राज्यसभा चुनाव में होगा NOTA का इस्तेमाल, टाइमिंग पर भड़की कांग्रेस

राज्यसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा नोटा के ऑप्शन को शामिल करने को लेकर उच्च सदन में कांग्रेस पार्टी ने हंगामा कर दिया है.  उन्होंने इस पर कई सवाल खड़े कर दिए है. उन्होंने कहा कि दाल में कुछ काला लगता है. प्रश्नकाल में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इस मसले को उठाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को इसके बारे में पता ही नहीं था और चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन के दौरान ऐसी कोई जिक्र नहीं किया.  इसके चलते सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करना पड़ा.

Advertisement
नोटा की टाइमिंग पर कांग्रेस ने खड़े किए सवाल नोटा की टाइमिंग पर कांग्रेस ने खड़े किए सवाल

केशवानंद धर दुबे / मौसमी सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 4:47 PM IST

राज्यसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा नोटा के ऑप्शन को शामिल करने को लेकर उच्च सदन में कांग्रेस पार्टी ने हंगामा कर दिया है.  उन्होंने इस पर कई सवाल खड़े कर दिए. प्रश्नकाल में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इस मसले को उठाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को इसके बारे में पता ही नहीं था और चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन के दौरान ऐसी कोई जिक्र नहीं किया.  इसके चलते सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करना पड़ा.

Advertisement

इस पर जवाब देते हुए राज्यसभा के नेता अरुण जेटली ने इस मसले को यह कहकर खारिज कर दिया कि यह तो चुनाव आयोग का विशेष अधिकार है. जाहिर है राज सभा चुनाव में गुजरात को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच तलवारें खिंची हुई है. राज्यसभा की तीसरी सीट से कांग्रेस सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की राज्यसभा में वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही है. वही भाजपा इस सीट पर सेंधमारी में जुटी है.

नोटा के ऑप्शन पर कांग्रेस पार्टी को सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है. इस पर अहमद पटेल ने को ट्वीट करते हुए कहा कि पहले तो राज्यसभा के चुनाव की तारीख आगे बढ़ा दी गई और उसके बाद नोटिफिकेशन के बाद नोटा लाने की वजह क्या है, यह चुनाव आयोग को ही मालूम है.

Advertisement

चुनाव आयोग का फैसला कानून की किताब में खरा नहीं

कांग्रेस के राज सभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी चुनाव आयोग की टाइमिंग पर सवाल खड़े किए. उनका मानना है कि यह फैसला कानून की किताब में खरा नहीं बैठता. ये नोटा हो रहा है कि पोटा हो रहा है. उन्होंने कहा कि जो फैसला चुनाव आयोग ने लिया है मुझे लगता है कहीं ना कहीं मसला गुजरात का है. क्योंकि बंगाल में तृणमूल के पास इस वक्त संख्या है. चुनाव आयोग ने क्यों ऐसा फैसला लिया है? अगर आप कानून की किताब को देखो या कोई रूल देखो कोई ऐसी प्रक्रिया रूल में नहीं है ना ही रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट में है.

उन्होंने कहा कि यह तो खुली वोटिंग है. इनडायरेक्ट वोटिंग है, इसमें कोई डायरेक्ट वोटिंग नहीं है इसमें तो आप अपनी प्रेफरेंस देंगे. तो यह फैसला कहां से आ गया? साथ ही उन्होंने कहा कि मैं कोई आरोप नहीं लगाना चाहता. अगर चुनाव आयोग ने फैसला लिया तो ज़रूर सोच-समझ कर लिया है. लेकिन इसकी टाइमिंग जो है वह ठीक नहीं है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पीयूसीएल के इलेक्शन में कहा था कि डायरेक्ट वोटिंग में आपको नोटा देना चाहिए. यह तो इलेक्शन कमीशन का अपना फैसला है. इसे चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के जरिए नहीं लिया.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement