सपा के MY वोट बैंक और पुराने हिट फॉर्मूले पर है मायावती की नजर

बसपा प्रमुख मायावती ने लोकसभा चुनाव के बाद न केवल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से गठबंधन तोड़ा, बल्कि अब उनकी नजर सपा के मूल वोटबैंक यादव और मुस्लिम पर है. इसके अलावा बसपा ब्राह्मण समुदाय को भी साधकर रखना चाहती है.

Advertisement
बसपा अध्यक्ष मायावती बसपा अध्यक्ष मायावती

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 10:10 AM IST

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा चुनाव के बाद  सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से न केवल गठबंधन तोड़ा, बल्कि अब उनकी नजर सपा को मूल वोटबैंक यादव और मुस्लिम पर भी है. इसके अलावा वह ब्राह्मण समुदाय को भी साधकर एक बार फिर से सोशल इंजीनियरिंग के जरिए सत्ता में वापसी करना चाहती हैं. मायावती ने सूबे के सियासी समीकरण को साधने के लिए बुधवार को बसपा में सांगठनिक स्तर पर बड़ा फेरबदल किया है. उन्होंने लोकसभा में दानिश अली की जगह श्याम सिंह यादव को नेता बनाया है और मुनकाद अली को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है.

Advertisement

बता दें कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किया है. इसके बाद बने सियासी माहौल बीजेपी के पक्ष में नजर आ रहा है. ऐसे में मायावती अपने राजनीतिक समीकरण को दुरुस्त करने में जुट गई हैं. बसपा अध्यक्ष ने बुधवार को जिस तरह से पार्टी की लीडरशिप में बदलाव किए हैं, उससे अब उनकी नीति साफ हो गई है. हालांकि धारा 370 में बदलाव का मायावती ने समर्थन किया है. बीएसपी इस बात को बखूबी समझ रही है कि मौजूदा समय में किसी भी राजनीतिक पार्टी के पास अपने कोर वोटबैंक इतने मजबूत नहीं रह गए हैं.

मायावती ने श्याम सिंह यादव को लोकसभा में नेता बनाकर यादव समुदाय को बड़ा संदेश दिया है. इसके जरिए मायावती ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि बीएसपी का जुड़ाव यादव वोटरों के प्रति भी है. बसपा अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव के बाद एसपी से नाता तोड़ते समय यह कहा भी था कि यादव वोटरों पर सपा की पकड़ नहीं रह गई है.

Advertisement

यादव के साथ ही, मायावती ने सपा के मजबूत वोटबैंक माने जाने वाले मुस्लिम वोटरों को भी अपने पाले में लाने की कवायद की है. मायावती ने आरएस कुशवाहा की जगह मुनकाद अली को उत्तर प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है. मुनकाद अली पश्चिम यूपी से रहने वाले हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में पश्चिम यूपी में बसपा से दो मुस्लिम सांसद जीतने में कामयाब रहे हैं. दानिश अली की जगह मुनकाद पश्चिम यूपी में ज्यादा प्रभावी नाम हैं. यही वजह है कि मायावती ने दांव चला है जिससे वह अपना दखल पश्चिम यूपी के मुसलमानों में ज्यादा मजबूत कर सकें.

मायावती ने यादव और मुस्लिम के साथ-साथ ब्राह्मणों को साथ जोड़कर रखने की कोशिश की है. राज्यसभा में जहां ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सतीश चंद्र मिश्र हैं, वहीं लोकसभा में रितेश पांडेय को उपनेता बनाकर मायावती ने अपने राजनीतिक एजेंडे को साफ कर दिया है. इसके जरिए उन्होंने संदेश दिया है कि ब्राह्मण समुदाय को पूरी तरह वो तवज्जो दे रही हैं.

उन्होंने बसपा का प्रदेश अध्यक्ष पश्चिम यूपी से बनाया है तो लोकसभा में नेता और उपनेता पूर्वांचल से बनाया है. इससे साफ है कि मायावती पश्चिम और पूरब के समीकरणों को भी काफी बेहतर तरीके से साधने की कोशिश की गई है. उत्तर प्रदेश के मौजूदा सियासी माहौल में बसपा इस बात को बाखूबी समझ रही है कि सत्ता में वापसी के लिए सिर्फ दलित समुदाय के वोट से काम नहीं चलेगा. ऐसे में उसे सभी जातियों और वर्गों के वोटों की जरूरत पड़ेगी.

Advertisement

उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी मुस्लिम और 12 फीसदी यादव मतदाता सपा का मूल वोट बैंक माना जाता है. इन्हीं दोनों समुदाय के वोटबैंक के दम पर मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव तक सत्ता के सिंहासन तक पहुंचे. ऐसे में मायावती की अब पहली नजर सपा से छिटक रहे यादव और मुस्लिम वोटरों पर है.

बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में हुए हर चुनाव में यादवों समुदाय के वोटों की सपा की मजबूत पकड़ नहीं रह गई है. बीजेपी को अच्छा खासा मिला है. 2019 के चुनाव में यादव वोटरों में बीजेपी ने बड़े पैमाने पर सेंधमारी की है. खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाके की संसदीय सीटों पर. इसी मद्देनजर मायावती ने पूर्वांचल के जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव को लोकसभा में अपना नेता बनाया है. उन्होंने यादवों में संदेश साफ कर दिया है कि बीएसपी में भी उनकी सुनी जाएगी और पार्टी में अहम पद भी दिए जाएंगे.

उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार काशी प्रसाद यादव बताते हैं कि अनुच्छेद 370 को हटाने पर मायावती ने जिस तरह से बीजेपी का सदन में साथ दिया. इसके बाद मायावती को डर सता रहा है कि लोकसभा चुनाव में आया मुस्लिम समुदाय कहीं उनसे न छिटक न जाए. इसी मद्देनजर उन्होंने मुस्लिम समुदाय के मुनकाद अली को प्रदेश अध्यक्ष की कमान देकर अपने समीकरण को बैलेंस करने की कवायद की है.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement