हैदराबाद में दो ऑटो-रिक्शा चालकों की लाश मिली. इसके बाद, इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन गिरफ्तार लोगों में एक न्यूरोसर्जन और उनका असिस्टेंट शामिल हैं. दोनों चालक, जिनकी उम्र 25 और 29 वर्ष थी, 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात को एक फ्लाईओवर के नीचे एक ऑटो-रिक्शा में मृत पाए गए थे. पुलिस को मौके से सीरिंज और एनेस्थीसिया इंजेक्शन मिले थे, जिससे ड्रग ओवरडोज का संदेह हुआ.
चंद्रयानगुट्टा पुलिस ने मामला दर्ज किया. जांच के दौरान पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें एक निजी अस्पताल का वार्ड बॉय शामिल है. इन पर अवैध रूप से एनेस्थीसिया दवा प्राप्त करने, बेचने और देने में शामिल होने का आरोप है.
अस्पताल के चेयरमैन और एमडी, जो खुद एक न्यूरोसर्जन हैं, उन्हें भी गिरफ्तार किया गया है. न्यूरोसर्जन के असिस्टेंट के रूप में काम करने वाली एक नर्सिंग छात्रा को भी गिरफ्तार किया गया है.
चोरी और लापरवाही की कड़ी...
वार्ड बॉय ने स्वीकार किया कि उसने 26 नवंबर को अस्पताल में सफाई ड्यूटी के दौरान एनेस्थीसिया के चार एम्पूल का एक पैक चुराया था. अगले दिन उसने एक अन्य व्यक्ति को बेच दिया, जिन्हें मृतक ऑटो चालकों ने खरीदा था. पुलिस के मुताबिक, डॉक्टर ने 26 नवंबर को एक मरीज पर न्यूरोसर्जरी की थी.
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ऑपरेशन के दौरान इंजेक्शन का इस्तेमाल करने के बाद, उन्होंने बची हुई एनेस्थीसिया शीशियों को सुरक्षित रखने के लिए कोई एहतियाती कदम नहीं उठाए और उन्हें ऑपरेशन थिएटर में ही छोड़ दिया.
लापरवाही बनी मौत का कारण
पुलिस ने कहा कि डॉक्टर और उनके असिस्टेंट की ओर से दवाओं (एनेस्थीसिया) को सुरक्षित करने में हुई इस चूक और लापरवाही के कारण वार्ड बॉय ने बचे हुए इंजेक्शन चुरा लिए. ये इंजेक्शन बाद में अवैध रूप से बेचे गए और इनका दुरुपयोग हुआ, जिसकी वजह से ऑटो चालकों की मौत हो गई.
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