तेलंगाना चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी को अपनी ऑटो में सवारी कराने वाला मशरत अली आज कांग्रेस सरकार के राज में गुजारे के लिए संघर्ष कर रहा है. हैदराबाद के इस ऑटो चालक ने कभी गर्व से दो ऑटो के मालिक होने का दावा किया था, लेकिन अब उन्हें गुजर-बसर करने के लिए एक ऑटो किराए पर लेना पड़ रहा है.
मशरत अली याद करते हैं कि कैसे राहुल गांधी ने उन्हें और उनके जैसे अन्य चालकों के जीवन को बेहतर बनाने का वादा किया था.
अली ने कहा, “उन्होंने कहा था कि ऑटो चालकों के लिए एक कल्याण बोर्ड (Welfare Board) बनाया जाएगा और हर ड्राइवर को ₹12,000 की वार्षिक सहायता दी जाएगी. हमने उन पर विश्वास किया.”
कभी ऑटो मालिक थे मशरत
लेकिन आज स्थिति यह है कि अली अपनी दोनों ऑटो गंवा चुके हैं. उन्होंने दर्द बयां करते हुए कहा, “मैं एक ऑटो किराए पर लेने के लिए रोज़ाना ₹400 चुका रहा हूं और मुश्किल से ₹1,000 कमा पा रहा हूं.”
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अली, जो कभी एक छोटे मालिक-उद्यमी थे और लगभग ₹2500 प्रतिदिन कमाते थे, उनका कहना है कि बढ़ती ईंधन लागत और सरकारी समर्थन की कमी के कारण उनकी आय गिर गई है. उन्होंने निराशा जाहिर करते हुए कहा, “कांग्रेस ने हमसे मदद का वादा किया, लेकिन कुछ नहीं दिया. हमें धोखा महसूस हो रहा है.”
बीआरएस ने उठाया मुद्दा
मशरत अली की यह कहानी तेलंगाना के कई अन्य ऑटो चालकों के दर्द को दर्शाती है, जिनका कहना है कि सरकार द्वारा घोषित कल्याणकारी योजनाएं अभी तक धरातल पर नहीं उतरी हैं. ऑटो चालकों को कुछ ही महीनों में समर्पित बोर्ड, सब्सिडी और मासिक सहायता मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अभी तक कुछ भी लागू नहीं हुआ है.
यह मामला तब सामने आया जब बीआरएस (BRS) के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने मशरत अली से मुलाकात की और उनकी कहानी को जनता के सामने रखते हुए कांग्रेस सरकार पर ऑटो चालकों को धोखा देने का आरोप लगाया. अली की स्थिति एक बड़ी आर्थिक सच्चाई को दर्शाती हैकि राज्य भर में कई ड्राइवर घटती आय और बढ़ते कर्ज से जूझ रहे हैं.
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मशरत अली के लिए, ऑटो मालिक से दैनिक मज़दूरी पर चलने वाले ड्राइवर में बदलना व्यक्तिगत गरिमा का नुकसान जैसा महसूस होता है. उन्होंने कहा, “मैंने कभी राहुल गांधी को दिल में उम्मीद लेकर सवारी कराई थी. आज, मैं बस मीटर चालू रखने के लिए संघर्ष कर रहा हूं.”
अब्दुल बशीर