ईद के दिन भी कश्मीर में तनाव, तारिक अनवर बोले- केंद्र के लिए चिंता का विषय

तारिक अनवर ने कहा कि कश्मीर में हालात कभी इतने नहीं बिगड़े और सरकार को पाकिस्तान और आतंकियों के हाथ में हालात जाने से रोकना चाहिए.

Advertisement
तारिक अनवर तारिक अनवर

मौसमी सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST

ईद के त्योहार के दिन कश्मीर में कर्फ्यू की स्थिति बनी हुई है और लगातार तनाव का माहौल है. इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार द्वारा गठित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के मेंबर एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा कि कश्मीर में हालात कभी इतने नहीं बिगड़े और सरकार को पाकिस्तान और आतंकियों के हाथ में हालात जाने से रोकना चाहिए.

Advertisement

सवाल- ईद के दिन कश्मीर के 10 जिलों में कर्फ्यू लगा है?
जवाब- बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है जब हमारा डेलिगेशन कश्मीर गया उसके बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार को ये आशा थी कि स्थिति ठीक हो जाएगी. कश्मीर के हिसाब से भी आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण पर्व है. लेकिन फिर भी स्थिति तनावपूर्ण है.

सवाल- अलगावादी नेताओं ने मार्च का आवाहन किया है, एक तरीके से सरकार से भरोसा उठ गया है?
जवाब- हाल पहले जैसे नहीं रहे, हमें कश्मीर के लोगों को भरोसा दिलाना पड़ेगा, विश्वास दिलाना पड़ेगा. जितना जल्दी हो सके क्योंकि वहां के लोगों का जो एक भरोसा था केंद्र सरकार पर या डेलिगेशन पर वह विश्वास लगभग समाप्त हो गया. हमारी क्रेडिबिलिटी खत्म हो गई है. वह विश्वसनीयता वापस कैसे लाएं उसके लिए परिश्रम करना पड़ेगा. आज भी गृहमंत्री कुछ बोलते हैं, पीएम कुछ बोलते हैं और दूसरे नेता कुछ बोलते हैं, जिससे हमारी क्रेडिबिलिटी और नीचे चली गई.

Advertisement

सवाल- आतंकियों ने टेरर वीडियो जारी किया है भारत के समर्थकों और नेताओं को टारगेट करेंगे?
जवाब- आतंकी तो इस मुद्दे का लाभ उठाना चाहेंगे. पाकिस्तान भी लाभ उठाना की कोशिश में है. हमारी कोशिश ये होनी चाहिए की यह मुद्दा पाकिस्तान और आतंकियों के हाथ ना जाए, हमें कोशिश करनी चाहिए कि वहां सभी दलों से बातचीत हो, कोई भी ऐसा महसूस ना करें कि उसको अकेले छोड़ दिया तब यह स्थिति बेहतर हो सकती है.

सवाल- क्या कभी इतिहास में इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई?
जवाब- ये सच है कि पहले भी ऐसी घटनाएं हुई लेकिन आज स्थिति सबसे बद से बद्दतर हो चुकी है. पहले सभी आंदोलन ज्यादातर शहरों से ही जुड़े हुआ था. लेकिन आज यह गांव-गांव चला गया है. ये कहना कि सिर्फ 5 फीसदी लोग शामिल हैं इस आंदोलन ऐसा नहीं है जमीनी हकीकत कुछ और है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement