'ड्राइवर के पीछे मौत, कंडक्टर के पीछे जिंदगी...', चश्मदीद ने बयां किया रुला देने वाला मंजर, तेलंगाना बस हादसे में खत्म हो गईं तीन पीढ़ियां

सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि घायलों को फ्रैक्चर, चेहरे, पेट और पैरों में चोटें आई हैं. कई को हैदराबाद के बड़े सरकारी अस्पतालों में भेजा गया है. पुलिस अधिकारी श्रीधर को रेस्क्यू के दौरान खुद चोट लगी जब एक जेसीबी उनकी टांग पर चढ़ गई.

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तेलंगाना बस हादसे में 19 लोगों की जान गई है (Photo- ITG) तेलंगाना बस हादसे में 19 लोगों की जान गई है (Photo- ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST

तेलंगाना के रंगारेड्डी में सोमवार को हुए दर्दनाक बस हादसे में मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 19 हो गया है. इस दुर्घटना के एक चश्मदीद यात्री ने सोमवार को खुलासा किया कि बस में ड्राइवर की तरफ बैठे अधिकांश यात्री मारे गए, जबकि कंडक्टर की सीट के पीछे बैठे लोग बच गए.

यात्री मशरत अली ने भयानक घटना को याद करते हुए मीडिया को बताया कि वह बस में झपकी ले रहा था, तभी एक ज़ोरदार टक्कर से उसकी आंख खुली और वह आधा बजरी (Gravel) में दब चुका था.

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चश्मदीद ने पीटीआई को बताया, "कई लोग बजरी के नीचे दब गए थे. टिपर लॉरी रॉन्ग साइड से आ से आई थी. मैं बस की बाईं तरफ बैठा था. हम किसी तरह बाहर निकलने में कामयाब रहे, लेकिन जो लोग ड्राइवर के पीछे बैठे थे, वे नहीं बच पाए. उनमें से कुछ की मौत हो गई." उन्होंने बताया कि वह कंडक्टर से तीन कतार पीछे बैठे थे.

उन्होंने बताया कि उन्होंने एक खिड़की खोली और छह अन्य लोगों के साथ बाहर निकले. बाद में, एक और व्यक्ति ने शीशे तोड़कर और यात्रियों को बाहर निकाला.

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पूरे परिवार खत्म, मातम में बदली खुशी

इस हादसे ने पूरी पीढ़ियों को समाप्त कर दिया और कई परिवारों को तोड़ दिया.शेख आमेर के अनुसार, उनकी दोस्त की पत्नी सलेहा बेगम (19), उनके पिता शेख खालिद हुसैन (50) और उनकी 41 दिन की नवजात बेटी ज़हेरा फातिमा की इस दुर्घटना में मौत हो गई. 

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यह परिवार नवजात बच्ची को तांदूर में रिश्तेदारों को दिखाने के बाद हैदराबाद लौट रहा था. सलेहा के पति, वहीद हुसैन, जो ट्रक चलाते हैं, वह हादसे के समय ड्यूटी पर बाहर थे. खालिद हुसैन परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे.

तीन बेटियों को खोने का दर्द

इसी तरह, तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले के तांदूर शहर के एक परिवार ने इस हादसे में अपनी तीन बेटियां खो दीं. कॉलेज की छात्राएं नंदिनी, साईप्रिया और तनुषा दुर्घटना में मारी गईं.

उनकी मां अंबिका, चेवेल्ला के सरकारी अस्पताल में बेसुध होकर रो रही थीं, जहां शवों को लाया गया था. अंबिका ने कहा कि बेटियों को कल ही हैदराबाद जाना था, लेकिन वे नहीं गईं और आज यह दुर्घटना हो गई.

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घायल पिता पर बजरी गिरी
मामूली चोटों वाले एक बचे हुए यात्री अशोक ने अपने पिता हनुमंथा (45) की मौत का दिल दहला देने वाला मंजर याद किया. अशोक अपने कान की समस्या के इलाज के लिए पिता के साथ कोडंगल से हैदराबाद के अस्पताल जा रहे थे. अशोक ने बताया, "मेरे पिता मेरे बगल में बैठे थे. टिपर के टकराने के बाद कई लोग और भारी मात्रा में बजरी मेरे पिता पर गिर गई."

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