KCR के इस्तीफे से तेलंगाना की राजनीति में हलचल, क्या है विधानसभा की स्थिति

तेलंगाना में समय पूर्व चुनाव कराने की खबरें काफी दिनों से चल रही हैं. मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी के नेता कई बार इसके संकेत भी दे चुके हैं. टीआरएस सरकार का कार्यकाल मई 2019 में खत्म होना है लेकिन विधानसभा भंग होने के बाद चुनावी तैयारियां तेज हो जाएंगी.

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केसीआर की फाइल फोटो पीटीआई से केसीआर की फाइल फोटो पीटीआई से

रविकांत सिंह

  • हैदराबाद,
  • 06 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 2:36 PM IST

तेलंगाना विधानसभा भंग हो गई है. प्रदेश के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश गवर्नर ईएसएल नरसिम्हन से की. अब यहां चुनाव की तैयारियां शुरू हो जाएंगी. वैसे चुनाव के तारीखों की घोषणा नहीं हुई हैं लेकिन विधानसभा के भंग होते ही सभी पार्टियां चुनावी मोड में आ गई हैं.

आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद तेलंगाना राज्य बना. के चंद्रशेखर राव (केसीआर) की अगुआई में उनकी यह पहली सरकार थी. पिछले चुनाव में केसीआर की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) पहले नंबर पर उभरी थी. दूसरे नंबर पर थी कांग्रेस. आइए जानते हैं यहां के दलों की स्थिति क्या है.

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2014 में संपन्न पहले चुनाव में टीआरएस को 90 सीटें मिली थीं. यहां विधानसभा की कुल 119 सीटें हैं. टीआरएस के खिलाफ यहां विपक्ष को 29 सीटें मिली थीं. इनमें कांग्रेस को 13, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को 7, बीजेपी को 5, टीडीपी को 3 और सीपीएम को 1 सीटें मिली थीं.

केसीआर की क्या है रणनीति  

तेलंगाना के मुख्यमंत्री राव चाहते हैं कि अचानक विधानसभा भंग करा दिए जाने से चुनाव की तैयारियों के लिए विपक्षी दलों को ज्यादा मौका न मिल सके. इसी रणनीति के तहत उन्होंने ऐसी कार्रवाई की. मुख्यमंत्री राव को इस बात एहसास है कि राज्य में आज की तारीख में विपक्ष के पास उनके बराबर का कोई भी नेता नहीं है. लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव कराए जाने से उन्हें खासी मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और अपनी छवि का राज्यस्तरीय चुनाव में फायदा उठा सकेंगे.

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अगर वह अप्रैल तक रुकते हैं तो आम चुनाव के माहौल में राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का फैक्टर तेलंगाना समेत शेष भारत में फैल सकता है. कांग्रेस वहां पर मुख्य विपक्षी दल है और पार्टी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर देती है तो लोकसभा वोटिंग के दौरान विधानसभा वोटिंग पर इसका असर पड़ सकता है.

लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में विधानसभा चुनाव कराए जाते हैं तो ऐसे में मुख्यमंत्री राव को दोनों चुनाव की तैयारियों के लिए भरपूर समय मिल जाएगा. टीआरएस के मुखिया और मुख्यमंत्री राव को इस बात का डर है कि साल के अंत में 4 राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम) में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है तो 2019 में आम चुनाव में कांग्रेस को लेकर माहौल बनने का खतरा बन सकता है जो टीआरएस के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

राव को लगता है कि आम चुनाव के दौरान राष्ट्रीय मुद्दा हावी रह सकता है. मुख्य मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच होने के कारण स्थानीय मुद्दों की जगह राष्ट्रीय मुद्दे जगह बना सकते हैं जिससे स्थानीय पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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