मायावती के साथ गठबंधन पर बोले अखिलेश- देश बचाने को किसी भी त्याग को तैयार

अखिलेश ने कहा, ‘मायावती के साथ उनका एक ही मंच साझा करने का वक्त आएगा, नहीं आएगा, इसके बारे में अभी वो कुछ नहीं कह सकते. लेकिन बीएसपी के साथ संबंध अच्छे हैं, अब आगे ये कैसे बढ़ते हैं, देखिए.’

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अखिलेश यादव (फाइल फोटो) अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

अजीत तिवारी / खुशदीप सहगल / कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 07 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 10:19 PM IST

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साफ किया है कि वे बीजेपी से मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकजुटता की खातिर किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. ‘आज तक’ के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अखिलेश ने कहा कि देश को बचाने के लिए वे कोई भी त्याग कर सकते हैं. अखिलेश ने संकेत दिया कि बड़े गठबंधन को बड़ा स्वरूप देने के लिए उनसे जो भी संभव होगा, वो करेंगे.

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उन्होंने मायावती की पार्टी बीएसपी के साथ संबंध अच्छे होने का भी हवाला दिया. अखिलेश ने कहा, ‘मायावती के साथ उनका एक ही मंच साझा करने का वक्त आएगा, नहीं आएगा, इसके बारे में अभी वो कुछ नहीं कह सकते. लेकिन बीएसपी के साथ संबंध अच्छे हैं, अब आगे ये कैसे बढ़ते हैं, देखिए.’

कोई भी त्याग करने को तैयार हूं

कभी अखिलेश के ‘बुआ’ कहने पर पर नाराजगी जताने वालीं मायावती के लिए भी अब बीजेपी ही ‘राजनीतिक दुश्मन नंबर 1’ है. इसका सबूत मायावती गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के लिए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को समर्थन के एलान के साथ दे चुकी हैं. ‘बुआ’ ने दरियादिली दिखाई तो ‘भतीजा’ भी भला कहां पीछे रहता. गठबंधन के नेता के सवाल पर अखिलेश ने ‘आज तक’ से कहा, ‘गठबंधन का नेता कौन हो, कौन लीड करे, यह बातें बाद में है. भारत देश में हमें समझाया गया है कि यहां त्याग से बढ़कर कुछ नहीं होता. देश बचाने के लिए अगर कोई त्याग करना पड़े तो तो मै सबसे पहले करने को तैयार हूं. इसके लिए कोई राजनीतिक दल कहे चाहे ना कहे.’

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राजनीति में मैंने रास्ता बदला है

अखिलेश ने बिना किसी लाग-लपेट कहा, ‘राजनीति में अपना रास्ता बदला जाता है इसलिए मैंने भी अपना रास्ता बदला है. इसीलिए मैंने मायावती जी से गठबंधन किया  है.’

अखिलेश ने दोस्ती निभाने को लेकर कहा, ‘देखिए, मैं आशावादी आदमी हूं और दोस्ती में विश्वास रखता हूं. दोस्ती कितने दिन की भी हो अच्छी होनी चाहिए, मैं इसमें यकीन करता हूं.’

उपचुनाव के नतीजों के बारे में अखिलेश ने कहा कि नतीजे जब तक ना आ जाएं तब तक कौन जीतेगा, ये कहना बहुत  मुश्किल है. अखिलेश के मुताबिक अगर प्रशासन ने जबरदस्ती नहीं की तो परिणाम सचमुच चौंकाने वाले होंगे.

सोशल इंजीनियरिंग पर है फोकस

अखिलेश ने एक सवाल के जवाब में सोशल इंजीनियरिंग पर फोकस होने की बात भी मानी. अखिलेश ने कहा, ‘पिछली बार जब हम चुनाव लड़ रहे थे तो हमने विकास किया. मैंने नारा दिया काम बोलता है, हम लेकिन हार गए. हमसे कहा गया कि हमने सोशल इंजीनियरिंग नहीं की. तो इस बार हमने सोशल इंजीनियरिंग की है. अब सरकार में तो हम हैं नहीं. काम कर नहीं सकते इसलिए हमने सोशल इंजीनियरिंग की है. मुझे उम्मीद है कि यह सोशल इंजीनियरिंग बड़ा परिवर्तन लाएगी.’

अखिलेश लगे हाथ बीजेपी पर निशाना साधना नहीं भूले. अखिलेश ने कहा, ‘मुझे वह दिन याद है जब जब बीजेपी की ओर से मौर्य, कुशवाहा सभी जातियों को मुख्यमंत्री पद देने की बात कही थी. सभी जातियों से मुख्यमंत्री बनाने के वादे किए थे लेकिन उन्होंने किसे मुख्यमंत्री बनाया यह देखिए.’

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मैं एक भारतीय हूं

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खुद को हिंदू कहे जाने वाले बयान के संदर्भ में अखिलेश ने कहा, ‘मैंने कभी नहीं कहा कि मैं हिंदू हूं. मैंने हमेशा कहा कि मैं एक भारतीय हूं. कोई मुख्यमंत्री जब ये बात सदन में कहता है कि वो हिंदू है तो ये बात कब सदन में कहेंगे कि वो भारतीय है.’

कांग्रेस को भी रखना होगा बड़ा दिल

उत्तर प्रदेश विधानसभा के बीते साल हुए चुनाव में अखिलेश ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया था. कांग्रेस से रिश्ते पर अखिलेश ने कहा, ‘देखिए कांग्रेस से दोस्ती है. उसके नेता से हमारी दोस्ती है. जब कभी हमें गठबंधन की जरूरत पड़ेगी, कांग्रेस को उस गठबंधन की जरूरत पड़ेगी तो सहयोग करेंगे. लेकिन कांग्रेस पार्टी को भी बड़ा दिल रखना पड़ेगा कि कैसे सबको एक साथ लेकर के चलें.’

बीजेपी के लोग टैगोर की किताब ‘राष्ट्रवाद’ पढ़ें

देश में कई जगह मूर्तियां तोड़े जाने की घटनाओं पर अखिलेश ने कहा, ‘बीजेपी को खासकर यह कहना चाहता हूं कि इस तरह का व्यवहार किसी भी राजनीतिक दल के लिए ठीक नहीं है. बीजेपी  के लोगों को रविंद्र नाथ टैगोर की राष्ट्रवाद पर लिखी किताब पढ़नी चाहिए. यह जिस तरह का जहर घोल रहे हैं इससे देश का नुकसान होगा. आप 48 देश घूम कर आ गए बताइए 48 देशों में कहां मूर्तियां तोड़ी जाती है. थोड़ी सी समझ बीजेपी कार्यकर्ताओं में भी होनी चाहिए. अगर नहीं तो ये लोग राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और गुरुदेव टैगोर को दोबारा पढ़ें.’

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