RBI का निर्देश- अकाउंट बैलेंस जीरो होने पर नहीं लगेगा नॉन मेंटीनेंस चार्ज

सेविंग अकाउंट में बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस की सीमा तय कर रखी है. बैलेंस कम होने पर बैंक अकाउंट मेंटेन न रखने की एवज में ग्राहकों से पैसे वसूलते हैं और बैलेंस शून्य होने पर भी बैंक ये चार्ज लगाते हैं, जिससे अकाउंट में निगेटिव बैलेंस आ जाता है.

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ब्रजेश मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2016,
  • अपडेटेड 3:09 PM IST

सेविंग अकाउंट में बैलेंस शून्य होने पर लगने वाला नॉन मेंटीनेंस चार्ज अब नहीं देना होगा. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को इस संबंध में निर्देश जारी किया है.

दरअसल, सेविंग अकाउंट में बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस की सीमा तय कर रखी है. बैलेंस कम होने पर बैंक अकाउंट मेंटेन न रखने की एवज में ग्राहकों से पैसे वसूलते हैं और बैलेंस शून्य होने पर भी बैंक ये चार्ज लगाते हैं, जिससे अकाउंट में निगेटिव बैलेंस आ जाता है.

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पिछले साल से लागू होना था नियम
नियम के मुताबिक, यह आदेश बीते साल से लागू होना था लेकिन कुछ बैंक अभी भी उसी नियम के तहत ग्राहकों पर नॉन मेंटीनेंस चार्ज लगाते आ रहे हैं. आरबीआई के मुताबिक, अगर कोई बैंक ऐसा करता है और अकाउंट बैलेंस नेगेटिव (माइनस) होता है तो कस्टमर बैंकिंग लोकपाल से शिकायत कर सकते हैं.

अक्सर जॉब बदलने पर होता है ऐसा
अब तक सामने आए मामलों में ज्यादातर ऐसा तभी होता है जब कोई ग्राहक अपनी जॉब बदलता है और उसके सैलरी अकाउंट में पैसे आना बंद हो जाते हैं. ज्यादातर बैंक सैलरी अकाउंट में विशेष सुविधाएं देते हैं, और तब उसमें न्यूनतम बैलेंस की शर्त नहीं होती लेकिन जॉब बदलते ही बैंक उस अकाउंट पर न्यूनतम बैलेंस लिमिट की शर्त जोड़ देते हैं. इससे कई बार ग्राहकों का बैलेंस नेगेटिव हो जाता है और जब भी वह अकाउंट में पैसे जमा करेगा, उतने पैसे खुद ब खुद काट लिए जाते हैं.

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