यूपी: उर्दू की फर्जी डिग्रियों के सहारे मदरसे में पाई नौकरी, गिरी गाज, बर्खास्त

फर्रुखाबाद में उर्दू की फर्जी डिग्रियों के सहारे सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल करने वाले शिक्षक पवन कुमार को बीएसए ने बर्खास्त कर दिया है. साथ ही पवन कुमार के खिलाफ एफआईआर कराने के भी आदेश दिए गए हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

कुमार अभिषेक / फिरोज़ खान / बनबीर सिंह

  • लखनऊ,
  • 26 जून 2020,
  • अपडेटेड 4:33 PM IST

  • फर्रुखाबाद में एक शिक्षक की सेवा समाप्त
  • बीएसए ने दिए रिकवरी की कार्रवाई के आदेश

अनामिका शुक्ला प्रकरण के बाद सरकार फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी पाने वाले अध्यापकों की पहचान करने के लिए अभियान चला रही है. उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति में भी बड़े स्तर पर धांधली की बात सामने आ रही है. फर्रुखाबाद में फर्जी कागजातों के सहारे नौकरी प्राप्त करने वाले अध्यापकों की मानों बाढ़ सी आ गई है. फर्रुखाबाद में उर्दू की फर्जी डिग्रियों के सहारे सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल करने वाले शिक्षक पवन कुमार को बीएसए ने बर्खास्त कर दिया है. साथ ही पवन कुमार के खिलाफ एफआईआर कराने के भी आदेश दिए गए हैं.

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पवन से रिकवरी की कार्रवाई भी की जा रही है. बताया जाता है कि फर्जी उर्दू प्रमाण पत्रों के आधार पर लखनऊ के मुकरीमनगर हसनगंज निवासी पवन कुमार ने साल 2016 में उर्दू शिक्षक के पद पर नौकरी पा ली थी. काउंसिलिंग के बाद पवन कुमार की नियुक्ति कायमगंज क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय कटरा रहमत खां में हुई थी. फर्जी अभिलेखों की शिकायत के बाद एसटीएफ ने मामले की छानबीन शुरू की. जांच में जामिया उर्दू अलीगढ़ के रजिस्ट्रार ने बताया कि साल 1993 में अदीब 849 अनुक्रमांक पर और अदीब ए माहिर 6110 अनुक्रमांक पर पवन कुमार का नाम दर्ज नहीं है, ना ही उनके संस्थान से पवन कुमार को इस प्रकार का कोई प्रमाण पत्र जारी किया गया है.

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एसटीएफ की रिपोर्ट पर बीएसए ने पवन कुमार को सुनवाई के लिए पहला नोटिस 19 मई, दूसरा नोटिस 27 मई और तीसरा नोटिस 11 जून को भिजवाया. इसके बाद भी पवन कुमार अपना पक्ष रखने के लिए कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए. बीएसए ने उर्दू टीचर पवन कुमार की सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया है. वहीं, उर्दू शिक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के भी निर्देश दिए गए हैं. पवन से सरकारी धन की रिकवरी कराने के निर्देश भी दिए गए हैं.

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वहीं, अंबेडकर नगर जिले के तीन मदरसों में नियुक्त सभी शिक्षक फर्जी हैं. अंबेडकर नगर के निवासी वकील अब्बास रिजवी ने दो साल पहले सरकार से जांच कराने की मांग की थी. जांच हुई तो तमाम शिक्षक फर्जी निकले. किसी की बीएड की डिग्री फर्जी थी तो किसी की एमए की, साथ ही मदरसा सिर्फ कागजों पर मिला ना तो उसकी कोई बिल्डिंग थी और ना ही कोई जगह. 2018 में जांच के बाद जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा कि तीन मदरसों के सभी शिक्षक फर्जी हैं.

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इस संबंध में प्रदेश के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार में अपना वोट बैंक बनाने के लिए मदरसों का इस्तेमाल किया गया. उन्होंने सपा सरकार में सरकारी धन का दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि मदरसों में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति की गई.

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