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उत्तर प्रदेश

माथे पर त्रिपुंड, भगवा बाना, मंदिर में पूजा... देखिए हिंदू बनने के बाद वसीम रिजवी की पहली तस्वीरें

अरविंद ओझा
  • गाजियाबाद,
  • 06 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:51 PM IST
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उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रहे वसीम रिजवी ने इस्लाम धर्म छोड़कर आज सनातन (हिंदू) धर्म अपना लिया. गाजियाबाद के डासना मंदिर में महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने उन्‍हें हिंदू धर्म अपना दिया. इस दौरान महंत नरसिंहानंद ने कई तरह के अनुष्ठान भी किए. धर्म परिवर्तन के बाद वसीम रिजवी का नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी हो गया है.

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हिंदू धर्म स्वीकारने के बाद वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी ने कहा, 'धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है, जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया तो फिर मेरी मर्जी है कि मैं कौन-सा धर्म स्वीकार करूं. सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है, जितनी उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं, और किसी धर्म में नहीं हैं. इस्लाम को हम धर्म ही नहीं समझते.'

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वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी ने आगे कहा, 'हर जुमे को नमाज के बाद हमारा सिर काटने के लिए फतवे दिए जाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में हमको कोई मुसलमान कहे, हमको खुद शर्म आती है.' उन्होंने कहा कि मुसलमानों का वोट किसी भी सियासी पार्टी को नहीं जाता है, मुसलमान केवल हिंदुत्व के खिलाफ और हिंदुओं को हराने के लिए वोट करते हैं.

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विधि-विधान से वसीम रिजवी ने हिंदू धर्म अपनाया

वसीम रिजवी ने कुछ दिन पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह सनातन (हिंदू) धर्म अपनाएंगे. आज वह डासना मंदिर पहुंचे. यहां पर महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने वसीम रिजवी को केसरिया शाल ओढ़ाकर स्वागत किया. इसके बाद तय किया गया कि वसीम रिजवी त्यागी बिरादरी से जुड़ेंगे. इसके बाद उनका नया नामकरण भी किया गया.

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नए नामकरण के बाद शुरू हो गया अनुष्ठान का दौर. माथे पर त्रिपुंड और भगवा बाना पहनकर वसीम रिजवी उर्फ हरबीर त्यागी ने देवी मंदिर में पूजा की. यति नरसिंहानंद ने उन्हें सनातन धर्म ग्रहण कराया. अब से वसीम रिजवी का नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी हो गया है.

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वसीयत में हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार की जताई थी इच्छा

इससे पहले वसीम रिजवी ने अपनी वसीयत जारी की थी. इस वसीयत में उन्‍होंने ऐलान किया था कि मरने के बाद उन्हें दफनाने के बजाय हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाए. उन्‍होंने यह भी कहा था कि यति नरसिम्हानंद उनकी चिता को आग दें. इस वसीयत के बाद वसीम रिजवी ने खुद की हत्‍या की साजिश की आशंका जताई थी.

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वसीम रिजवी ने एक किताब भी लिखी है जो इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के ऊपर है. इस किताब में भी उन्होंने इस्लाम धर्म और पैगंबर को लेकर ऐसी टिप्पणियां की हैं, जिनकी आलोचना की गई. यहां तक कि वसीम रिजवी इस्लाम में सुधार की मांग भी कर चुके हैं. कुरान से 26 आयतें हटाने की याचिका उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी.

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वसीम रिजवी के सनातन धर्म स्वीकार करने पर अखिल भारत हिंदू महासभा के अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज ने कहा कि संत महासभा उनका स्वागत करती है, वसीम रिजवी साहब अब हमारे हिंदू सनातन धर्म के अंग है कोई भी कट्टरपंथी उनके खिलाफ फतवा जारी करने के लिए दुसाहस ना करें, केंद्र-प्रदेश सरकार उन्हें उचित सुरक्षा मुहैया कराए.

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