ये गार्ड 18 साल से लिख रहा है शहीदों के परिवार को चिट्ठी

शहीदों के परिवारों का आभार व्यक्त करने के लिए, उन्होंने शहीदों के परिवारों को पत्र लिखना शुरू किया. वो पत्र के द्वारा यह शहीदों के परिवारों को, ये आभास दिलाना चाहते है, कि कोई है जो उनके साथ खड़ा हैं.

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एक सोसायटी में गार्ड की नौकरी करते हैं जितेंद्र सिंह एक सोसायटी में गार्ड की नौकरी करते हैं जितेंद्र सिंह

संदीप कुमार सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2017,
  • अपडेटेड 5:40 PM IST

सूरत की एक सोसायटी में गार्ड की नौकरी करने वाले जितेंद्र सिंह गुर्जर जनार्दन देशभक्ति की एक अनोखी मिसाल पेश की है. उन्होंने देश के लिए जान देने वाले जवानों के परिवारों को सांत्वना देने के लिए अब तक 4000 से ज्यादा चिट्ठी लिख चुके हैं, उनमें से 125 परिवारों की तरफ से उन्हें जवाब भी मिला है.

जितेंद्र बताते हैं 'कारगिल युद्ध के बाद से ही मैं शहीदों के परिवार को पत्र लिख रहा हूं. सेना में काम करना कठिन है, और यह देश का कर्तव्य है कि हम उन शहीदों का सम्मान करें जिन्होंने हमारे लिए अपनी ज़िंदगी का बलिदान दिया है. उनके परिवार को उनके अपनों के खोने का ग़म हैं, जो उन्हें आधा कर देता है, ऐसे में हमें उनके परिवारों के साथ खड़ा होना चाहिए'. इसको ध्यान में रखते हुए, जितेंद्र ने शहीदों के परिवारों का आभार व्यक्त करने के लिए, उन्होंने शहीदों के परिवारों को पत्र लिखना शुरू किया. वो पत्र के द्वारा यह शहीदों के परिवारों को, ये आभास दिलाना चाहते हैं, कि कोई है जो उनके साथ खड़ा है. वो आगे कहते हैं कि कई बार मरहम की जगह शब्द ज्यादा आराम देते हैं, इसलिए मैंने लिखना शुरू किया. इससे मुझे भी शांति मिलती है.

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मूल रूप से जितेंद्र राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले हैं. उनका 14 साल का बेटा हरदीप सिंह, जो अभी दसवीं कक्षा में पढ़ता है. जितेंद्र चाहते हैं कि उनका बेटा भारतीय सेना में शामिल हो और वो भी देश की सेवा करें. उन्होंने बताया, 'मैंने भी भारतीय सेना में भर्ती होने का प्रयास किया था. लेकिन फिजिकल टेस्ट में फेल होने की वजह से ऐसा नहीं कर पाया. मेरी लंबाई 1 सेंटीमीटर कम रह गई थी. उसके बाद मैंने तय किया कि मैं यूनिफॉर्म जरूर पहनूंगा, चाहे सेना की जगह किसी प्राइवेट सिक्यॉरिटी एजेंसी में ही क्यों न नौकरी करनी पड़े.'

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