एबीवीपी के हजारों छात्र तिरुवनंतपुरम रैली में होंगे शामिल, वामपंथी हिंसा के विरुद्ध आवाज़ उठाएंग

एबीवीपी ने अपने मारे गए कार्यकर्ताओं के लिए न्याय और कथि‍त वामपंथी हिंसा पर कार्रवाई की मांग की है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

अशोक सिंघल

  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 9:58 PM IST

केरल में कथित रूप से कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा लगातार एबीवीपी और संघ के कार्यकर्ताओं के खिलाफ हो रही हिंसा के विरुद्ध एबीवीपी 11 नवंबर को 'चलो केरल' के नारे के साथ राजधानी तिरुवनंतपुरम में एक महारैली आयोजित करने जा रही है. एबीवीपी ने अपने मारे गए कार्यकर्ताओं के लिए न्याय और कथि‍त वामपंथी हिंसा पर कार्रवाई की मांग की है.

 गुरुवार को दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय महामंत्री विनय बिद्रे ने 11 नवंबर को वामपंथी हिंसा के विरुद्ध केरल में एक महारैली की घोषणा की और इसका पोस्टर जारी किया. उन्होंने बताया कि इस रैली में देश के सभी राज्यों से 50 हज़ार एबीवीपी कार्यकर्ता व सदस्य विद्यार्थी केरल में राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं के समर्थन में शामिल होंगे. केरल के सभी जिलों से भी इसमें विद्यार्थी भी शामिल होंगे.

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उन्होंने कहा, 'केरल जैसे खूबसूरत प्रदेश में सीपीएम अपने विरोधी विचारधारा वालों को जान से मारकर कलंकित कर रही है. जो भूमि प्रकृति द्वारा अन्यतम सुन्दरता से परिपूर्ण है, उस 'ईश्वर के अपने देश' में सीपीएम के गुंडे अपनी सरकार के प्रश्रय में दानवी हिंसाचार कर रहे हैं. सीपीएम द्वारा चलाये जा रहे इस हिंसाचार और तानाशाही प्रवृ‍त्त‍ि के विरुद्ध एबीवीपी के कार्यकर्ता लगातार संघर्ष कर रहे हैं. जब भी सीपीएम की सरकार आती है, हमले बढ़ जाते हैं. खासकर कण्णूर जिले में, जो स्वयं मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का गृह जनपद है, तो हिंसा की पराकाष्ठा हो चुकी है. एबीवीपी अब अपने और कार्यकर्ताओं पर हमले सहन नहीं करेगी.'  

एबीवीपी के केरल प्रदेश मंत्री श्याम राज ने कहा, 'राष्ट्रवादी विचारधारा के कार्यकर्ताओं के मन में भय उत्पन्न करने की साज़िश के तहत सीपीएम के गुंडे हत्या करने के घृणित तरीके अपनाते हैं. कभी भरी क्लास में विद्यार्थियों के सामने मास्टर जयकृष्णन की हत्या की जाती है, तो कभी पम्पा नदी में अपनी जान बचाकर भागे तीन छात्रों (सुजीत, किम और अनु) पर पत्थर बरसाकर उनको मौत के घात उतारा जाता है. समय आ चुका है कि अब इस प्रकार की तानाशाही और अत्याचार के खिलाफ और अधिक मुखर होकर इनके सच्चे रूप को जनमानस के सामने लाया जाए.

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