जितेंद्र यादव शामिल हैं. इन सभी का कार्यकाल 5 जुलाई 2021 को समाप्त हो रहा है. माना जा रहा है कि सरकार उससे पहले ही निर्वाचन और मनोनीत की प्रक्रिया पूरी कर लेगी. मनोनयन कोटे की खाली हो रही इन सीटों का लाभ सत्ताधारी पार्टी को होगा.
उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार में बीजेपी की सहयोगी अनुप्रिया पटेल की अगुवाई वाले अपना दल (एस) ने विधान परिषद में खाली हो रही मनोनीत क्षेत्र के चार (एमएलसी सीटें) सदस्यों में से एक सदस्य पद की मांग की है. अपना दल (एस) ने बीजेपी के शीर्ष नेताओं के सामने अपनी यह मंशा जाहिर कर दी है. वहीं, निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद भी एक एमएलसी सीट पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं.
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किस पार्टी की क्या है डिमांड?
वहीं, बीजेपी राज्यपाल कोटे की चारों सीटों पर नजर गड़ाए हुए है. विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी राज्यपाल कोटे की सीटों के जरिए समीकरण साधने की कोशिश में है, लेकिन जिस तरह से अपना दल (एस) और निषाद पार्टी ने एक-एक सीट की डिमांड रख दी है. हाल ही बीजेपी के दोनों ही सहयोगी दल के नेताओं ने बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के साथ मुलाकात किया था और एमएलसी सीट की दावेदारी पेश की थी.
अनुप्रिया पटेल अपने पति आशीष पटेल को बीजेपी की मदद से विधान परिषद भेज चुकी हैं, अब एक सीट की दावेदारी कर दी है. माना जा रहा है कि अनुप्रिया पटेल पार्टी सारे विवादों को किनारे रखकर अपनी मां व पार्टी के संस्थापक सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल को एमएलसी बनाना चाहती हैं, ताकि पार्टी विधानसभा चुनाव में परिवार की एकता के साथ जनता के बीच नजर आए. बीजेपी उन्हें एक एमएलसी सीट देती है तो पहले अपनी मां को भेजना चाहेंगी. ऐसे में अगर वो राजी नहीं हुईं तो अपने पिता के करीबी किसी दूसरे नेता को भेजना चाहेंगी.
5 जुलाई को समाप्त हो रहा कार्यकाल!
शिक्षा, साहित्य, मनोरंजन, पत्रकारिता, राजनीति, समाज सेवा आदि क्षेत्र से जुड़े प्रतिष्ठित लोगों को राज्यपाल कोटे से मनोनीत किए जाने को लेकर विधान परिषद में यह सीटें रहती हैं. उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ बीजेपी की तरफ से इन 4 सीटों पर मनोनयन को लेकर राज्यपाल के पास नाम भेजे जाएंगे. जिसके बाद मनोनीत किए जाने का काम किया जाएगा. यह चारों सीटें पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार के समय मनोनीत की गई थी. जिनका कार्यकाल 5 जुलाई को समाप्त हो रहा है. ऐसे में इन सीटों के लिए तमाम जतन किए जा रहे हैं.
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उत्तर प्रदेश विधान परिषद के 100 सदस्यीय सदन में 5 जुलाई को चार सीटें खाली हो जाएंगी. ऐसे में परिषद में मौजूदा सपा सदस्यों की संख्या 51 से घटकर 47 पर आ जाएगी. सत्ताधारी बीजेपी को इन सीटों के रिक्त होने का सीधा सियासी लाभ मिलेगा. सरकार इन सीटों पर राज्यपाल के जरिए मनोनयन कराकर सदन में अपनी ताकत बढ़ा सकेगी. विधान परिषद में अभी बीजेपी के पास कुल 32 सदस्य हैं. इसके अलावा कांग्रेस की 2, अपना दल (एस) की एक, बसपा के छह और निर्दलीय 6 सदस्य हैं. इस तरह से अभी भी बीजेपी विधान परिषद में बहुमत से 18 सदस्य कम हैं.
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कुबूल अहमद