पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में शरीक हुए 3 दिन से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, लेकिन उनके अप्रत्याशित ढंग से संघ के कार्यक्रम में जाने को लेकर कयासबाजी आज भी जारी है. हर कोई अपने-अपने स्तर पर इस मेल का मतलब निकाला जा रहा है.
कभी राजनीति में बीजेपी की बेहद करीबी रही शिवसेना भी अपने स्तर पर इस मुलाकात के अर्थ निकाल रही है. शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा गया था कि कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी को संघ के कार्यक्रम में बुलाने के पीछे दिल्ली के लिए रणनीति तैयार की जा रही है. बीजेपी 2019 में होने वाले आम चुनाव को ध्यान में रखकर एजेंडा सेट कर रही है.
शिवसेना का आकलन है कि 2019 के आम चुनाव में अगर बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो यह दांव काम आ सकता है. त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति में नरेंद्र मोदी के नाम पर अगर सहयोगी तैयार नहीं हुए तो फिर प्रणब मुखर्जी के नाम को आगे कर दिया जाएगा, और ये सभी के लिए सर्वमान्य हो सकते हैं.
शर्मिष्ठा का जवाब
शिवसेना के नेता संजय राउत ने भी एएनआई के साथ बातचीत में यही बात कही थी कि हम मानते हैं कि संघ अभी से 2019 की स्थिति की तैयारी में जुटा है, अगर बीजेपी 110 से कम सीटें हासिल करती है, तो ऐसे में प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है.शिवसेना की ओर से ऐसी रणनीति पर संभावना जताए जाने के बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस की नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्वीट करते हुए संजय राउत को जवाब दिया. उन्होंने लिखा, 'मिस्टर राउत राष्ट्रपति पद से रिटायर होने के बाद मेरे पिता फिर से सक्रिय राजनीति में नहीं आने जा रहे हैं.'
प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में भाग लेने से पहले उनकी पार्टी और कई अन्य लोगों ने संघ के कार्यक्रम में भाग नहीं लेने का अनुरोध किया था. इनमें उनकी बेटी शर्मिष्ठा भी शामिल थीं.
शर्मिष्ठा ने प्रणब के इस कार्यक्रम में शिरकत करने से पहले उन्हें नसीहत दी थी कि वह आरएसएस के कार्यक्रम में जो भी कहेंगे, आऩे वाले सालों में उसे भुला दिया जाएगा और उनकी तस्वीरों का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है. आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होेने के कुछ घंटे बाद ही ऐसा देखने को भी मिला था, जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की फोटोशॉप्ड इमेज सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी थीं.
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