कट्टर छवि छोड़ 'इमेज बिल्डिंग' के लिए योगी ने उठाए ये 6 कदम

योगी आदित्यनाथ करीब एक साल पहले जिस तरह से मुस्लिम समाज के खिलाफ जहर उगलते थे, अब वैसी भाषा इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. वो अपनी इमेज को मेकओवर करने की कवायद में जुट गए हैं. योगी अपनी परंपरागत कट्टरवादी हिंदुत्व की छवि से बाहर निकलने और समाज के सभी वर्गों के बीच गहरी पैठ बनाने की कोशिश में हैं.

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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 18 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 5:17 PM IST

योगी आदित्यनाथ ने कट्टर हिंदूवादी नेता के तौर पर अपनी सियासत की शुरुआत की और मौजूदा दौर में यूपी की सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हैं. योगी सरकार का सियासी सफर का एक साल पूरा हो रहा है. ऐसे में उनके काम-काज से लेकर उनके द्वारा उठाए गए कदम का मूल्यांकन किया जा रहा है. सीएम बनने के बाद से योगी ने एक के बाद एक ऐसे कदम उठाए हैं, जो उनकी परंपरागत छवि के बिल्कुल विपरीत है.

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योगी आदित्यनाथ करीब एक साल पहले जिस तरह से मुस्लिम समाज के खिलाफ जहर उगलते थे, अब वैसी भाषा इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. वो अपनी इमेज को मेकओवर करने की कवायद में जुट गए हैं. योगी अपनी परंपरागत कट्टरवादी हिंदुत्व की छवि से बाहर निकलने और समाज के सभी वर्गों के बीच गहरी पैठ बनाने की कोशिश में हैं. योगी ने अपने एक साल के कार्यकाल में 5 कदम ऐसे उठाए हैं, जिससे लगता है कि वो खुद की पहचान विकासवादी नेता के तौर पर चाहते हैं.

योगी अब मस्जिद भी जाने को तैयार

योगी आदित्यनाथ यूपी में कट्टर हिंदुत्व के सबसे  बड़े चेहरे के तौर पर पहचाने जाते हैं. सीएम बनने के पहले मुसलमानों को लेकर उनके विवादित बयान जगजाहिर हैं. अब सूबे के मुखिया हैं तो योगी मस्जिद भी जाने के लिए तैयार हैं. एक कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने कहा,'अगर मुझे मस्जिद से आमंत्रण मिलता है तो मैं वहां भी जाऊंगा. मुझे बतौर मुख्यमंत्री कहीं जाने में कोई दिक्कत नहीं. वैसे मैं हिंदू हूं और मेरी आस्था के अनुसार पूजा पद्धति की मुझे स्वतंत्रता है. मैं प्रदेश के हर धर्म-मत के नागरिक का मुख्यमंत्री हूं और सबको अपनी आस्था का अनुसरण करने के लिए सरकार पूरी सुरक्षा देगी.'

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मदरसे और संस्कृत स्कूल

योगी आदित्यनाथ एक दौर में मदरसों के विरोध में थे. सीएम बनने से पहले तक योगी मदरसों को लेकर तरह तरह आरोप लगाते रहते थे. लेकिन अब मदरसों को लेकर उनके तेवर बदल गए हैं. योगी कह रहे हैं कि मदरसों को बंद करना हल नहीं है, बल्कि मदरसों और संस्कृत विद्यालय का आधुनिकीकरण करना चाहिए. उन्होंने कहा कि संस्कृत विद्यालयों को भी अन्य विषयों को अपनाना चाहिए, तभी फायदा होगा. मदरसा और संस्कृत विद्यालय की बात एक साथ करना योगी की परपंरागत छवि के विपरीत है.

ताज के आगे झाड़ू लगा रहे हैं

उत्तर प्रदेश में बीजेपी नेता जिस समय ताजमहल को लेकर बयानबाजी कर रहे थे. बीजेपी नेता ताजमहल को शिवमंदिर बताने में लगे थे. इन सबके बीच योगी आदित्यनाथ ने स्वच्छता अभियान का आगाज के लिए ताजमहल के परिसर में जाकर झाड़ू लगाई. झाड़ू लगाने के बाद सीएम योगी शाहजहां पार्क के पुनरुद्धार व आगरा किला- ताज महल के मध्य पैदल पथ के विकास योजना का शिलान्यास किया. योगी का ताज परिसर में झाड़ू लगाना और ताज परिसर को सुंदर बनाने की लिए शुरू की गई योजनाएं उनके ही पार्टी के कई नेताओं को बहुत खली थीं. लेकिन योगी का ये कदम उनकी छवि के विपरीत था.

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पद्मावत पर नो बैन

पद्मावत फिल्म को लेकर बीजेपी शासित राज्य के सीएम जिस तरह से सख्त रवैया अख्तियार किए हुए थे, वैसा रुख यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नहीं रहा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा फिल्म पर लगी रोक हटाए जाने के बाद योगी ने पद्मावती फिल्म को लेकर कोई बयान नहीं दिया है और न ही फिल्म को सूबे में बैन करने की बात कही है. जबकि राजपूत समाज इस फिल्म को लेकर गुस्से में है. इन सबके बावजूद योगी का फिल्म पर बैन न लगाना कहीं न कहीं उनके छवि के विपरीत है. हालांकि योगी खुद भी राजपूत समाज से आते हैं.

नोएडा का टोटका ख़त्म किया

यूपी की सियासी जमात के बीच अनकही मान्यता है कि मुख्यमंत्री रहते हुए जो भी शख्स नोएडा पहुंचेगा, उसकी सत्ता छिन जाएगी. अपशकुन का ये चक्रव्यूह इतना खतरनाक माना जाता है कि 19 सालों में सिर्फ मायावती ने ही बतौर सीएम नोएडा का दौरा किया था. उसके बाद वो भी सत्ता में वापस नहीं आ सकीं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा आकर इस मिथक को तोड़ा है. सीएम पद संभालने के बाद से योगी तीन बार नोएडा का दौरा करके टोटके को खत्म कर रहे हैं.

मिडिल क्लास के दिलों में जगह बनाने की जुगत

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योगी आदित्यनाथ की हिंदुत्व छवि के चलते उनकी पकड़ समाज के एक क्लास में है. सीएम बनने के बाद अब अपना दायरा बढ़ाना चाहते हैं. समाज के मिडिल क्लास के दिलों में अपनी जगह बनाने की दिशा में उन्होंने कदम बढ़ाया है. इसी के मद्देनजर उन्होंने बिल्डर्स से होम बायर्स को आवास दिलाने का बीड़ा उठाया.

बिल्डरों की तानाशाह रवैये से एक दशक से सूबे में होम बायर्स परेशान थे. बिल्डर्स होम बायर्स को आवास का कब्जा देने को तैयार नहीं थे. सूबे में सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन होम बायर्स की परेशानियां जस की तस बनी रहीं. योगी के सत्ता में आते ही 40 हजार से ज्यादा बायर्स को घर उपलब्ध कराया. होम बायर्स में बड़ा तबका मिडिल क्लास से आता है. इसी तरह मिडिल क्लास के लिए कई कदम उठाए हैं.

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