अयोध्या में मस्जिद निर्माण में होगी देरी, अभी ट्रस्ट का ऑफिस बनना भी बाकी

अतहर हुसैन ने कहा कि ट्रस्ट का ऑफिस भी बनना है. इन सब में एक से डेढ़ महीने का वक्त लग जाएगा. इसके बाद हम आगे मस्जिद निर्माण का काम करेंगे. 5 एकड़ ज़मीन पर मस्जिद के अलावा रिसर्च सेंटर, पब्लिशिंग हाउस, म्यूजियम, लाइब्रेरी और एक हॉस्पिटल बड़ा बनना चाहिए ताकि आसपास के इलाके में कोरोना महामारी को देखते हुए बेड मिल सके.

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अयोध्या की तेरही बाजार मस्जिद (PTI) अयोध्या की तेरही बाजार मस्जिद (PTI)

नीलांशु शुक्ला

  • लखनऊ,
  • 30 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 3:21 PM IST

  • मस्जिद के अलावा रिसर्च सेंटर बनाने की तैयारी
  • क्राउड फंडिंग से होगा मस्जिद का निर्माण: ट्रस्ट

इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि मस्जिद निर्माण के लिए फरवरी में जमीन मिली लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते आगे की प्रक्रिया नहीं कर पाए. बता दें, अयोध्या के धन्नीपुर गांव में मस्जिद बनाने के लिए यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन का गठन किया है.

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अतहर हुसैन इस फाउंडेशन के सचिव और प्रवक्ता हैं. उन्होंने मस्जिद निर्माण के बारे में कहा कि अनलॉक के बाद हमने आगे की प्रक्रिया शुरू की और ट्रस्ट का गठन किया गया. ट्रस्ट का गठन 19 जुलाई को किया गया और अभी तक हमने डिजिटल मीटिंग्स की. अतहर हुसैन ने कहा कि मस्जिद निर्माण शुरू होने में अभी वक्त लगेगा क्योंकि ट्रस्ट अभी बना है. हमें अभी पैन कार्ड, अकाउंट नंबर के लिए अप्लाई करना है.

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अतहर हुसैन ने 'आजतक' से कहा कि ट्रस्ट का ऑफिस भी बनना है. इन सब में एक से डेढ़ महीने का वक्त लग जाएगा. इसके बाद हम आगे मस्जिद निर्माण का काम करेंगे. 5 एकड़ ज़मीन पर मस्जिद के अलावा रिसर्च सेंटर, पब्लिशिंग हाउस, म्यूजियम, लाइब्रेरी और एक हॉस्पिटल बड़ा बनना चाहिए ताकि आसपास के इलाके में कोरोना महामारी को देखते हुए बेड मिल सके. बाबरी मस्जिद का जो रकबा था उस हिसाब से मस्जिद निर्माण होगा लेकिन हम इसपर ज़ोर नहीं देंगे क्योंकि ज़मीन पर और निर्माण भी होना है.

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अतहर हुसैन इस फाउंडेशन के सचिव हुसैन ने कहा, साउथ में कई लोगों से हमने फंडिंग के लिए बात की है. क्राउड फंडिंग से मस्जिद का निर्माण होगा. मस्जिद का नाम क्या होगा इसपर डिबेट नहीं होनी चाहिए. हो सकता है बाबरी नाम न भी हो. हम सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार काम करेंगे जिससे हिंदू-मुस्लिम समाज और जुड़े. पांच एकड़ ज़मीन सिर्फ सुन्नी कक्फ बोर्ड को दी गई है.

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